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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अब गांवों से प्लास्टिक खरीदकर बनाई जाएंगी सड़कें

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रोहतक(रत्न पंवार).हजारों वर्ष तक ना गलने वाले प्लास्टिक को अब स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ के सहयोग से सड़कें बनाने में प्रयोग किया जाएगा। तीन जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों को इसके लिए पहले चरण में चुना गया है। इसके लिए रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक को कचरे के तौर पर एकत्रित किया जाएगा।

सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ की ओर से गांवों में रिक्शा भेजकर प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया जाएगा। यह प्लास्टिक दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। इसके बाद पहले से किए गए समझौते के तहत हरियाणा स्टेट रोड डेवलपमेंट काॅरपोरेशन (एचएसआरडीसी) की ओर से इस प्लास्टिक को सड़कें बनाने में चारकोल के साथ प्रयोग में लिया जाएगा।

दूसरे फेज में जींद और पानीपत होंगे शामिल
बैंगलुरु, इंदाैर और पश्चिम बंगाल के बाद योजना को प्रदेश में लाया है। पहले से प्लास्टिक को रोड बनाने में प्रयोग किया है। चारकोल के साथ खराब से खराब प्लास्टिक को प्रयोग किया जाता है। अभी तक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और संबंधित एनजीओ के मार्फत तीन जिलों के गांवों को छंटनी कर इनमें काम भी शुरू कर दिया है। रोहतक, सोनीपत और झज्जर के बाद जींद और पानीपत को भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इससे जिलों की संख्या पांच हो जाएगी। वहीं दूसरे चरण में सोनीपत के अर्बन एरिया को चयनित किया है।

फैक्ट फिगर : प्रोजेक्ट का आधार

  • 05 जिलों में करीब 70 लाख आबादी
  • 13 लाख परिवारों को किया जाएगा कवर
  • 01 घर से 12-14 किग्रा प्लास्टिक का कचरा निकलता है
  • 10 गांव पर लगाई जाएगी एक रिक्शा
  • 03 माह में पूरे हरियाणा को किया जाएगा कवर

लोगों को जागरूक करने के लिए लगाएंगे वर्कशॉप
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांवों में प्लास्टिक कचरे को अलग करने और एकत्र करने को एनजीओ के मार्फत काम शुरू कर दिया है। गांवों में वर्कशाप लगाई जाएगी, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और वे कचरे को फेंकने के बजाए योजना में सहयोग करें। -अशोक कुमार, सहायक समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण।

पर्यावरण को सुरक्षित रखना मकसद : सरोहा
इस प्रोजेक्ट का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। जमीन में प्लास्टिक कचरा दबने के बाद हजारों साल तक नहीं गल पाता है। इसके तहत लोगों को पर्यावरण और इकोलॉजी सिस्टम से जोड़ जाएगा। -विजय कुमार सरोहा, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन।

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Roads will now be made by buying plastic from the villages