- इस कृत्रिम हाथ को मंगलवार को जीजेयू में साइंस कॉनक्लेव में प्रेजेंट किया गया।
- कृत्रिम हाथ का मॉडल नेशनल इंस्पायर अवाॅर्ड के लिए भी सिलेक्ट हुआ है।
हिसार। आरा मशीन में दोस्त का हाथ कटा तो हिसार के अंकित ने उसके लिए कृत्रिम हाथ बनाया है। यही नहीं अंकित ने यह कृत्रिम हाथ बाजार से 99 प्रतिशत कम कीमत में तैयार किया। इस कृत्रिम हाथ को मंगलवार को जीजेयू में साइंस कॉनक्लेव में प्रेजेंट किया गया। कृत्रिम हाथ का मॉडल नेशनल इंस्पायर अवाॅर्ड के लिए भी सिलेक्ट हुआ है। अंकित इसे 14-15 फरवरी को दिल्ली आईआईटी में भी प्रेजेंट करेंगे।
सामान्यतः करीब 2 लाख की कीमत का कृत्रिम हाथ मिलता है, वहीं अंकित ने कुछ सामान्य घरेलू सामान लेकर इसे तैयार किया, जिस पर सिर्फ 1500 रुपये की लागत आई। जीजेयू में साइंस कॉन्क्लेव में प्रदेशभर से 1800 स्टूडेंट्स हिस्सा लेने पहुंचे हैं। दो दिन चलने वाली प्रदर्शनी में कई तरह के मॉडल प्रस्तुत किए गए हैं।
कृत्रिम हाथ में ये घरेलू सामान किया प्रयोग
अंकित ने एल्बो से लेकर उंगलियों तक का कृत्रिम हाथ तैयार किया है। इसमें सर्जिकल ग्लब्स में तीन गियर मोटर डाली गई हैं। दो मेटल की पाइप ली गई हैं जो करीब एक सेंटीमीटर मोटी हैं। एल्बो से लेकर कलाई तक दो पाइप डाली हुई हैं, एक गियर मोटर कलाई के लिए यूज की गई है। बाकी दो मोटर हाथ के लिए। दरवाजों में यूज किए जाने वाले कब्जे, तीन बैटरी व नी कैप से इसे कवर किया गया है। अंगुलियों में रबड़ भी यूज किया गया है। अंगुलियां मेटल की पाइप को वेल्ड करवाकर बनाई गई हैं। इन्हें गियर मोटर से कनेक्ट किया गया है। कृत्रिम हाथ को यूज करने के लिए हाथ में दो स्विच लगाए हैं, जिन्हें प्रेस करने पर कृत्रिम हाथ काम करता है।
दो साल में किया पूरा प्रोजेक्ट
रवि से मेरी दोस्ती जिंदल माॅडर्न स्कूल में 10वीं कक्षा में हुई थी। चार साल की उम्र में रवि का बायां हाथ चारा काटने वाली मशीन से कट गया था। उसे देख लगा कि उसका हाथ होना चाहिए, बस यहीं से मैंने ठान लिया और कृत्रिम हाथ बना दिया। रवि को कृत्रिम हाथ दिलवाने में पिता असमर्थ थे, इसलिए उसके पिता के अधिकारियों ने रवि के लिए करीब 2 लाख रुपए में कृत्रिम हाथ खरीदा था। 10वीं कक्षा में इंस्पायर स्कीम के तहत कृत्रिम हाथ बनाना शुरू किया था। 12वीं कक्षा में दाखिला लेने के बाद मेरा यह मॉडल सिलेक्ट हुआ था। 21 दिसंबर एससीआरटी गुड़गांव मे प्रेजेंट किया, यहां हरियाणा से 6 स्टूडेंट्स सिलेक्ट हुए थे। -अंकित, प्रोजेक्ट बनाने वाले 12वीं का छात्र, डीपीएस।
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