- इससे पहले 1992 में इस फॉर्मेट में खेला गया था टूर्नामेंट
- तब पाकिस्तान चैम्पियन बना था, भारत अंतिम-4 में जगह नहीं बना पाया था
- इस फॉर्मेट में सभी 10 टीमों को एक-दूसरे के खिलाफ खेलना होता है
खेल डेस्क. वनडे वर्ल्ड कप के अभ्यास मैच शुरू हो गए हैं। लंदन में भारत का आज न्यूजीलैंड से अभ्यास मैच होना है। मुख्य मुकाबले 30 मई से खेले जाएंगे। इस बार टूर्नामेंट का फॉर्मेट राउंड रॉबिन और नॉकआउट है। वर्ल्ड कप के 44 साल के इतिहास में दूसरी बार इस फॉर्मेट में टूर्नामेंट खेला जाएगा। इससे पहले 1992 में हुआ वर्ल्ड कप राउंड रॉबिन फॉर्मेट में खेला गया था। तब भारतीय टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई थी। भारतीय कप्तान विराट कोहली का मानना है कि फॉर्मेट बदलने के कारण यह अब तक सबसे चुनौतीपूर्ण टूर्नामेंट होगा।
कोहली के मुताबिक, ‘टूर्नामेंट के फॉर्मेट को देखते हुए निश्चित तौर पर यह अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण वर्ल्ड कप होगा। इसमें हिस्सा लेने वाली सभी टीमों को आप देखें तो वे एकदूसरे के काफी करीब हैं। यहां तक कि 2015 के मुकाबले अफगानिस्तान जैसी टीम ने काफी प्रगति की है। ऐसे में हर मैच में अपनी पूरी क्षमता के साथ खेलना होगा। यह एक अलग प्रकार की चुनौती है, जिससे सभी को सामंजस्य बैठाना होगा।’
आईपीएल में ग्रुप स्टेज तक के मुकाबले इसी फॉर्मेट में खेले गए थे
राउंड रॉबिन फॉर्मेट में टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली सभी टीमें एक दूसरे के खिलाफ खेलती हैं। हाल ही में खत्म हुई इंडियन प्रीमियर लीग में प्लेऑफ से पहले के मुकाबले राउंड रॉबिन फॉर्मेट में ही खेले गए थे। इस बार वर्ल्ड कप में 10 टीमें हिस्सा ले रही हैं। ऐसे में सभी टीमों को 9-9 मैच खेलने होंगे। हर मैच जीतने पर एक निश्चित अंक मिलेंगे। इस तरह शीर्ष-4 में रहने वाली टीमें सेमीफाइनल में जगह बनाएंगी।
उसके बाद नॉकआउट दौर शुरू होगा, यानी एक मैच हारते ही टीम खिताब की दौड़ से बाहर हो जाएगी। अंक तालिका में नंबर-1 पर रहने वाली टीम का नंबर-4 से, जबकि नंबर-2 और नंबर-3 से मुकाबला होगा। दोनों मैच की विजेता फाइनल खेलेंगी।
राउंड रॉबिन फॉर्मेट के फायदे
- टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली सभी टीमों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है।
- लीग के सारे मैच खत्म होने तक यह कहना मुश्किल होता है कि नॉकआउट में कौन-कौन सी टीमें पहुंचेंगी इसलिए टूर्नामेंट में अंत तक रोमांच बना रहता है।
- बेहतर टीम हमेशा खिताब की दौड़ में बनी रहती है। ‘ग्रुप ऑफ डेथ’ जैसी कोई गुंजाइश नहीं बनती।
राउंड रॉबिन फॉर्मेट के नुकसान
- ज्यादा मैच होने के कारण टूर्नामेंट लंबा खिंचता है, इसलिए नतीजा देर से आता है।
- खिलाड़ियों के लिए फिटनेस से लेकर फॉर्म बरकरार रखने की चुनौती बढ़ती है।
- ज्यादा मैदान और मैच ऑफिशियल्स का इस्तेमाल करना पड़ता है।
सबसे ज्यादा 8 बार ग्रुप स्टेज एंड नॉकआउट फॉर्मेट में खेले गए वर्ल्ड कप के मैच
कब से कब तक | फॉर्मेट |
1975 से 1987 तक | ग्रुप स्टेज एंड नॉकआउट |
1992 | राउंड रॉबिन एंड नॉकआउट |
1996 | ग्रुप स्टेज एंड नॉकआउट |
1999 से 2003 तक | ग्रुप स्टेज एंड सुपर सिक्स |
2007 से 2015 तक | ग्रुप स्टेज एंड नॉकआउट |
2019* | राउंड रॉबिन एंड नॉकआउट |
* टूर्नामेंट अभी होना है।