- जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन से उठाकर समाजसेवी संस्था के लोगों ने सिविल में दाखिल करवाया तो बताया सारा हाल
- बहू ने कहा-काम करोगी तो ही खाने और रहने के लिए जगह मिलेगी, नहीं तो निकल जाओ
- तमन्ना-मर गई तो बेटे को कहना की वो ही आग लगाए कोई और मेरी चिता को बहू न छुए, बहुत ही प्यार से पाला है मैंने
कोलकाता में हमारी 5 एकड़ जमीन है। पति स्व. ओम प्रकाश खेतीबाड़ी काम करते थे। पति ने रानी बनाकर रखा था। हमारा एक बेटा है। शादी के बाद बेटा बहू की बात मानने लगा। पति की मौत के बाद बहू ने कहा कि अगर काम करोगी तो ही घर में रहने और खाने पीने के लिए मिलेगा। इसके बाद बेटे ने बहू के कहने पर मुझे यहां छोड़ दिया।
मैं मरने वाली नहीं थी, लेकिन बेटे ने जिस तरह से घर से निकाल दिया है, अब लगता है जल्द ही मर जाऊंगी। मेरी बस एक ही आखिरी ख्वाहिश है कि बेटा जयदेव ही मेरी चिता को आग लगाए। चाहे उसने मेरे को छोड़ दिया। उसका इंतजार मरते दम तक करूंगी। मेरी लाश को मेरी बहू न छुए। मैंने अपने इकलौते बेटे को बहुत ही प्यार से पाला है। अब मेरे तो रिश्तेदारों व भाइयों को भी नहीं पता कि मैं कहां हूं। अगर उनको पता लग जाए तो शायद वो लेने के लिए आ जाएं। (जैसा कि दैनिक भास्कर प्लस के सहयोगी सुरिंदर सिंह को एक दुखिया 70 वर्षीय मां उर्मिला ने बताया)
इन बेटों को दुआएं देती नहीं थकती उर्मिला
अकाल सहाय एनजीओ से शिव कालड़ा, अभिमन्यू, कुनाल बट्ट, गुरपाल सिंह, संदीप सिंह, हरीश कुमार, अंश शर्मा (एंडी), सुक्खा सिंह ये वो युवा हैं, जिनको जानकारी मिली थी कि एक मां को उसका बेटा यहां जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर छोड़ गया था। बाद में आरपीएफ के जवानों ने दमोरिया पुल के नीचे छोड़ दिया। शिव कालड़ा ने बताया कि गुरपाल सिंह ने बुजुर्ग महिला को देखा तो पानी पिलाया और एनजीओ के बाकी मेंबरों को सूचित किया। इसके बाद यहां से उठाकर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान सेहत में सुधार आता तो 70 वर्षीय उर्मिला ने सारी दास्तां बताई। शिव कालड़ा ने बताया कि उनकी संस्था में 250 से अधिक मेंबर हैं और समय समय पर खूनदान करते रहते हैं।