गैजेट डेस्क. माइक्रोसॉफ्ट की फर्म फ्रॉस्ट एंड सुलिवान कमीशन ने अपनी स्टडी में इस बात की जानकारी दी है कि भारत की बड़ी कंपनियों को हर साल हैकिंग की वजह से 10.3 मिलियन डॉलर (करीब 72.55 करोड़ रुपए) का नुकसान होता है जबकि छोटी कंपनियों को 10 हजार डॉलर (7.04 लाख रुपए) का नुकसान उठाना पड़ता है।
फ्रॉस्ट एंड सुलिवान ने ‘अंडरस्टैंडिग द साइबरसिक्योरिटी थ्रेट लैंडस्केप इन द एशिया पैसिफिक: सिक्योरिंग द मॉडर्न एंटरप्राइज इन अ डिजिटल वर्ल्ड’ नाम से एक सर्वे किया था। इस सर्वे में छोटी कंपनियों (250 से 499 कर्मचारी) और बड़ी कंपनियों (500 से ज्यादा कर्मचारी) को शामिल किया गया था।
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इस रिसर्च में ये भी पता चला कि साइबर सिक्योरिटी अटैक की वजह से नौकरियों की भी कमी आती है। इस रिसर्च में शामिल 5 में से तीन (64%) कंपनियों ने इस बात को माना है कि हैकिंग और साइबर अटैक की वजह से संस्थान में नौकरी की भी कमी आती है।
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इस सर्वे में शामिल 62% (हर 5 में से 3 संस्थान) में से 30% ने कभी न कभी साइबर हमलों का सामना किया है जबकि बाकी बचे 32% संस्थान खुद पर हुए हमलों को लेकर सुनिश्चित नहीं है क्योंकि उन्होंने कभी फोरेंसिक या डेटा ब्रीच असेसमेंट के जरिए इसकी जांच नहीं की।
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इस सर्वे में पता चला कि 92% संस्थान साइबर सिक्योरिटी स्ट्रैटजी को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद लेने की तैयारी कर रहे हैं।
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इसके अलावा 22% संस्थान ने माना है कि साइबर अटैक की तेज और सटीक पहचान करने में एआई काफी मददगार है।
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सर्वे में शामिल 59% ने इस बात को माना कि साइबर अटैक की वजह से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंच रहा है।
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37% संस्थान साइबर सिक्योरिटी को साइबर अटैक से खुद की सिक्योरिटी के रूप में देखते हैं जबकि सिर्फ 18% इसे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के रूप में देखते हैं।