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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

डिजिटल कंटेंट पर असर डालेंगे ये 5 ट्रेंड: उमंद बेदी

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जियो के लॉन्च ने डेटा की कीमतें एकदम से नीचे ला दीं। इससे इंटरनेट सारे भारतीयों के दायरे में आ गया और डिजिटल बिज़नेस में निवेश बढ़ गया। आज डिजिटल क्षेत्र 30-35 फीसदी की संयुक्त एकीकृत वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है और वृद्धि का अगला चरण मोबाइल आधारित क्षेत्रीय बाजारों से अपेक्षित है। अब जब क्षेत्रीय बाजार डिजिटल बिज़नेस का मुख्य फोकस बन रहा है तो क्या क्षेत्रीय भाषाओं के कंटेन्ट की अत्यधिक मांग है? इसका जवाब तो असंदिग्ध रूप से ‘हां’ ही है। 2017 तक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मुख्यत: अंग्रेजी भाषा के कंटेन्ट की मांग थी। लेकिन, 2018 से स्थानीय भाषा का कंटेन्ट न सिर्फ निर्मित हो रहा है बल्कि इसकी खपत भी हो रही है। 2019 में भी कंटेन्ट निर्मिति और उसकी खपत के पैटर्न में बदलाव होता रहेगा। इस पृष्ठभूमि में आइए, पांच ऐसे इंटरनेट ट्रेंड्स पर विचार करें, जो 2019 में मोबाइल आधारित डिजिटल कंटेन्ट बिज़नेस को प्रभावित करेंगे।

  1. भाषाई कंटेन्ट डिजिटल भारत का भविष्य सिद्ध हो रहा है। इन संभावनाओं के दोहन के लिए कई स्थानीयकृत एप्स और सेवाओं की एकदम जमीन से शुरुआत की गई है। जैसे Circle और Lokal जैसे हाईपर लोकल वर्नाक्यूलर न्यूज़ एप। इन्होंने वीडियो स्निपेट्स का इस्तेमाल शुरू भी कर दिया है, क्योंकि वीडियो कंटेन्ट की अत्यधिक मांग है। फिर यह भी है कि सोशल नेटवर्क हो या न्यूज़ एग्रीगेटर्स शायद ही ऐसा होता हो कि यूज़र एक भी वीडियो देखे बिना उनके कंटेन्ट को देखता हो। केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 तक 80 फीसदी वैश्विक इंटरनेट खपत वीडियो कंटेन्ट के रूप में होगी। स्पष्ट है कि सारे ट्रेंड यही बताते हैं कि ऑनलाइन खपत वाले कंटेन्ट में वीडियो सबसे पसंदीदा स्वरूप होगा। इसके साथ-साथ हम इंटरनेट का पहली बार उपयोग करने वाले गैर-अंग्रेजी यूज़र का सैलाब आते देख रहे हैं। इसे देखते हुए कई कंटेन्ट प्लेटफॉर्म्स ने ऐसे ग्राहकों की विविध जरूरतों व चुनौतियों से निपटने के लिए बहु-भाषा नीति लागू की है। मसलन, नेटफिल्क्स ने आमदनी में हिस्सेदारी और रिकॉल बढ़ाने के लिए भाषाई सब-टाइटल्स के माध्यम से स्थानीयकरण पर फोकस किया है।

  2. डिजिटल एडवर्टाइजिंग में क्रांति आ गई है, इसलिए इसमें आगे रहना महत्वपूर्ण है। व्यावसायिक घरानों को अहसास हो रहा है कि उच्च प्रभाव वाले मीडिया का होना अब सिर्फ अच्छी बात नहीं रह गई है बल्कि इसका होना ब्रैंड्स के लिए निर्णायक हो गया है। संभावना है कि वीडियो एडवर्टाइजिंग का सबसे शक्तिशाली माध्यम रहेगा, क्योंकि वे सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करने वाले प्लेटफॉर्म हैं। यह कनवर्शन रेट (व्यूवर से खरीददार बनने की दर) भी बढ़ाता है।
    नवीनतम ‘ग्रुप एम’ रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में देश में विज्ञापन खर्च 14.2 फीसदी की दर से बढ़ेगा। इसकी तुलना में औसत वैश्विक वृद्धि दर 3.9 फीसदी रहेगी। विज्ञापन बजट में डिजिटल वीडियो विज्ञापनों का बड़ा हिस्सा होगा। इसमें भी मोबाइल व सोशल वीडियो एडवर्टाइजमेंट विज्ञापनदाताओं की पसंद में शीर्ष पर होंगे। इसके अलावा अपेक्षा है कि ब्रैंड्स ‘मोमेंट्स मार्केटिंग’ पर फोकस करेंगे। यह संदर्भ को संबंधित संकेतों से जोड़कर लक्षित ग्राहकों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक वीडियो एडवर्टाइजिंग कंटेन्ट डिलीवर करता है।

  3. डेटा संचालित अंतर्दृष्टि, डिजिटल टेक्नोलॉजी और हर जगह मौजूद मोबाइल कंप्यूटिंग भारतीय डिजिटल कंटेन्ट बिज़नेस का स्वरूप बदल रही है। जहां 2018 ऐसा साल था, जिसमें ब्रैंड्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और ब्लॉकचेन अप्लिकेशन में प्रयोग शुरू किए, वहीं 2019 के साल में वे इसे व्यवस्थित रूप दे देंगे। एआई/एमएल संचालित टेकनीक बेहतर ट्रेंड विश्लेषण, कस्टमर की बेहतर प्रोफाइलिंग, पर्सनलाइजेशन की अत्याधुनिक रणनीतियों के जरिये ग्राहक केंद्रित हो जाएगी। ये सब और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के मुख्यधारा में आने की संभावना है। कंपनियां अब यह देख रही हैं कि वे टेक्नोलॉजी का उपयोग यह जानने के लिए कैसे कर सकती हैं कि संभावित ग्राहक किस प्रकार का कंटेन्ट पसंद कर रहे हैं ताकि ग्राहकों को अधिक व्यक्तिगत अनुभव और अत्यधिक संतुष्टि दी जा सके।

  4. भारतीय बाजार इस बारे में अनूठा है कि इसमें ऐसे कंटेन्ट की पहचान करनी होती है, जो उसकी विविध आबादी का ध्यान खींच सके। 2019 में भारत में ऑनलाइन कंटेन्ट की खपत बढ़ेगी और इसमें ‘खबर’ के सेगमेंट का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। फिर भारत में कंटेन्ट कंजम्प्शन के पैटर्न को सावधानी से देखें तो पता चलता है कि कंटेन्ट की गति, मात्रा और सत्यता ही इसकी सफलता पर असर डालेगी। अधिकाधिक डिजिटल कंपनियां फर्जी व सच्चे न्यूज़ कंटेन्ट के अंतर जैसे कारकों का संज्ञान लेंगी। यह प्रमुख तत्व होगा, जो चुनावी वर्ष में कंटेन्ट की दीर्घावधि टिकाऊ सफलता तय करेगा।

  5. भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में अपने अत्यंत किफायती डेटा व वॉइस ऑफरिंग से उथल-पुथल मचाने के बाद 2019 में सारी निगाहें रिलायंस जियो पर हैं, जो अब ब्राडबैंड मार्केट में तूफान लाने के लिए तैयार है। व्यापक बाजार, हाई स्पीड, इंटरनेट आधारित टेलीविजन प्रोग्राम (फाइबर टू द होम यानी एफटीटीएच) के साथ वायर्ड ब्राडबैंड सर्विस भारत में टेलीविजन देखने या इंटरनेट कंटेन्ट के इस्तेमाल के तरीके में बदलाव ला देगी।

  6. कुल-मिलाकर उम्मीद है कि जियोगिगाफाइबर ब्राडबैंड सेवाएं देश में एफटीटीएच इंडस्ट्री के मौजूदा स्वरूप को बदल देंगी। फिर जियोगिगाफाइबर के उभरने को एप या सॉफ्टेवयर आधारित कंटेन्ट फॉर्मेट की बढ़ती लोकप्रियता के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। 2019 टीवी चैनल्स से एप आधारित कंजम्प्शन में बदलाव का है। यह वर्ष 5 जी लाने की तैयारी का भी है। यह महत्वपूर्ण ट्रेंड भारत के मीडिया व मनोरंजन उद्योग में उथल-पुथल मचा देगा। निष्कर्ष यह है कि इस साल कंपनियां नवीनतम टेक्नोलॉजी के माध्यम से कंटेन्ट की शक्ति का दोहन करेंगी। उभरते इंटरनेट और नई रणनीतियों के सहारे मोबाइल आधारित ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना साकार किया जाएगा।

    (ये लेखक के अपने विचार हैं)
    उमंग बेदी प्रेसिडेंट, डेली हंट व पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर, फेसबुक इंडिया

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