नई दिल्ली.दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कैलाश गंभीर ने हाईकोर्ट के दो जजों को प्रमोट कर सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश का विरोध किया है। कॉलेजियम के फैसले का विरोध करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी है। जस्टिस (रिटायर्ड) गंभीर ने कहा है कि 32 सीनियर जजों की अनदेखी कर जस्टिस संजीव खन्ना और दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करना ऐतिहासिक भूल होगी।
गंभीर ने लिखा, “11 जनवरी को मैंने खबर पढ़ी कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की है।पहली नजर में मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन यही सच था।’ जस्टिस गंभीर ने खास तौर पर जस्टिस खन्ना के प्रमोशन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में उनसे सीनियर तीन जज और हैं। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजना गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं संजीव खन्ना
इमरजेंसी के समय एडीएम जबलपुर के चर्चित केस में दिवंगत जस्टिस एचआर खन्ना ने चार जजों की बहुमत की राय से असहमति का फैसला दिया था। इस कारण बाद में सीजेआई पद के लिए उन्हें अनदेखा किया गया था। उन्होंने बहुमत के फैसले में इस राय का समर्थन नहीं किया था कि कुछ परिस्थितियों में मौलिक अधिकारों में कटौती की जा सकती है। जस्टिस गंभीर ने कहा कि जिस तरह जस्टिस खन्ना की अनदेखीको भारतीय न्यायपालिका में काला दिन माना गया है, उसी तरह 32 सीनियर जजों की अनदेखी करजस्टिस खन्ना को प्रमोट करना एक और काला दिन होगा। कानूनी हलकों में माना जा रहा है कि जस्टिस एचआर खन्ना के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उनके भतीजे जस्टिस खन्ना का प्रमोशन किया गया है।
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