गैजेट डेस्क. 11 साल के बच्चे ने मोबाइल गेम पबजी पर रोक लगाने के लिए बांबे हाई कोर्ट में गुरुवार को जनहित याचिका दायर की है। अहद निजाम नाम के इस बच्चे ने अपनी याचिका में कहा है कि तेजी से बच्चों में लत बनकर फैल रहा पबजी गेम हिंसा, आक्रामकता और साइबर दबंगई को बढ़ावा देता है। अपनी मां के जरिये लगाई याचिका में निजाम ने हाई कोर्ट से इस गेम पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों से परीक्षा पर चर्चा के दौरान पबजी का उल्लेख किया था। जब एक मां ने कहा था कि बच्चा पढ़ाई नहीं करता तो पीएम मोदी ने पूछा था कि क्या पबजी वाला है? गुजरात में पबजी पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध भी लगा दिया है।
रिव्यू कमेटी बने, जो हिंसक कंटेंट की जांच करे
- याचिका की पैरवी कर रहीं वकील तनवीर निजाम ने कहा है कि इसमें केंद्र सरकार को ऑनलाइन एथिक्स रिव्यू कमेटी बनाने के आदेश देने की राहत भी मांगी गई है। यह समिति समय-समय पर इंटरनेट पर इस तरह के हिंसक कंटेंट की जांच करेगी।
- उधर, पबजी गेम को देखते हुए दिल्ली पब्लिक स्कूल ने अपने यहां एक साइबर रिसर्च टीम बनाई है। यह टीम देशभर के डीपीएस में बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखती है।
- इस बारे में मनोवैज्ञानिक का कहना है कि पबजी जैसे गेम ज्यादा खेलने से बच्चों के स्वभाव पर भी असर पड़ता है। ऐसे गेम खेलकर बच्चे ज्यादा उग्र हो जाते हैं। उनमें लड़ाई-झगड़े की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है।
क्या है पबजी गेम?
प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड या शॉर्ट में पबजी एक ऑनलाइन मल्टिप्लेयर गेम है। इसमें सभी को एक साथ एक आइलैंड पर उतारा जाता है। इसके बाद वे एक दूसरे को मारते हैं। जो अंत में बचता है, उसे विजेता माना जाता है। आइलैंड पर उन्हें हथियार और गाड़ियां सब खोजनी होती है। जैसे-जैसे गेम बढ़ता है, आइलैंड छोटा होता है और छुपने की जगह भी कम होती जाती है।
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