मुंबई. मध्य प्रदेश, जबलपुर स्थित गोल बाजार निवासी इशिता विश्वकर्मा (Ishita Vishwakarma) सिंगिंग रियलिटी शो 'सारेगामापा' (Sa Re Ga Ma Pa 2018) की विनर बन गई हैं। इशिता विश्वकर्मा को इनाम के तौर पर 'सारेगामापा-2018' की ट्रॉफी, हुंडई की सेंटो कार और पांच लाख रुपए प्राइज मनी मिली है। इशिता विश्वकर्मा (Ishita Vishwakarma) अपनी सफलता का श्रेय भगवान, अपने माता-पिता, गुरूजी और शेखर रिजवानी को देती हैं। इशिता से छोटी उनकी बहन अनुकृति है, लेकिन उसे म्यूजिक में कोई इंटरेस्ट नहीं है। विनर बनने के बाद इशिता (Ishita Vishwakarma) ने Dainikbhaskar.com से खास बातचीत की। पेश हैं उस चर्चा के अंश।
Q.1 विनर बनने तक का सफर कैसा रहा?
A. इशिता विश्वकर्मा बताती हैं, "आज से पांच साल पहले मैं ‘सारेगामापा लिटिल चैंप’ की पार्ट थी। उस समय टॉप-12 से एनिमेट हो गई, बहुत दुख हुआ। घर लौटकर खूब रोई। उसी वक्त मैंने कसम खाई कि दोबारा लौटकर जरूर आऊंगी और जीतकर जाऊंगी। कभी सोचा नहीं था कि जिद्द में कही बात पर इतनी मेहनत कर जाऊंगी कि सच में मुझे विनिंग टॉफी मिल जाएगी।"
Q.2 इन पांच वर्षों के बीच क्या किया?
A. "मैं सारेगामापा लिटिल चैंप से लौटने के बाद खाली नहीं बैठी। सचिन पिलगांवकर की एक मूवी में प्ले बैक सिंगिंग करने के साथ मराठी इंडस्ट्री में काफी काम किया। ‘जी’ के साथ कई शोज किए, रियाज किया और जगह-जगह काफी कुछ जाकर सीखा। मैंने बहुत सारे सिंगिंग रियलिटी शो में जाने का ट्राई किया। शायद ही कोई रियलिटी शो छोड़ा हो। मैंने सक्सेस से ज्यादा रिजेक्शन फेस किया। लेकिन सारेगामापा में जाकर सफलता मिली।
Q.3 फेलियर को कैसे फेस किया?
A. "फेलियर से बहुत कुछ सीखा। हमेशा यही सोचती थी कि फेलियर से बहुत कुछ सीखना चाहिए। हर फेलियर से मोिवेशन लिया। मैंने अपने फेलियर को डी-मोटिवेशन नहीं, मोटिवेशन के तौर पर लिया। मैं आगे बढ़ती गई। मेरी सोच सही थी, इसलिए यहां तक आई। अच्छा हुआ कि और जगह सिलेक्ट नहीं हुई, क्योंकि मुझे यहां पर विनर बनना था। टूटे हुए प्रतिभागियों को मैं ये कहना चाहूंगी कि दुखी होने की जरूरत नहीं है। यह सब चीजें किस्मत का खेल होती है।
भगवान पर भरोसा रखो, वह बहुत बड़ी चीज होती है। उसी के कारण इतनी सारी सफलता मिलती है।"
Q.4 आपका संगीत के प्रति शौक और सपना कब जागा? साथ ही आपने किनसे संगीत शिक्षण लिया?
A. "एक्चुअली, मुझसे पहले ये मेरी मम्मी-पापा का सपना था। मम्मी तेजल विश्वकर्मा भी गाती हैं मेरे पापा अंजनि कुमार साउंड रिकॉर्डिस्ट हैं। उनका जबलपुर में साउंड रिकॉर्डिंग है। मम्मी-पापा दोनों म्यूजिक क्षेत्र में हैं, इसलिए उन्होंने मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। घर में म्यूजिक का न सिर्फ इनवायरमेंट था, बल्कि म्यूजिक मेरे खून में आया था। मेरे गुरुजी का नाम श्री प्रकाश वेरुलकर और डॉ. शिप्रा शिल्लेरे है। ये जबलपुर में रहते हैं। मुझे गुरुओं ने हमेशा से
बहुत प्यार दिया है। जितना महंगा मुंबई में सीखना है, उतना जबलपुर में महंगा नहीं है। मेरे मम्मी-पापा ने भी मुझे म्यूजिक में बहुत सपोर्ट किया।"
Q.5 आप अपनी इस जीत का कितना पर्सेंट श्रेय खुद लेंगी और कितना कितना पर्सेंट औरों को देंगी?
A. "अपनी जीत का क्रेडिट मेंटर्स को दूंगी, जिन्होंने पूरे सीजन में मुझे सिखाया। भगवान को भी शुक्रिया कहूंगी, क्योंकि उनके आशीर्वाद से इतना बड़ा स्थान मिला। अपने आपको नहीं कह सकती, मेरी पूरी मेहनत भगवान ने सफल कर दी। पूरे शो में ऐसे कई सारे परफॉर्मेंस हैं, जो मुझे बहुत पसंद आए। लेकिन बेस्ट परफॉर्मेंस शाहरुख सर के सामने हुआ था। ‘रब बने बना दी जोड़ी’ में मुझे ज्यूरी से भी 100 पर्सेंट मिला था। सबने खूब सराहा। शाहरुख सर ने मुझे बहुत
अच्छा कमेंट दिया था। उन्होंने ‘तुझमें रब दिखता है’ का टाइटल दिया था। मुझे बोला कि मेरी वाइस बहुत मधुर है।"
Q.6 आगे क्या करने और बनने का विचार है?
A. आगे प्लेबैक करने की उम्मीदें रखती हूं। मैं अपने लक से ज्यादा मेहनत पर भरोसा रखती हूं। मेरी कोशिश होगी कि इस सक्सेस के बाद प्लेबैक सिंगर बन पाऊं और मुझे एक स्थान मिले। मैं शेखर रिजवानी सर को रियली थैंक्यू कहूंगी। शेखर सर बहुत अच्छे हैं। उन्होंने मुझे न सिर्फ अच्छे-अच्छे गाने सिखाए, रिहर्सल करवाए, बल्कि छोटी-छोटी टेक्निकल की बारीकियों से भी अवगत करवाया।
(उमेश कुमार उपाध्याय की रिपोर्ट)
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