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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लौंगोवाल को ढाई मिनट के भाषण में 3 बार रोका, बुक रिलीज करवाई

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ननु जोगिंदर सिंह, चंडीगढ़.पंजाब यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ सिख स्टडीज की ओर से श्री गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मदिवस सेलिब्रेशन के लिए वीरवार को एक सेमिनार रखा गया था। दो दिवसीय सेमीनार का उद्घाटन करना था वीसी प्रो. राजकुमार ने।

उनके साथ मंच पर मौजूद थे डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शन प्रो. शंकर जी झा, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के पूर्व वीसी प्रो. जसपाल सिंह, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रेसिडेंट डॉ. गोविंद सिंह लौंगोवाल और डिपार्टमेंट की पूर्व चेयरपर्सन और सेमिनार डायरेक्टर प्रो. जेके कंग। प्रोग्राम में एसजीपीसी के प्रेसिडेंट डॉ. गोविंद सिंह लौंगोवाल को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया।

वीसी के सामने बुक रिलीज करवाने के लिए किया ऐसा :
ज्वाॅइन करने के बाद पहली बार वीसी प्रो. कुमार ने पूरा भाषण पंजाबी में पढ़ा। वीसी ने कहा कि उन्हें जल्दी जाना होगा, क्योंकि साथ ही गोल्डन जुबली हॉल में हरियाणा के गवर्नर सत्यदेव नारायण आर्य आने वाले हैं। प्रोग्राम 11 बजे का रखा गया था। करीब 10:45 पर वीसी का संबोधन समाप्त हुआ तो डॉ. लौंगोवाल स्पीच देने लगे।

उन्होंने अभी बोलना शुरू ही किया था कि मंच पर उनके साथ ही बैठीं प्रो. कंग ने उठकर रिक्वेस्ट की कि पहले वे उनकी किताब रिलीज करवा दें। ये किताब गुरु गोबिंद सिंह पर हुए नेशनल सेमिनार में पढ़े गए पेपरों पर आधारित थी। लौंगोवाल ने बोलना जारी रखा।

वे अभी ‘सतगुरु नानक प्रगटिया मिट्टी धुंध जग चानण होया’ का अर्थ बता ही रहे थे कि दोबारा कंग ने टोक दिया। खड़ी होकर कहा कि ‘आप प्लीज पहले किताब रिलीज करवा दें’। उनके इस रवैये सभी हैरान थे। तभी लोंगोवाल ने कहा कि वह 5 मिनट से ज्यादा नहीं बोलने वाले।

लेकिन फिर भी प्रो. कंग नहीं मानीं। ढाई मिनट के भाषण में उन्होंने तीन बार रोका। मजबूरन लौंगोवाल ने भाषण रोक किताब रिलीज की। इसके बाद वे गेस्ट को सम्मानित कराने लगीं, जबकि गुलजार संधू सहित कई लोगों ने कहा कि यह काम बाद में हो सकता है, पहले डॉ. लोंगोवाल को सुन लें। लेकिन इस बात को अनदेखा करके कंग ने सम्मान समारोह जारी रखा और चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी सहित सभी को सम्मानित कराया।

लौंगोवाल ने कहा

बोलने दिया जाता तो 5 लाख के बजाय 20 लाख देता…कुछ लोगों ने लौंगोवाल को दोबारा बोलने के लिए कहा तो उन्होंने मंच से कहा कि यदि बोलने दिया जाता तो एसजीपीसी की ओर से 550वां साल मनाने के लिए पांच लाख के बजाय 20 लाख रुपए देते। इस सम्मान समारोह के बाद एसजीपीसी प्रेसिडेंट अपने साथियों सहित निकल गए।

नाराज दिखे मेंबर्स और टीचर्स :किताब रिलीज का प्रोग्राम पहले या बाद में रखा जा सकता था। लेकिन कंग वीसी की मौजूदगी में ही किताब रिलीज करवाना चाहती थीं। वीसी को गोल्डन जुबली हॉल में सेमिनार के लिए पहुंचना था। डॉ. लोंगोवाल जब उठकर बाहर जा रहे थे तो एसजीपीसी मेंबर्स ने प्रो. कंग के साथ अपनी नाराजगी जताई, जिनमें हरजिंदर कौर भी शामिल थीं।

उन्होंने कहा कि ये अपमान वाली बात है कि बाकी गेस्ट बोले और प्रेसिडेंट को नहीं बोलने दिया गया। मौके पर मौजूद एक सीनेटर और प्रोफेसर ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है कम से कम इस स्तर के व्यक्ति को सुना जाना चाहिए था। एक अन्य प्रोफेसर भी इस घटना से शर्मिंदा नजर आए।

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