- अशोक गहलोत रविवार को राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मंगलवार तक वक्त नहीं दिया गया
- राहुल गहलोत से राजस्थान में पार्टी के खराब प्रदर्शन और बेटे को टिकट देने से नाराज
- राजस्थान मुख्यमंत्री ने कहा- राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारी कमियां गिनाने का हक है
जयपुर. राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ गई है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लगातार तीसरे दिन मिलने का वक्त नहीं दिया। उधर, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से भी पिछले तीन दिनों से मुलाकात नहीं की। दोनों रविवार से उनसे मिलने की कोशिश कर रहे थे।मंगलवार को दोनों नेता मुलाकात के लिए उनके तुगलक रोड स्थित आवास पर सुबह 11 बजे पहुंचे थे, लेकिन दिनभर इंतजार के बाद मुलाकात नहीं हो पाई। उधर, राजस्थान में स्थानीय नेताओं ने कहा कि गहलोत को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
पहले खबर आई थी कि राहुल शाम साढ़े चार बजे दोनों नेताओं (गहलोत-पायलट) से मिलेंगे। लेकिन राहुल इन दोनों नेताओं सहित देश के किसी बड़े नेता से नहीं मिले। इसके बाद दोनों नेता कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मिले। इसके बाद सीएम गहलोत देर शाम जयपुर पहुंच गए, लेकिन पायलट बुधवार को दिल्ली से निकले। आज जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है।
सचिन पायलट सीएम होते तो नतीजे और होते
कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुशील आसोपा ने फेसबुक पर लिखा कि प्रदेश में कांग्रेस की हार की वजह पायलट को सीएम नहीं बनाना है। अगर पायलट सीएम होते तो लोकसभा के परिणाम कुछ और होते। उधर, हनुमानगढ़ के कांग्रेस जिलाध्यक्ष केसी बिश्नोई ने कहा- “हार की जिम्मेदारी गहलोत को लेनी चाहिए।”
गहलोत ने कहा- राष्ट्रीय अध्यक्ष को कमियां गिनाने का हक
गहलोत ने मंगलवार को कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को कमियां बताने का अधिकार है। वे मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या पार्टी के किसी भी पदाधिकारी की कमियां बता सकते हैं। कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है, इसमें किसी की भी कमियां गिनाने का हक है। हम इन कमियों से सीखते हैं।
समीक्षा बैठक में तय होगी हार की जिम्मेदारी
कांग्रेस में हार को लेकर कई राज्यों में सरकार और संगठन एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। हालांकि, दिल्ली में कांग्रेस के एक नेता ने कहा- “जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां पर चुनाव सीएम के नेतृत्व में लड़ा गया। जहां सरकारें नहीं हैं, वहां प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। ऐसे में लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा भी इसी आधार पर होगी।” इसमें राहुल को अध्यक्ष बनाए रखने के लिए प्रस्ताव पास किया जाएगा। इस दौरान गहलोत-पायलट गुट के बीच हंगामे के भी आसार हैं।
राहुल गांधी हार से खफा हैं
राजस्थान में लोकसभा की 25 में से एक भी सीट पर कांग्रेस नहीं जीत पाई। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी ऐसी ही हार हुई। इसको लेकर राहुल खफा हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने पुत्रमोह की टिप्पणी की थी, जो सियासी गलियारों में सुर्खियों में रही। गहलोत ने लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में 104 सभाएं कीं। हर लोकसभा क्षेत्र में प्रचार किया। 23 प्रत्याशियों के नामांकन में गए। सीएम गहलोत ने कहा कि चुनाव प्रचार को लेकर जो खबरें चलाई जा रही हैं, वे अफवाह हैं। प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे सहित सभी पदाधिकारियों ने प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया।