गैजेट डेस्क. साल 2022 तक भारत में इंटरनेट डाटा की खपत सालाना 73% की चक्रवृद्धि दर (compounded annual growth rate / CAGR) से बढ़ेगी। इस तरह 2022 तक खपत का आंकड़ा 1070 करोड़ जीबी तक पहुंच जाएगा। Assocham-PwC स्टडी में यह जानकारी सामने आई है।स्टडी के अनुसार ‘भारत में इंटरनेट डाटा की कम कीमत और बढ़ते स्मार्टफोन यूजर्स के कारण देश में डाटा की खपत मेंतेजी से बढ़ोतरी हो रही है।’ डाटा की कम कीमतों के कारण ग्रामीण भारत में भी इंटरनेट यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं।
स्टडी के अनुसार ऐसे एप्स जो कम इंटरनेट कनेक्टिविटी में भी चल सकते हैं, वे ग्रामीण इलाकों में आसानी से अपनी पकड़ बना लेंगे। 2013 तक लोगडाटा की बजाय वॉइस कॉल के लिए ज्यादा खर्च करतेथे,पर अबभारतीय यूजर इंटरनेट डाटा पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं।
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स्टडी के मुताबिक साल 2017 में यह खपत करीब 700 करोड़ जीबीथी। जो 2022 तक बढ़कर लगभग 1070 करोड़ जीबीतक पहुंच जाएगी। इस तरह डाटा की खपत 73% सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी।
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साल 2013 में वॉइस कॉलिंग पर औसत 214 रुपए प्रतिमाह और डाटा के लिए 173 रुपए प्रतिमाह खर्च किया जाता था। वहीं 2016 में वॉइस कॉल पर औसत खर्च 124 रुपए और डाटा पर औसत खर्च बढ़कर 225 रुपए हो गया।
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नोकिया मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडेक्स 2018 के अनुसार इंटरनेट पर कुल ट्रैफिक का 65-75% हिस्सा वीडियो स्ट्रीमिंग का होता है।
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वीडियो ऑन डिमांड एंटरटेनमेंट रीइमेजिन्ड की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2017 में 30% इंटरनेट यूजर्स थे, जो 2022 तक बढ़कर 56.7% तक हो जाएंगे।
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प्राइस कंपैरिजन करने वाली साइट Cable.co.uk की रिसर्च के अनुसार भारत में मोबाइल डाटा की कीमत दुनिया में सबसे कम है। भारत में 1 जीबी डाटा की कीमत करीब 19 रुपए है। यह कीमत चीन से 38 और अमेरिका से 48 गुना सस्ती है।
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कंतार IMRB की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या सालाना 18% की दर से बढ़ रही है। साल 2019 के अंत तक यह संख्या 62 करोड़ तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में देश की शहरी जनसंख्या में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में 7% की बढ़ोतरी हुई है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह बढ़ोतरी 35% है।