चंडीगढ़.पंजाबी कल्चरल कौंसिल ने अल्पसंख्यक, धार्मिक और भाषाई आयोग, अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं संबंधी राष्ट्रीय आयोग और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्रालय को लिखे पत्रों में आरोप लगाया है कि हिमाचल में कानूनी तौर पर दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त पंजाबी की जगह राज्य सरकार ने सीमित लोगों की तरफ से बोली जाने वाली संस्कृत भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा दे दिया है। यह सूबे में बसते लाखों पंजाबियों के साथ नाइंसाफी है।
सरकार ने संविधान की अनदेखी कर त्रिभाषाई फार्मूले का उल्लंघन किया है। कौंसिल के चेयरमैन हरजीत सिंह गरेवाल ने कहा है कि करीब दशक पहले हिमाचल सरकार ने पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिया था लेकिन मौजूदा सरकार ने उस फैसले को पलट दिया है।
कौंसिल किसी भी सूबे की क्षेत्रीय भाषा के कदाचित विरुद्ध नहीं लेकिन गुरुओं-पीरों की गुरमुखी भाषा के साथ भेदभाव सहन नहीं किया जा सकता। अल्पसंख्यक आयोग, राज्य सरकार या केंद्रीय मंत्रालय पंजाबी संबंधी तुरंत कोई फैसला लेने में असमर्थ रहते हैं तो कौंसिल उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
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