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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

तन पर कमल वाली साड़ी, हथेली पर था मेहंदी रचा फूल; घंटों बाद सनी नहीं आए तो दिल भी टूटे

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  • कादियां में साढ़े 12 बजे का शेड्यूल था सनी देओल के आने का तो बटाला में 2 बजे का
  • 5 बजे काफिले को चुनाव आयोग द्वारा रोक लेने की सूचना मिली तो मायूस हुए 11 बजे से कुर्सियों पर बैठे लोग

गुरदासपुर. शुक्रवार काे सातवें और आखिरी चरण के चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। वोटर्स और सपोर्टर्स दोनों को अपने पसंदीदा नेता के आने की उम्मीद थी। मगर, घंटों के बाद मायूसी हाथ लगी। शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी-अकाली दल गठबंधन के उम्मीदवार सनी देओल के दौरे को लेकर यही सीन देखने को मिला। बटाला में 3 घंटे तो कादियां में लोग लगभग साढ़े 5 घंटे इंतजार करते रहे।

पुरुष हाथों में झंडियां उठाए बाट देख रहे थे, वहीं महिलाओं के तन पर कमल के फूल वाली साड़ी, हथेली पर मेहंदी से रचा फूल और दिल में सनी को देखने की आस। आखिर सब मायूस होकर घरों को लौट गए। छुटभैये नेताओं के भाषण और सिर्फ लोकलुभावन के लिए जमा किए गए सिगर्स के गाने कब तक सुनते बेचारे। आखिर इसी इंतजार के साथ इस बार का चुनाव प्रचार भी खत्म हो गया।

कादियां विधानसभा हलके में दोपहर साढ़े 12 बजे सनी देयोल का शेड्यूल था, जिसे देखने के लिए हजारों मतदाता और कार्यकर्ता सब्जी मंडी में कुर्सियों पर बैठकर उनका इंतजार 11 बजे से करने लगे। जैसे ही लोगों का एनर्जी लेवल डाउन होने लगता भाजपा वर्कर यही कहते रहे कि 10 मिनट में सनी देओल पहुंच रहे हैं। इसी तरह बटाला में दोपहर करीब 2 बजे का टाइम था, लेकिन सनी 5 बजे तक भी नहीं आए।

चुनाव आयोग द्वारा 5 बजे तक ही भाजपा को रैली करने की परमिशन मिली थी। तीन घंटे तक बटाला के लोकल सिंगर अपने लिखे गीत गाते रहे और बीच-बीच में पार्टी वर्कर लोगों को रोकने की कोशिश करते रहे। 5 बजे के बाद स्टेज से टाइम पूरा हो चुका होने और सनी की गाड़ियों का काफिला बटाला बाईपास पर चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा रोक लिए जाने की जानकारी मिली तो सैकड़ों के दिल टूट गए।

इतना ही नहीं कादियां के लोगों के साथ पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी दो बार सनी से मिलने की चाह लिए लोग इंतजार की घड़ी के कांटों के साथ दौड़ लगाकर थक चुके हैं। 6 मई को हजारों लोग लगातार 4 घंटे हाथों में रिबन और फूलमालाएं लेकर इंतजार करते रहे, लेकिन सनी गाड़ी से बाहर ही नहीं निकल पाए।

दूसरी बार रात को 9 बजे कादियां पहुंचे और एक विशेष समुदाय से मुलाकात कर कादियां के अन्य लोगों के नजरअंदाज कर गए। राजनैतिक जानकारों की मानें तो अब तीसरी बार शुक्रवार को फिर से इसी तरह की बेरुखी सनी को भारी पड़ सकती है। कसूर किसी का भी हो, लेकिन खामियाजा तो सनी को ही भुगतना पड़ेगा।