लखनऊ.बुलंदशहर में सोमवार को भड़की हिंसा की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पुलिस पर लापरवाही और मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट मिलने के अगले ही दिन शनिवार को बुलंदशहर के एसएसपी केबी सिंह सहित तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। केबी सिंह को डीजीपी ऑफिस से अटैच किया किया गया है। उनके अलावा स्याना क्षेत्र के सीओ सत्य प्रकाश शर्मा को पुलिस ट्रेनिंग काॅलेज मथुरा और चिंगरावठी पुलिस चौकी के प्रभारी सुरेश कुमार को ललितपुर भेजा गया है।
हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह स्याना थाने के प्रभारी थे। चिंगरावटी चौकी भी इसी थाने के तहत है। एडीजी इंटेलिजेंस एसवी शिरोडकर ने हिंसा की जांच के बाद शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपी थी। समझा जा रहा है कि पुलिस अधिकारियों के तबादले इसी रिपोर्ट के आधार पर हुए हैं।
इस मामले की एसआईटी जांच अभी चल रही है। उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर को खेतों में गाय के शरीर के अवशेष मिलने के बाद गोहत्या के संदेह में हिंसा भड़क गई थी। भीड़ की हिंसा के दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक युवक सुमित की हत्या कर दी गई थी। पुलिस इस सिलसिले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। मुख्य आरोपी माना जा रहा बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज अभी फरार है।
पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत से बिगड़ा मामला :इंटेलिजेंस रिपोर्ट की औपचारिक तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों का दावा है कि एडीजी इंटेलिजेंस ने इसमें स्थानीय पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत का जिक्र किया है। रिपोर्ट की मुख्य बातें हैं:
- घटना 3 दिसंबर सुबह 9.30 बजे हुई। लेकिन पुलिस ने पहुंचने में देरी कर दी। सीईओ और एसडीएम को मौके पर भेजा गया था। अधिकारियों ने गोवंश के अवशेषों से लदी ट्रॉली रास्ते में रोकने की कोशिश की। लेकिन फोर्स ज्यादा नहीं होने के चलते लोगों को रोक नहीं पाए।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अगर वक्त पर पहुंच गई होती, तो अतरौली में गोवंश के अवशेष ढोने से रोके जा सकते थे। ट्रॉली में गोवंश ले जाने की वजह से ही हिंसा भड़की।
- लोगों ने गोहत्या की एफआईआर दर्ज करवाने और आरोपियों पर रासुका लगाने की मांग की। एफआईआर की कॉपी मिलने तक लोगों ने इंतजार नहीं किया और इसी दौरान हिंसा हो गई। रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका के कई अहम बिंदुओं की जानकारी दी गई है।
सेना प्रमुख रावत बोले पुलिस का सहयोग करेंगे :
इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोपी माना जा रहा फौजी जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू पुलिस हिरासत में है। उसकी गिरफ्तारी पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘अगर कोई सबूत होगा और पुलिस उन्हें संदिग्ध मानेगी तो हम उन्हें पुलिस के सामने पेश कर देंगे। हम पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेंगे।’
मेरे भाई को साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। वह इन्स्पेक्टर की हत्या में शामिल नहीं रहा है। मेरे पास पर्याप्त सबूत हैं कि मेरा भाई उस समय उस जगह पर मौजूद ही नहीं था, जहां यह घटना हुई। –धर्मेंद्र मलिक, जीतू के भाई
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