चंडीगढ़ (संजीव महाजन).राजेश कालिया को मेयर कैंडिडेट बनाने के बाद से ही पार्टी की शहर में काफी आलोचना हो रही है। अब सामने आने लगा है कि कालिया न सिर्फ पुलिस फाइल में बैड करेक्टर और सजायाफ्ता अपराधी है, बल्कि उन पर दोस्त से 10 लाख रुपए लेकर वापस न देने के आरोप भी हैं। इसमें कोर्ट ने उनकी सैलरी तक अटैच करने के आदेश निगम कमिश्नर को दिए हैं।
अब मामला और अजीब बन गया है। क्योंकि बीजेपी बहुमत में है और कालिया अगर मेयर बनते हैं तो काफी कुछ अजीब होने वाला है। 12 महीनों के मेयर के कार्यकाल के दौरान अगले 11 महीने तक कालिया पुलिस की निगरानी में रहेंगे। क्योंकि पुलिस को उनके कैरेक्टर पर अब भी शक है।
दूसरा कोर्ट ने अब नगर निगम के कमिश्नर की ही ड्यूटी लगाई है कि वह ध्यान रखे कि कालिया अपनी सैलरी का एक पैसा भी निकाल न सकें। वहीं, हाईकोर्ट में कालिया पर चेक बाउंस की याचिका अलग से चल रही है। उधार लिए पैसे वापस न देने के मामले में सिविल सूट के रिकवरी केस में जिला अदालत ने 1 दिसंबर को ही कालिया की सैलरी अटैच करने के लिए निगम के कमिश्नर को चिट्ठी लिखी है।
कोर्ट ने कहा है कि 31 जनवरी 2019 को सैलरी अटैच कर बताओ। कोर्ट ने कहा कि जब तक सैलरी से 13.57 लाख रुपए नहीं पूरे होते, तब तक उसकी सैलरी अटैच की जाए। सूत्रों की माने तो पहले तो नगर निगम के लॉ ऑफिसर ने काेर्ट के आदेशों पर लिखा कि चूंकि कालिया सैलरी नहीं लेते, वह तो बतौर काउंसलर लिए गए अपने काम का भत्ता लेते हैं। इसलिए उनकी सैलरी अटैच की ही नहीं जा सकती। जबकि बाद में कमिश्नर ने सैलरी अटैच करने के लिए कहा है।
सेक्टर-38 निवासी हरीश ने राजेश कालिया के खिलाफ आईपीसी की धारा 138 यानि चेक बाउंस का केस जिला अदालत में 2014 में लगाया था। हरीश ने आरोप लगाया कि उसने कालिया को 2014 में यूटी पुलिस के डीएसपी चरणजीत सिंह विर्क के कहने पर 10 लाख का फ्रैंडली लोन दिया था।
कालिया ने उसे वापस देने का वादा किया था और उसकी एवज में उसने 10 लाख का चेक दिया। लेकिन वह बाउंस हो गया। इस केस में पहले कालिया भगोड़ा घोषित हुए और 2016 में अपना नामांकन भरने से पहले वे जिला अदालत में सरेंडर कर गए। इस केस में कालिया को क्लीनचिट तो मिल गई। जबकि कोेर्ट के कायदे के अनुसार हरीश ने सिविल जज सलोनी गुप्ता की कोर्ट में रिकवरी सूट डाला। इस पर कालिया के खिलाफ कोर्ट ने एक्स पार्टी आर्डर सुनाया और 1 दिसंबर को कालिया की सैलरी अटैच करने के आदेश जारी किए।
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