वॉशिंगटन. अमेरिका के इंटेलिजेंस अफसर ने कहा है कि चीन जमीन, हवा और समुद्र में हमला करने के लिए उच्च क्षमताओं वाली सेना बना रहा है। इसे वह जल्द ही क्षेत्र और उसके बाहर भी तैनात करेगा। अफसर का दावा है कि चीन के नेताओं का मकसद देश को ज्यादा से ज्यादा ताकतवर बनाना है, इसके लिए सेना के आधुनिकीकरण के लिए जोर दिया जा रहा है।
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वॉशिंगटन में पेंटागन न्यूज कॉन्फ्रेंस में सीनियर डिफेंस इंटेलिजेंस एनालिस्ट डेन टेलर ने बताया, बीते दशक में चीन ने अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खत्म करने के लिए सेना भेजी। इसके अलावा वह पूर्व और दक्षिण चीन सागर में भी सेना की मौजूदगी बढ़ा रहा है। चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का इस्तेमाल ताकत दिखाने वाले उपकरण के रूप में करना चाहता है।
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अमेरिकी विश्लेषक के मुताबिक- पीएलए के उपकरण और क्षमताओं में इजाफा किया जा रहा है। इसका मकसद ग्लोबल सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखकर युद्ध लड़ने की ताकत को बढ़ाना है।
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टेलर के मुताबिक- भविष्य में परमाणु ऊर्जा, साइबरस्पेस, अंतरिक्ष और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पैक्ट्रम पीएलए की क्षमताओं के अहम घटक बनेंगे। इसके अलावा चीन गैर-युद्धक क्षेत्रों जैसे मानव सहयोग, आपदा राहत, शांति मिशनों के लिए भी क्षमताएं विकसित कर रहा है। कुल मिलाकर पीएलए को अन्य देशों की सेनाओं की तुलना तकनीकी रूप से ज्यादा बेहतर बनाने की कवायद की जा रही है।
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रिपोर्ट के मुताबिक- चीन मध्यम और लंबी दूरी के स्टील्थ बॉम्बर्स भी बना रहा है, इससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय देशों को जद में रखा जा सकेगा। 2025 तक ऐसे विमान ऑपरेशन में आ जाएंगे।
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टेलर का कहना है कि चीन के नेताओं का 21वीं सदी के शुरुआती दशकों में अंतरराष्ट्रीय रणनीति बनाने पर जोर रहेगा ताकि आगे चलकर उनका देश खुद को ताकतवर साबित कर सके। इसके लिए चीन का पूरा फोकस सेना की ताकत बढ़ाने पर रहेगा।