गैजेट डेस्क. अगर किसी यूजर को लगता है कि उसके फोन को टैप किया जा रहा है, तो वो इसकी जानकारी आरटीआई के जरिए टेलीकॉम रेगुलेटरी ट्राई से मांग सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील शंकर बोस की याचिका पर फैसला देते हुए कहा, “हर किसी को अपने फोन की ट्रैकिगं, टैपिंग या सर्विलांस की जानकारी लेने का अधिकार है।”
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा : हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुरेश कुमार कैत नेअपने फैसले में कहा, “आरटीआई एक्ट की धारा 2 (एफ) के तहत ट्राई के पास प्राइवेट बॉडी से जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए ये ट्राई की जिम्मेदारी है कि वो नागरिकों को प्राइवेट कंपनियों से जानकारी लेकर दे।”
वोडाफोन ने जानकारी देने से कर दिया था मना
- दरअसल, ये पूरा फैसला सुप्रीम कोर्ट के वकील शंकर बोस की याचिका पर दिया गया है। उन्होंने फोन टैपिंग को लेकर टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन से जानकारी मांगी थी, लेकिन वोडाफोन ने इसकी जानकारी देने से मना कर दिया था।
- जिसके बाद उन्हें सेंट्रल इन्फोर्मेशन कमीशन (सीईसी) से कहा, जिस पर सीईसी ने ट्राई से जानकारी देने को कहा था। लेकिन वोडाफोन ने खुद को प्राइवेट कंपनी बताते हुए आरटीआई के दायरे से बाहर होने का तर्क दिया था।
- जिसके बाद ट्राई ने भी जानकारी देने से मना करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में सीईसी के फैसले को चुनौती दी और कहा कि आरटीआई एक्ट के तहत ट्राई वो जानकारी नहीं दे सकता, जो उसके पास है ही नहीं।
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