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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हरियाणवी पंडाल में हरियाणवी नृत्य संध्या में लोक संस्कृति की दिखी अनूठी झलक

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कुरुक्षेत्र.गीता महोत्सव में हरियाणवी पंडाल में हरियाणवी नृत्य संध्या में लोक संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिली। फागण, धमाल, लूर, खोडिय़ा, रसिया, घुम्मर, सपेरा, बागड़ो, गुग्गा लोक नृत्यों पर दर्शक झूमते दिखे। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणवी पंडाल में हरियाणवी लोकनृत्य संध्या आयोजन का उद्देश्य हरियाणवी संस्कृति में रचे बसे हरियाणा के अलग-अलग लोक नृत्यों को दर्शकों से रूबरू कराना था।

कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, सामाजिक न्याय मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, लाडवा के विधायक डॉ. पवन सैनी ने कलाकारों को 11-11 हजार रुपए इनाम दिया। हरियाणा के सात-सात फुट के दो गब-रु दिनेश भल्ला और जितेन्द्र मोर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हैं। पर्यटकों में इनके साथ सेल्फी खिंचवाने की होड़ रहती है। वहीं रविवार को पड़काला, बटुआ, जसत्ती, टांड, तकियाला, लामण, छुच्छक, लैअह, छायमा, दुकानिया, सौंपली, खारा, कांटाबिलाई, पग्गड़, घप्पड़चौथ, चासडू, एंडी, सुरातिया, डोल, गडग़ोई, डेगचा, कापण, पुसतड़ा, मूण, बिलौणी, चड़स, चाखड़ा, झाम्म, दंताली, कड़ी, सार, बोरला, कंठी आदि शब्दों के अर्थ पूछे गए। विजेताओं को दो-दो लड्डू देकर सम्मानित किया।

हरियाणवी पंडाल में 9 साल के छात्र भरत वत्स, डॉ. प्रवीण कादियान तथा रागनी गायक पाले राम ने हरियाणवी रागनियों की प्रस्तुति दी। राजकीय प्राइमरी स्कूल नारनौंद के चौथी कक्षा के छात्र भरत वत्स ने हरियाणवी रागनी गाई। डॉ. प्रवीन कादियान ने हरियाणवी लोक संस्कृति से जुड़ी हुई रागनियां प्रस्तुत की।

पाले राम ने महाभारत के किस्सों पर रागनियां प्रस्तुत की। बाबा धूनीनाथ ने भी ठेठ रागनियां गाकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। 8 तारीख को सांय 6 बजे गायन शैलियों जिनमें चमोला, बहरे तबील, काफिया, अली बख्श चमोला, सोहणी, कड़ा, मंगलाचरण, चौपाई, शिव स्तुति, गंगा स्तुति, गुग्गा स्तुति शब्द, ख्याल, लामणी, हाथरसी चमोला, आल्ला, सोरठा, निहालदे, झूलणा, ढोला, ढोली, उल्टबांसी, पटका, बारामासा, नौ दो ग्यारह, त्रिअक्षरी, दौड़, रागनी, राधेश्याम, साक्खी, छोटा देश, साका, नशीरा, देव स्तुति, दोहा, हरियाणवी भजन गायन शैलियों की प्रस्तुति होगी।

70 साल के बुड्ढों ने उठाए 80-80 किलो के बैलगाड़ी के पहिए :
गीता महोत्सव में हरियाणवी पंडाल में 70 साल के दो बुजुर्गों ने 80-80 किलो के बैलगाड़ी के दो पहियों को उठाकर आपस में भिड़ा कर अपनी ताकत दिखा लोगों को हैरत में डाला। गांव लोदर के 70 साल के छाज्जू राम तथा एक अन्य बुजुर्ग टेकराम ने बैलगाड़ी के दोनों पहिए उठा यह कमाल किया।

पर्यटकों ने सीटों से खड़े होकर तालियां बजाई। इस मौके पर डॉ. महासिंह पूनिया ने दोनों बुजुर्गों को मंच पर सम्मानित किया। जब बुजुर्गों से इस उम्र में ताकत का राज पूछा तो कहा कि उन्होंने बचपन में देसी घी बहुत खा रखा है। पूनिया ने कहा कि देसां म्ह देस हरियाणा, जित दूध दही का खाणा यदि किसी को देखना है तो उनको हरियाणा पंडाल में आना चाहिए।

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कुरुक्षेत्र . गीता महोत्सव में पुरुषोत्तमपुरा बाग में बुजुर्गों ने उठाए 80 80 किलो के पहिये।