मुंबई. वेटरन एक्टर और कॉमेडियन (Comedian) कादर खान(Kader Khan) हमारे बीच नहीं रहे। 31 दिसंबर 2018 को शाम करीब 6 बजे (कनाडा के समय के मुताबिक) कनाडा (Canada) के एक हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कादर के निधन की खबर सुन बॉलीवुड में उनके सबसे करीब रहे शक्ति कपूर(shakti Kapoor) सदमे में हैं। शक्ति कपूर की मानें तो कादर खान आखिरी वक्त में काफी अकेले हो गए थे और यही अकेलापन उन्हें खा गया। शक्ति बोले- पता नहीं क्यों लोग एक एक्टर क मरने के बाद ही याद करते हैं…
– शक्ति कपूर ने एक बातचीत में कहा, "मैंने अपना आधा एक्टिंग करियर कादर खान के साथ गुजारा। हमने साथ में 100 से ज्यादा फिल्में की। इतनी फिल्में किन्हीं और दो को-स्टार्स ने साथ नहीं की होंगी।" शक्ति ने फटकार भरे लहजे में कहा, "अब जब कादर चले गए हैं तो फिल्म इंडस्ट्री उनके बारे में सोच रही है। जब एक एक्टर ज़िंदा होता है तो लोग उसके बारे में क्यों नहीं सोचते? क्यों लोग उसे मरने के बाद ही याद करते हैं? लोग तब कुछ अच्छा क्यों नहीं बोल सकते, जब एक एक्टर काम कर रहा है या बीमार है या फिर स्ट्रगल कर रहा है? बस एक्टर के बारे में तब बात शुरू कर देते हैं, जब वह मर जाता है।"
क्यों कादर खान को अकेला छोड़ दिया गया था?
– शक्ति कपूर ने अपने स्टेटमेंट में सवाल भी उठाया है कि आखिर क्यों कादर खान को अकेला छोड़ दिया गया था? बकौल शक्ति, "जब कादर खान पिछले दशक से काम नहीं कर रहे थे और बीमार थे तो किसी को उनकी खास परवाह नहीं थी। क्यों उन्हें अकेला छोड़ दिया गया था? आखिर क्यों किसी एक्टर को तब अकेला छोड़ दिया जाता है, जब वह कुछ खास नहीं कर रहा होता या फिर बीमार पड़ जाता है? कादर आर्थिक रूप से सक्षम थे, लेकिन वे बहुत अकेले थे। क्योंकि जब वे बीमार पड़े तो लोग उन्हें देखने तक नहीं पहुंचे और न ही किसी ने उनके साथ समय बिताया। उन्हें उनकी फैमिली के भरोसे अकेला छोड़ दिया गया था।"
कमबैक की प्लानिंग कर रहे थे कादर
– शक्ति कपूर ने आगे कहा, "जब भी मैं उनसे बात करता था तो वे कहते थे- 'मैं फिल्मों में साहसिक रूप से कमबैक करूंगा, सिर्फ इस वजह से कि नई जनरेशन को जुबान सिखा सकूं। यह बता सकूं कि डायलॉग डिलीवरी क्या होती है और कैसे आपके मुंह से शब्द रोज (Rose) और बटरफ्लाई की तरह निकलने चाहिए। आज के एक्टर जो बोलते हैं, उसमें से आधा समझ ही नहीं आता। मैं नई जनरेशन को एक्टर्स की भाषा सिखाना चाहता हूं।' मुझे हमेशा लगता था कि वे स्ट्रॉन्गली कमबैक करेंगे। मुझे लगता था कि वे बीमारी से आसानी से लड़ लेंगे। मुझे उनके मुंबई लौटने का पूरा भरोसा था और उम्मीद थी कि एक दिन हम जरूर साथ काम करेंगे। लेकिन यह हो न सका।"
– शक्ति के मुताबिक, "मैं उन्हें मसीहा कहता था। उन्हें भगवान का भेजा हुआ संत कहत था। मैं हमेशा उनसे कहता था कि आप मेरे गुरू हैं। उनके पैर छूता था। हम बेस्ट फ्रेंड थे… वे हमेशा ज्ञान और सच्चाई की बात करते थे। वे शांति और खुशहाली चाहनेवालों में से थे। मैं चाहता हूं कि दुनिया उन्हें अच्छे, पढ़े-लिखे और हार्ड वर्क करने वाले इंसान के तौर पर याद करे।" बतादें कि कादर और शक्ति ने 'बाप नंबरी बेटा दस नंबरी', 'जैसी करनी वैसी भरनी', राजा बाबू', 'कुली नंबर 1, 'आंखें' और 'तकदीरवाला' समेत करीब 100 से ज्यादा फिल्मों में साथ काम किया था।
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