- इंग्लैंड की मेजबानी में 2019 वर्ल्ड कप पांचवां टूर्नामेंट, वह अब तक एक भी खिताब नहीं जीत सका
- 1975 का पहला और 1979 का दूसरा वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज ने जीता था, 1983 में नया चैंपियन मिला- भारत
खेल डेस्क. मौजूदा समय में वर्ल्ड कप का माहौल महीनों पहले बन जाता है, लेकिन 44 साल पहले ऐसा नहीं था। तब आम लोगों के साथ-साथ खिलाड़ियों में भी इसके बारे में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। पुरुष से पहले महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 1973 में खेला गया था। इस टूर्नामेंट के फाइनल से 3 दिन पहले 25 जुलाई को एक मीटिंग में पुरुष वर्ल्ड कप को हरी झंडी दी गई, जो 1975 में खेल गया।
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद, जो 1975 वर्ल्ड कप में सिर्फ 17 साल के थे। वे कहते हैं- वास्तव में उस समय हमें नहीं पता था कि वर्ल्ड कप क्या है? मुझे लगता है कि उसमें हिस्सा लेने वाली टीमों को भी इसका महत्व नहीं पता होगा। इंग्लैंड को क्रिकेट का जनक माना जाता है, लेकिन वह अब तक एक भी बार यह खिताब नहीं जीत सकी।
पहली बार वर्ल्ड कप के आयोजन की बात 1972 उठी
सबसे पहली बार वर्ल्ड कप के आयोजन की बात 1972 की वार्षिक मीटिंग में उठाई गई थी। हालांकि इस टूर्नामेंट के आयोजन में सबसे बड़ी बाधा थे भारत और पाकिस्तान। 1965 के युद्ध के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच खेल संबंध खराब हो चुके थे। आईसीसी को डर था कि अगर भारत और पाकिस्तान इस टूर्नामेंट में खेलने से मना कर देते हैं तो सिर्फ चार टेस्ट खेलने वाले देश बाकी रहेंगे। आईसीसी ने 25 जुलाई 1973 को इस टूर्नामेंट के लिए हरी झंडी दे दी। हालांकि पहले इसका नाम वर्ल्ड कप नहीं था। डेली एक्सप्रेस ने इसे ‘इंटरनेशनल टूर्नामेंट’ नाम दिया। लेकिन इस नाम का इस्तेमाल नहीं हुआ। अगले दिन इस टूर्नामेंट का आधिकारिक नाम ‘वर्ल्ड कप’ हो गया।
टीसीसीबी को मिली टूर्नामेंट के आयोजन की जिम्मेदारी
आईसीसी ने द टेस्ट एंड काउंटी क्रिकेट बोर्ड (टीसीसीबी) को इस टूर्नामेंट के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी। टीसीसीबी आगे चलकर इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड बना। सबसे बड़ी परेशानी पैसे को लेकर थी। टीसीसीबी ने इस टूर्नामेंट की कॉस्ट 10 लाख पाउंड (15 करोड़ रुपए) रखी थी। 1974 तक आईसीसी और टीसीसीबी को टाइटल स्पॉन्सर नहीं मिला तो टीवी राइट्स और स्पॉन्सरशिप से आयोजन का फैसला किया। हालांकि अक्टूबर में अमेरिका की इंश्योरेंस कंपनी प्रुडेंशियल वर्ल्ड कप की स्पॉन्सर बन गई। आईसीसी ने इसे प्रुडेंशियल कप कहा। लेकिन लोगों और मीडिया ने इसे वर्ल्ड कप माना। टूर्नामेंट 1975 में 7 जून से शुरू हुआ। सभी टीमें एक दिन पहले ही यहां पहुंचीं थीं।
टूर्नामेंट का ड्रॉ एक साल पहले ही निकाल दिया गया। मीडिया ने टूर्नामेंट शुरू होने की सुबह तक इसे गंभीरता से नहीं लिया। पहले दिन भारत-इंग्लैंड का मैच देखने लॉर्ड्स पर 20 हजार लोग पहुंचे थे। इंग्लैंड ने 334/4 स्कोर बनाया था। भारत ने 60 ओवर में 132/3 का स्कोर बनाया था। ओपनर सुनील गावसकर ने 36 रन बनाए थे। भले ही इस टूर्नामेंट को अच्छी शुरुआत न मिली हो, लेकिन मैच दर मैच इसने धीरे-धीरे दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच ही लिया।
पहले तीन वर्ल्ड कप प्रुडेंशियल कप के नाम से हुए
1975 में पहला वर्ल्ड कप हुआ। वेन्यू- इंग्लैंड। 1975 में सबसे बड़ी दावेदार ऑस्ट्रेलिया थी, लेकिन ‘कैलिप्सो क्रिकेटर’ की छवि लेकर मैदान में उतरी वेस्टइंडीज सबको चौंकाते हुए क्रिकेट की पहली वर्ल्ड चैंपियन बनी। कप्तान क्लाइव लॉयड के लिए कहा गया कि वे 11 लड़कों को एक क्रिकेट टीम में बदलने की कला में महारत रखते हैं। 1979 में फिर विंडीज चैंपियन बनी। 1983 में नया चैंपियन मिला- भारत। टूर्नामेंट शुरू होने से पहले सट्टा बाजार में भारत पर 66-1 का भाव था। यानी पूरी तरह खारिज।
1983 में कपिल देव रहे भारत की जीत के हीरो
फाइनल में कप्तान कपिल देव ने 20 यार्ड पीछे भागते हुए विवियन रिचर्ड्स का ऐतिहासिक कैच पकड़ा था। जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की 175 रन की नाबाद पारी आज भी सभी फैंस को याद है। इंग्लैंड की मेजबानी में यह पांचवां वर्ल्ड कप है। लेकिन इंग्लिश टीम आज तक खिताब नहीं जीत सकी है।
लगातार तीनों वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया ने जीते
1999 के पहले मैच से सचिन बाहर हो गए। उनके पिता का देहांत हो गया था। भारत को जिम्बाब्वे से हार मिली। पिता के अंतिम संस्कार के एक दिन बाद ही सचिन ने केन्या के खिलाफ 140 रन ठोककर टीम को जिताया। भारत सुपर सिक्स तक पहुंचा। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को हराया और ऑस्ट्रेलियन युग का आगाज हुआ। 2003 में गांगुली की कप्तानी में तैयार टीम इंडिया लगातार 8 मैच जीतकर फाइनल में पहुंची। टीम जबरदस्त फॉर्म में थी, पर फाइनल में बिखर गई। 2007 में भारत द्रविड़ की कप्तानी में पहले राउंड में बाहर हो गया।
पहली बार वर्ल्ड कप इंग्लैंड के बाहर खेला गया
1987 से प्रुडेंशियल कप को ऑफिशियल तौर पर वर्ल्ड कप नाम मिला और 1999 तक लगातार हर बार नया चैंपियन भी मिला। 1987 में ऑस्ट्रेलिया, 1992 में पाकिस्तान और 1996 में श्रीलंका। 1987 में पहली बार टूर्नामेंट इंग्लैंड से बाहर किसी देश में हुआ- भारत और पाकिस्तान में। मैच 60 से 50 ओवर के होने लगे। 1987 में भारत सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हारकर बाहर हो गया। 1992 में पहली बार रंगीन कपड़ों में, सफेद बाॅल से और राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में खेला गया। 1996 में ग्रुप स्टेज का फॉर्मेट वापस आया।
दोनों वर्ल्ड कप में मेजबान देश ही विजेता बना
‘धोनी फिनिश इट ऑफ इन स्टाइल।’ नुवान कुलशेखरा की गेंद पर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने लॉन्ग ऑन पर छक्का लगाया और भारत 28 साल बाद फिर वर्ल्ड चैंपियन बना। भारत अपने देश में वर्ल्ड कप फाइनल जीतने वाला पहला देश बना। सचिन ने एक बार फिर सबसे ज्यादा 482 रन बनाए। युवराज प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे। 2015 में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में टूर्नामेंट हुआ। भारत ने ग्रुप स्टेज में लगातार 6 मैच जीते। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में हार गया। फाइनल में न्यूजीलैंड को हराकर ऑस्ट्रेलिया पांचवीं बार चैंपियन बना।