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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हमारे बल्लेबाजों ने गलतियां सुधारीं, ऑस्ट्रेलियाई टीम दबाव में

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टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज के पहले तीन दिन में अपने लचीले खेल से प्रभावित किया। पहली पारी में 250 रन पर आउट होने के बाद टीम ने 15 रन की बढ़त हासिल की। फिर दूसरी पारी में शानदार शुरुआत करके अपनी क्षमता और मैच में वापसी की अपनी उत्सुकता को दिखाया है। पहली पारी में खराब प्रदर्शन करने के बाद बल्लेबाजों ने दूसरी पारी में गलतियों को सुधारा और बढ़त को 166 रन तक पहुंचाया। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम बेहद दबाव में है।

इस साल विदेश में भारतीय गेंदबाज सफल रहे
इस साल विदेशी जमीन पर हमारे प्रदर्शन को देखना अहम है। दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में हमारे गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन बल्लेबाज फेल रहे। विराट कोहली टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उन्हें ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों का अच्छा सहयोग नहीं मिल रहा था। इस टेस्ट में कोहली का प्रदर्शन कमजोर रहा, लेकिन पुजारा ने पहली पारी में चमत्कारिक शतक लगाया।

स्मिथ-वॉर्नर के बिना ऑस्ट्रेलिया कमजोर नहीं
यह सही है कि मौजूदा ऑस्ट्रेलिया की टीम बेहद कमजोर है। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के बिना उनकी बल्लेबाजी बेहद कमजोर है, लेकिन हमें यह याद रखना है कि ऑस्ट्रेलिया में खेलना आसान नहीं है। चाहे टीम में अच्छे खिलाड़ी हों या ना हों। खास तौर पर भारतीय टीम को यह इतिहास याद रखना चाहिए।

टॉप खिलाड़ियों के नहीं होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया हारा नहीं

1977-78 में वर्ल्ड सीरीज के कारण कई बड़े खिलाड़ी टेस्ट टीम से बाहर थे। बॉबी सिम्सन को रिटायरमेंट के बाद टीम में बुलाया गया। दूसरी ओर भारतीय टीम में बिशन सिंह बेदी, चंद्रशेखर, प्रसन्ना, गावस्कर, विश्वनाथ, अमरनाथ जैसे बड़े नाम थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने यह सीरीज 3-2 से जीती थी। इसी तरह 1985-86 में ग्रेग चेपल, रॉड मार्श, डेनिस लिली के रिटायरमेंट के बाद टीम कमजोर मानी जा रही थी, लेकिन एलन बॉर्डर की अगुआई वाली टीम ने भारत के खिलाफ सीरीज 0-0 से ड्रॉ करा दी।

पहली पारी में 250 रन का स्कोर कुछ खास नहीं

इसी तरह 2003-04 में ग्लेन मैक्ग्रा और शेन वार्न जैसे बड़े खिलाड़ियों की इंजरी के बाद भी ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज 1-1 से बराबर की थी। इससे यह बात साबित होती है कि ऑस्ट्रेलिया को उसी की जमीन पर हराना भारत के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है। पिछले 70 साल साल से हम वहां सीरीज नहीं जीत सके हैं। पहली पारी में टॉस हारने के बाद टीम इंडिया केवल 250 रन ही बना पाई।

टॉप ऑर्डर को अपना प्रदर्शन सुधारना होगा

पहली पारी में पुजारा को छोड़कर शीर्ष छह खिलाड़ी कुछ खास नहीं कर सके। यह टीम के लिए शुभ संकेत नहीं है। हालांकि, 41 रन पर चार विकेट गिरने के बाद 250 का स्कोर बनाकर टीम ने अच्छी वापसी की। टॉप ऑर्डर ने अब तक खास प्रदर्शन नहीं किया है। क्रिकेट एक फनी गेम है। एक छोटा सेशन पूरे मैच को बदल सकता है।

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