शिमला. विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने सवाल उठाया है कि दक्षिण कश्मीर में 2012 के बाद ही आतंकी गतिविधियां क्यों बढ़ीं? उनका कहना है कि 2005-12 के दौरान यह क्षेत्र बेहद शांत था। इस बात की विवेचना होनी चाहिए कि आखिर 2012 के बाद ही आतंकी गतिविधियों में क्यों इजाफा हुआ?
सिंह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर में एक साझा सरकार बनी थी। एक पार्टी की घाटी में पैठ थी तो दूसरी को जम्मू में समर्थन हासिल था। पीडीपी की तरफ इशारा करते हुए जनरल ने कहा कि उसकी नीतियों की विवेचना होनी चाहिए। कहीं इनकी वजह से तो आतंकवाद नहीं बढ़ा?
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वीके सिंह ने कहा कि पुलवामा हमले का जवाब जल्दबाजी में देना गलत होगा। वह नहीं जानते कि सरकार और सेना इसके लिए क्या तैयारी कर रही हैं। लेकिन इस मामले में रणनीति ठंडे दिमाग से तैयार करनी होगी। फिलहाल सभी सुरक्षाबलों को एकजुट होकर समर्थन दें।
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सिंह ने कहा कि अमेरिका को पता था कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में छिपा है,लेकिन उसे मारने की रणनीति एक दिन में तैयार नहीं हुई। अमेरिका ने भी ठंडे दिमाग से रणनीति बनाकर लादेन को मारा।
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इंटेलीजेंस नाकाम होने के सवाल पर जनरल का कहना था कि सारे मामले पर गहन मंथन करने की जरूरत है। उसके बाद ही कहा जा सकता है कि पुलवामा हमले के पीछे कुछ भीतरी लोगों का हाथ था या नहीं?
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अनुच्छेद370 को समाप्त करने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री का कहना था कि सभी राजनीतिक दलों को इस मामले में सरकार को समर्थन देना चाहिए। भाजपा यह काम अकेले दम पर नहीं कर सकती।
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उन्होंने यह भीकहा कि पुलवामा हमले के बाद भारत अपने पड़ोसी देश को अलग-थलग रखने में कामयाब रहा है। मुंबई हमलों के बाद जितने देशों ने भारत का समर्थन किया था, अब उनकी संख्या ज्यादा है। पुलवामा के बाद 40 से ज्यादा देशों ने पाक के खिलाफ चेतावनी जारी की है। मोदी की रणनीति पाक को बिलकुल अलग-थलग करने की है। भारत के राजनयिक अपना काम कर रहे हैं।
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सिंह का कहना था कि कुछ युवा पत्थरबाजी कर रहे थे। गाड़ियों की छतों पर मौजूद युवा नारे लगा रहे थे, ‘हम क्या चाहते, आजादी’। लेकिन ये सारे कश्मीर की आवाज नहीं है। इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है।
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जनरल ने कहा कि कश्मीर के युवा पहले भी आतंकियों के समर्थन में आगे आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे। सरकार की कुछ नीतियां कामयाब रही हैं तो कुछ नाकाम। उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि सरकार इस मसले को गंभीरता से ले रही है।
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जनरल वीके सिंह ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में ‘भारत के मन की बात, मोदी के साथ’ कार्यक्रम लांच किया। इसके तहत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में जनता के मूडको समझा जाएगा। इनमें से कुछ सुझावों को भाजपा अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर सकती है।