चंडीगढ़.पंजाब विधानसभा में बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले कैबिनेट मीटिंग में 5 अहम फैसलों पर मुहर लगाई गई। कैबिनेट ने राज्य में आतंकवाद प्रभावित लोगों और 1984 के दंगा पीड़ितों को बड़ी राहत देते हुए अर्बन एस्टेट/नगर सुधार ट्रस्ट /पेप्सू टाउनशिप डिवेलपमेंट बोर्ड द्वारा प्लाटों/मकानों के अलॉटमेंट के लिए बिना किसी वित्तीय रियायत के 5 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा और 5 सालों के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। मौजूदा नीति की मियाद 31 दिसंबर, 2016 को पूरी हो गई थी जिसको अब 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने दंगा पीड़ित कमेटी, बरनाला और संगरूर की मांग पर विचार करते हुए दंगा पीड़ितों और आतंकवाद प्रभावित लोगों के हित में महत्वपूर्ण फैसला लिया है।
हाईकोर्ट के जजों और काेर्ट कर्मचारियों के लिए मेडिकल रीइंबर्समेंट : कैबिनेट ने मौजूदा और सेवामुक्त जजों और उनके आश्रितों को एयर एबुलेंस की सुविधा देने का फैसला किया है। यह भी फैसला किया गया कि पंजाब सेवाएं (मेडिकल अटेंडेंट्स) नियमों-1940 के नियम 2 (3) (वी) (ए) में अपेक्षित संशोधन किया जाए जिसके अधीन सरकारी मुलाजिम आते हैं। पंजाब सरकार के नियमों को अपनाने वाले हाईकोर्ट के जजों और अदालत के कर्मचारियों को मेडिकल रीइंबर्समेंट यूटी प्रशासन, चंडीगढ़ द्वारा प्रदान की जाती है।
किला रायपुर में बैल गाड़ियों की दौड़ को हरी झंडी :पंजाब मंत्रिमंडल ने किला रायपुर ग्रामीण खेल में बैल गाड़ियों की पारंपरिक दौड़ फिर से शुरू करवाने का रास्ता साफ कर दिया है। मंत्रिमंडल ने विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान ‘प्रिवेंशन ऑफ क्रूऐलिटी टू एनीमल्स (पंजाब अमेंडमेंट) बिल, 2019 को कानून बनाने के लिए पेश करने के लिए हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में पाबंदी लगाए जाने तक बैलगाड़ियों की दौड़ राज्य की समृद्ध संस्कृति और विरासत का अटूट अंग रही है। इस रोक के बाद लोगों के विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों ने बैलगाड़ियों की दौड़ को शुरू करवाने के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और पशु पालन मंत्री से मुलाकातें भी कीं। बैल गाड़ियों की दौड़ के अलावा और भी कई पशु भाग लेते हैं।
बजट, विभिन्न अकाउंट और कैग रिपोर्ट भी अब विस में पेश की जाएगी :पंजाब मंत्रिमंडल ने 2019-20 के बजट अनुमान, विभिन्न अकाउंट एवं कैग ऑडिट रिपोर्ट को विधानसभा के चल रहे सत्र में पेश करने की मंजूरी दे दी है। बजट सत्र के दौरान यह दस्तावेज और रिपोर्ट सदन में रखी जानी जरूरी हैं। कैग रिपोर्ट में सरकार के सरकारी विभागों का एक साल का लेखा जोखा होता है। इस रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि सरकार द्वारा जारी की गई कितनी ग्रांट का किस विभाग ने कितना उचित इस्तेमाल किया और किस विभाग ने अपने काम में कोताही बरतते हुए फंड में गड़बड़ी की है। सरकार को कितना नुकसान हुआ है इसकी आकलन रिपोर्ट तैयार की जाती है। कुल मिला कर सरकारी विभागों की पोल खोली जाती है।
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