अमृतसर (शिवराज द्रुपद).हावड़ा-अमृतसर मेल में शुक्रवार रात बच्चे को जन्म देने के बाद उसकी मां ने ट्रेन के टॉयलेट में उसके गले में चुन्नी का फंदा लगाकर फ्लश में ठूंस दिया। बच्चा पूरी तरह मेच्योर होने के बाद पैदा हुआ था। हेल्दी होने के कारण फ्लश करने के बाद भी ट्रेन से नीचे नहीं गिरा और फ्लश पाइप में ही करीब 12 घंटे तक फंसा रहा।
इसके बाद शनिवार दोपहर को सफाईकर्मियों ने देखा तो नवजात को निकालकर अस्पताल पहुंचा और उसके लिए गर्म कपड़ाें की व्यवस्था की। पुलिस को जानकारी दे गई है। बच्चे की मां का अभी पता नहीं चल पाया है। वहीं, नवजात की जिंदगी बचाने वाले हीरो कह रहे हैं कि अगर बच्चे को कोई पालने वाला न मिले तो प्रशासन उन्हें बच्चा सौंप दे उसे हम अपने बच्चे जैसा लाड प्यार देंगे।
डाॅक्टरों ने कहा-लाए थे तब ठंड से परेशान था अब पूरी तरह स्वस्थ है : जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ की कहावत हावड़ा मेल की बी-3 कोच के टॉयलेट के फ्लश में मिले नवजात पर सटीक बैठती है। दोपहर पौने दो बजे के करीब ट्रेन अमृतसर रेलवे स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन खाली होने के बाद सफाई प्रक्रिया शुरू की गई।
मैं बोगियों को चेक करते हुए बी-3 में पहुंचा और फ्लश का निरीक्षण करने के लिए वाशरूम का दरवाजा खोला तो देखा कि फ्लश में कोई चीज फंसी हुई है। पास जाकर देखा तो बच्चा था। उसके गले में चुन्नी का फंदा लगा हुआ था। साबी ने तत्काल अपने साथियों भरत कुमार और सन्नी को आवाज लगाई।
इसके बाद हमने बच्चे को सावधानी से निकाला। देखा तो सांसें चल रही थीं, लेकिन ठंड से उसकी स्थिति खराब हो रखी थी। इसके बाद हमने बिना किसी देरी के उसे जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में तैनात डॉक्टरों और स्टाफ ने भी बिना देरी किए इलाज शुरू कर दिया। इसके साथ ही सभी ने मिल कर बच्चे के लिए गर्म कपड़े की व्यवस्था की।
-जैसा कि सफाई इंचार्ज गुरदेव सिंह साबी ने बताया
आधी रात के बाद हुआ बच्चे का जन्म :डॉक्टरों के मुताबिक बच्चा पूरे वक्त पर पैदा हुआ है और हेल्दी है लेकिन सर्दी लगने से उसकी स्थिति नाजुक थी। फिलहाल इलाज के बाद वह सामान्य हो गया है। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया और उसने मामले की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। संभवतया महिला ने बच्चे को डिलीवरी के बाद मारने की नीयत से फ्लश में फंसाया था, लेकिन होल पतला होने से नीचे नहीं गिर सका। अनुमान है कि बच्चे का जन्म शुक्रवार की देर रात हुआ होगा।
बच्चे को पंघूड़े मेंन भेजो, हमें दे दो :बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है और डाक्टरों की निगरानी में है। लेकिन उसे अब पालेगा कौन? यह सवाल पैदा हो गया है। जहां अस्पताल और पुलिस नवजात को पंघूड़ा भेजने की कवायद कर रहा है। वहीं दूसरी ओर बच्चे को ट्रेन के फ्लश से निकालकर अस्पताल लाकर जान बचाने वाले इंचार्ज गुरदेव सिंह साबी और उनके साथियों ने कहा कि अगर प्रशासन इजाजत दे तो हम लोग खुद अपने बच्चे की तरह से उसकी परवरिश करने को तैयार हैं। कोई अगर बच्चे को न ले तो हमें ही दे दो।
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