- मंत्रियों ने कहा- इस्तीफे के बाद भी निष्पक्ष न्याय की शर्त पर सरकार को समर्थन देते रहेंगे
- श्रीलंका में 21 अप्रैल को हुए 8 सीरियल बम धमाकों में 258 लोग मारे गए थे
कोलंबो. श्रीलंका में ईस्टर के दिन (21अप्रैल) हुए बम धमाकों के बाद से ही देशभर में सांप्रदायिक हिंसा फैली है। इसके चलते सोमवार को 9 मुस्लिम मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। मंत्रियों का कहना है कि हिंसा में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार रक्षा करने में नाकाम रही है। अप्रैल में हुए फिदायीन हमले में 258 लोग मारे गए थे।
देशभर में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को 9 मंत्रियों और दो प्रांतीय राज्यपालों ने इस्तीफा देने का फैसला किया है। इनमें कैबिनेट मंत्री कबीर हाशिम, गृह मंत्री हलीम और रिशद बतीउद्दीन शामिल हैं। इनके साथ राज्य मंत्री फैजल कासिम, हारेश, अमीर अली शिहाबदीन, सैयद अली जाहिर मौलाना के अलावा डिप्टी मिनिस्टर अब्दुल्ला महरूफ ने भी इस्तीफा देने का फैसला किया।
सभी मंत्री सरकार को समर्थन करते रहेंगे
न्याय और जेल मंत्री रऊफ हकीम के मुताबिक, सभी मंत्री अपने पद से इस्तीफा देंगे, लेकिन सरकार का समर्थन करते रहेंगे। समर्थन भी इस शर्त पर होगा कि सभी अल्पसंख्यकों को समान न्याय मिले और हिंसा की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा मिले। यदि ऐसा नहीं होता, तो फिर मंत्री समर्थन देने के बारे में दोबारा विचार कर सकते हैं।
निलंबित आईजी ने कहा- राष्ट्रपति सिरिसेना धमाकों को रोकने में नाकाम रहे
निलंबित पुलिस प्रमुख पी.जयसुंदरा ने भी राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को धमाकों को रोकने में असफल बताया। जयसुंदरा ने 20 पेज की शिकायत में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 9 अप्रैल को हमें नेशनल इंटेलिजेंस से एक पत्र मिला। इसमें योजनाबद्ध हमले की जानकारी दी गई थी, लेकिन स्टेट इंटेलिजेंस सर्विसेज (एसआईएस) के प्रमुख नीलांत जयवर्द्धने ने लापरवाही बरती। हालांकि राष्ट्रपति सिरिसेना ने जयवर्द्धने को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जानकारी सीधे प्रधानमंत्री को देने के लिए कहा था।
आईएस ने ली थी धमाकों की जिम्मेदारी
श्रीलंका में ईस्टर के दिन 8 सीरियल धमाके हुए थे। यह धमाके तीन चर्च और पांच होटलों में हुए। धमाकों की जिम्मेदारी इस्लामिक जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) और इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने ली थी।