बठिंडा. किसी की मदद के लिए उठाया गया आपका एक सकारात्मक कदम किसी व्यक्ति के जीवन में खुशियों की सौगात दे सकता है या उसका भविष्य अंधकारमय होने से बचा सकता है। ऐसी मिसाल पेश की है एक व्हाट्सएप ग्रुप ने।सलमान खान अभिनीत हिंदी फिल्म जय हो के थीम कि थैंक्यू नहीं, अन्यों के लिए हेल्पफुल बनो, बशर्ते कि आपकी भावना सकारात्मक हो, की तर्ज पर एक विद्यार्थी के लिए महज कुछ घंटों में फीस का इंतजाम हो गया।
-
पड़ोसी राज्य से बेहतर भविष्य की उम्मीद में बठिंडा पढ़ने आए तथा जरूरतमंद परिवार से ताल्लुक रखते एक विद्यार्थी के पास अपने कोर्स के आखिरी सेमेस्टर की फीस भरने को पैसे नहीं थे, लेकिन कॉलेज के टीचिंग स्टाफ द्वारा इस बात को रेडक्रास में कार्यरत फर्स्ट एड ट्रेनर नरेश पठानिया से शेयर करने के बाद स्थिति एकदम बदल गई।
-
पठानिया के एक विशेष ग्रुप में, जिसमें डीसी बठिंडा भी जुड़े हैं, एक छोटी सी रिक्वेस्ट पोस्ट कर दी। 11 फरवरी की रात्रि 9.20 पर इस अपील को शेयर किया गया तथा देखते ही देखते उक्त ग्रुप में शामिल लोगों ने 500 से 5 हजार रुपए की मदद भेजनी शुरू कर दी।
-
दो घंटों में ही रात्रि 11.18 मिनट पर 85 हजार रुपए इकट्ठे होने के बाद उन्होंने अपील को मकसद पूरा होने की जानकारी देते हुए काम को रोक दिया। मात्र 50 लोगों की मदद से इस वित्तीय सहायता को अगले दिन विद्यार्थी के साथ जाकर नरेश पठानिया ने जमा करवा दिया। किसी ने उस विद्यार्थी की पहचान के बारे में नहीं पूछा।
-
फर्स्ट एड ट्रेनर ने बताया-राजस्थान के अलावा विदेशमें बैठे उनके दोस्त तथा पढ़ाई कर रहे बेटे ने भी मदद भेजी है। इसी कड़ी में डीएवी कॉलेज और एसएसडी वुमेंस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी में भी युवाओं को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए अन्यों के मददगार बनने को प्रेरित किया गया है।
-
डीसी बठिंडा ने नरेश पठानिया के इस प्रयास की सराहना करते हुए मदद के इस कारवां को जारी रखने को कहा। वहीं नरेश इस बात को अब हर मंच से विद्यार्थियों तथा दूसरे लोगों से शेयर कर रहे हैं ताकि कोई भी जिंदगी मदद का इंतजार करते-करते बर्बाद ना हो जाए, जोकि इस मामले में हो सकता था।