शनि शर्मा (रोहतक).डायबिटीज के मरीजों को दांतों का उपचार कराने के लिए घाव न भरने से घबराने की जरूरत नहीं है। अब डायबिटीज के मरीज भी पीजीआई के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल कॉलेज में दांतों की आरसीटी यानि रूट कनाल ट्रीटमेंट करा सकेंगे।
पीजीआईडीएस के डॉक्टरों ने रिसर्च कर साबित कर दिया है कि डायबिटीज के मरीजों का आरसीटी के जरिए उपचार संभव है। इस रिसर्च को यूएसए के प्रतिष्ठित जरनल ऑफ एंडोडोंटिक्स में प्रकाशित किया गया है। पीजीआईडीएस के प्रिंसिपल डॉ. संजय तिवारी ने बताया कि संस्थान में करीब एक साल पहले डायबिटीज से पीड़ित एक मरीज दांतों की आरसीटी कराने आया था। आरसीटी की जरूरत उस समय पड़ती है, जब दांत में संक्रमण फैलकर नस से हड्डी तक चला जाता है। ऐसे में मरीज को असहनीय दर्द होता है।
मरीज की जांच में सामने आया कि उसे डायबिटीज भी है। इसके बाद भी डॉक्टरों ने मरीज का उपचार किया और कुछ समय बाद उसकी आरसीटी सफल हुई। इसके बाद संस्थान की डॉ. सुमन आर्य ने डायबिटीज के मरीजों में आरसीटी के उपचार की संभावना तलाशने को लेकर सीनियर डॉ. जिज्ञासा दूहन की गाइडेंस में 60 लोगों को रिसर्च में शामिल किया। 30-30 लोगों के दो समूह बनाकर एक में उन मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें डायबिटीज के अलावा दांतों की बीमारी है। दूसरे में केवल दांतों की बीमारी के मरीजों को शामिल किया गया। दोनों ही समूह के मरीजों को आरसीटी की जरूरत थी। कुल लोगों के स्टडी में शामिल नहीं होने की वजह से बाद में डायबिटीज के समूह में 21 और नॉन डायबिटीज के समूह में 25 मरीजों को शामिल किया गया। फिर कुल 46 मरीजों पर रिसर्च की गई।
डायबिटीज के मरीजों को कोई चोट लगने पर घाव भरने में बहुत समय लग जाता है। इसी मानसिकता के कारण डायबिटीज से पीड़ित मरीज दांतों का उपचार कराने में हिचकिचाते है और पीड़ा झेलते रहते हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए संस्थान में रिसर्च की गई है।
आंकड़ों पर एक नजर :कुल मरीज 60
डायबिटीज समूह
- कुल मरीजों की संख्या 30
- फॉलोअप कराने नहीं आए 07
- 7 में से संपर्क नहीं किया 04 फॉलोअप से इनकार 03
- आरसीटी सफल नहीं हुई 02
- अंतिम में रिसर्च हुई 21
नॉन डायबिटीज
- कुल मरीजों की संख्या 30
- फॉलोअप कराने नहीं आए 05
- मरीजों से संपर्क नहीं हुआ 03
- फॉलोअप से इनकार 01
- इनमें महिला गर्भवती थी 01
- अंत में रिसर्च में शामिल किया 25
डायबिटीज के मरीजों में भी आया 90 फीसदी सुधार
गाइड डॉ. जिज्ञासा दूहन ने बताया कि एक साल की रिसर्च में सामने आया कि डायबिटीज समूह के 21 में से 9 मरीजों का घाव भर गया और 19 मरीजों की हालत में 90 फीसदी सुधार आया। हालांकि उनका घाव भरने में कुछ ज्यादा समय लगा। दो में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इसके अलावा नॉन डायबिटीज के 25 में से 20 मरीजों का घाव भर गया और 25 मरीजों की हालत में 100 फीसदी सुधार आया।
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