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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

81 साल के कादर खान पहचानते सभी को हैं लेकिन अब चलने और बोलने में होती है दिक्कत, इंडस्ट्री का बदलता माहौल देख छोड़ दी थी एक्टिंग, अधूरी रह गई एक ख्वाहिश

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एंटरटेनमेंट डेस्क. गुजरे जमाने के एक्टर, विलेन, कॉमेडियन और राइटर कादर खान आज (मंगलवार) अपना 81वां बर्थडे मना रहे हैं। उनका जन्म 11 दिसंबर, 1937 को काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था। अपने 43 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया। अब उम्र के साथ कादर खान की सेहत में भी काफी गिरावट आई है। वे पहचानते तो सभी को हैं लेकिन बोलने में उन्हें तकलीफ होती है। इतना ही नहीं वे बिना सहारे के चल भी नहीं सकते हैं। कादर खान उनकी बहू शाइस्ता ने एक इंटरव्यू में बताया था- वे अपनी दोनों बेटियां साइमा और हम्जा के साथ मिलकर ससुर की देखभाल बच्चों की तरह करती हैं। गरीबी मिटाना चाहते हो तो पढ़ो…

बात कादर खान के लाइफ की करें तो उनका बचपन काफी गरीबी में बीता है। एक बार उनकी मां ने उनसे कहा था कि यदि गरीबी मिटाना चाहते हो तो पढ़ाई करो। मां की बात उन्हें इस कदर लगी कि उन्होंने सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करना शुरू कर दिया। पढ़ाई के साथ ही उन्हें लिखने का शौक भी पैदा हो गया। उन्होंने इस्माइल यूसुफ कॉलेज से इंजीनियरिंग की। वे एमएच सैबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे।

– कॉलेज के एनुअल फंक्शन में परफॉर्म करते हुए उन्हें दिलीप कुमार ने देखा और अपनी अगली फिल्म के लिए साइन कर लिया था। उन्होंने 1972 में आई फिल्म 'जवानी-दीवानी' के डायलॉग्स लिखकर बॉलीवुड में कदम रखा था। फिल्मों में डायलॉग्स लिखते-लिखते उन्हें एक्टिंग करने का भी मौका मिला। उन्होंने 1973 में आई फिल्म 'दाग' से अपना करियर शुरू किया।

एक घटना के बाद बदला अपना किरदार
शुरुआती दौर में कादर खान ने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया। उनकी गिनती बॉलीवुड के फेमस विलेन में की होती थी। लेकिन एक दिन एक घटना के बाद उन्होंने फिल्मों में कॉमेडियन का किरदार निभाना शुरू किया। दरअसल, एक दिन उनका बेटा स्कूल में लड़ाई करके घर लौटा। जब उन्होंने पूछा कि लड़ाई क्यों की तो बेटे ने बताया कि स्कूल में सब उसे चिढ़ाते हैं कि उसके पिता बुरे आदमी और विलेन हैं। बेटे की बात सुनकर वे शॉक्ड रह गए और उसी वक्त तय कर लिया था कि अब वे फिल्मों में अच्छे रोल करेंगे।

अधूरी रह गई एक ख्वाहिश
कादर खान की एक ख्वाहिश आजतक पूरी नहीं हो पाई। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था- 'मैं अमिताभ बच्चन, जया प्रदा और अमरीश पुरी को लेकर फिल्म 'जाहिल' बनाना चाहता था। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। 'कुली' फिल्म की शूटिंग के दौरान बिग बी का एक्सीडेंट हो गया। वे महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। जब अमिताभ ठीक हुए तो वे दूसरी फिल्मों में बिजी हो गए। फिर अमिताभ राजनीति में चले गए। और आखिरकार फिल्म बंद हो गई।

भंग हो गया है इंडस्ट्री से मोह
कादर खान के बेटे सरफराज ने एक इंटरव्यू में कहा था- उनका इंडस्ट्री से मोहभंग हो गया है। इंडस्ट्री का माहौल बदल गया है। दोस्ती यारी खत्म हो गई है। अब लोग सिर्फ काम से काम रखते हैं। उनके कुछ चाहने वालों ने उन्हें काम के लिए कहा भी, लेकिन वे अपनी बात पर अटल हैं और अब काम फिल्मों में काम नहीं करना चाहते हैं।

इन फिल्मों में किया काम
कादर खान ने अपने करियर की शुरुआत 1972 में आई फिल्म 'दाग' से की थी। इसके अलावा उन्होंने 'अदालत' (1976), 'परवरिश' (1977), 'दो और दो पांच' (1980), 'याराना' (1981), 'खून का कर्ज' (1991), 'दिल ही तो है' (1992), 'कुली नं. 1' (1995), 'तेरा जादू चल गया' (2000), 'किल दिल' (2014) सहित कई फिल्मों में काम किया है। वे आखिरी बार 2015 में आई फिल्म 'हो गया दिमाग का दही' में नजर आए थे।

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