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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

38.8 फीसदी महिला कैदियों को उम्मीद, जेल से रिहा होने के बाद समाज उनको अपना लेगा

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चंडीगढ़(गुलशन कुमार),पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की जेलों में बंद करीब 2000 महिला कैदी हैं। इनमें से 38.8 फीसदी महिला कैदियों को उम्मीद है कि रिहा होने पर उनका परिवार और समाज उनको फिर से अपना लेगा।

वहीं 32.5 फीसदी महिलाओं को लगता है कि उन्हें समाज से कोई उम्मीद नहीं है और वे समाज की परवाह भी नहीं करती हैं। उनको समाज से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं 11.7 फीसदी महिला कैदियों को लगता है कि समाज उनको कैदी और अपराधी के धब्बे से कभी मुक्त नहीं करेगा।

ये परिणाम इंस्टीट्यूट ऑफ कोरेक्शनल एडिमिनिस्ट्रेशन, चंडीगढ़ द्वारा महिला कैदियों के जीवन स्तर पर किए गए एक सर्वे में सामने आए हैं। ‘सर्वे ऑफ क्वालिटी ऑफ लाइफ ऑफ वुमन प्रिजनर्स’ रिपोर्ट को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) निष्ठा जसवाल और डॉ. उपनीत लाली, डिप्टी डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ करेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन, चंडीगढ़ ने जारी किया।

पंजाब में कुल कैदियों में 5 फीसदी ही महिला कैदी हैं और अंडर ट्रायल और सजा भुगत रहे कुल पुरुष कैदियों 22215 के मुकाबले उनकी संख्या 1153 ही है। वहीं हरियाणा में कुल पुरुष कैदियों 18257 के मुकाबले महिला कैदियों की संख्या 720 ही है। कुल कैदियों में उनकी संख्या 3.8 फीसदी ही है।

पंजाब में जेलों में बंद महिला कैदी अभी भी फर्श पर सोती हैं। वहीं चंडीगढ़ और पंजाब में उनके लिए सीमेंट के बर्थ बनाए गए हैं। हिमाचल की एक जेल में तो स्लीपिंग मेट्रेस भी प्रदान किए गए हैं। डॉ. उपनीत लाली, डिप्टी डायरेक्टर, चंडीगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ कोरेक्शनल एडमिनिस्ट्रेशन

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Female prisoner more than Punjab