पानीपत/अम्बाला/ हिसार/ रोहतक.प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर आवेदकों के हिस्से अब केवल इंतजार ही बचा है। अपने कच्चे मकान ढहा चुके लोगों के हालात योजना को लेकर सरकारी अफसरों के चक्कर काटने से पस्त होते जा रहे हैं। भास्कर ने प्रदेश के विभिन्न जिलों से इसकी रियलिटी जांची तो ये तथ्य सामने आया कि नगर निगम और पालिका अफसरों की लेटलतीफी से आवेदकों के पास सिवाय इंतजार के कोई और चारा नहीं बचा है।
वो भी तब जब लोगों ने बकायदा निगम से लेटर मिलने के बाद भी नया मकान बनाने की आस में किराये पर रहना पड़ रहा है। किसी ने अपने परिचित से चंद दिनों में पैसा लौटाने की बात कह कर उधार पर रकम ली। वहीं, किसी ने ग्रांट मिलने की आस में बाजार से उधार पर मकान के निर्माण सामग्री उठा ली। अब वे दुकानदार रोजाना उनसे तकादा कर रहे हैं।
रोहतक में इस योजना के तहत अभी एक भी किस्त का पैसा नहीं आया है। निगम कमिश्नर ने मकान निर्माण कार्य शुरू करने के लिए 200 पात्रों को एलओआई प्रमाण पत्र जारी कर दिया है, जबकि सांपला, कलानौर और महम ब्लाक में लाभार्थियों से जरूरी दस्तावेज ही मांगे गए हैं। ऐसे में अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह योजना जरूरतमंद लोगों को छत मुहैया कराने की बजाए छत छीनने वाली ज्यादा साबित हो रही है।
एक साल में अर्बन क्षेत्र से 15814 आवेदन पहुंचे –
अम्बाला: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1 जून 2017 से 31 जुलाई 2018 तक अर्बन क्षेत्र में 15814 आवेदन पहुंचे हैं। इनमें 11506 आवेदन अफोर्डेबल हाउसिंग (एएचपी) और 3932 बेनीफिशियरी लैंड कंस्ट्रक्शन बीएलसी स्कीम के तहत पहुंचे हैं। सीपीओ ब्रांच से एक्सपर्ट कृष्ण कुमार ने बताया कि बीएलसी स्कीम के तहत शहरी क्षेत्र में जिसका मकान 30 से 35 गज में बना है।
मकान की छत कच्ची है तो उसे 1.60 लाख और पूरा घर तोड़कर बनाएगा तो उसे 2.50 रुपए स्कीम के तहत मिलने हैं। इसके अलावा किराए पर अर्बन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए योजना में एएचपी स्कीम के तहत बिल्डर बिल्डिंग बनाएगा तो उस बिल्डिंग में आवेदकों को घर दिए जाएंगे।
इसके लिए भी सरकार 2.50 लाख रुपए सहायता देगी और बिल्डिंग में घर लेने के लिए बाकी की अमाउंट आवेदक को देनी होगी। इसके लिए शर्त यह है कि आवेदक और उसकी फैमिली में किसी के नाम मकान या जमीन नहीं होनी चाहिए। वह शहर में किराए पर रहता हो। आवेदकों को लाभ देने के लिए अभी सरकार की तरफ से बजट नहीं आया है। योग्य आवेदकों को लाभ देने को छंटनी की जा रही है। लोग स्कीम के बारे में पता करने के लिए निगम के चक्कर काट रहे हैं।
10487 आवेदन पहुंचे-
हिसार: आशियाने का सपना संजोए लोगों को अभी तक हताशा मिली है। अब तक 10487 आवेदन पहुंचे हैं। कच्चे मकान पक्का बनाने के लिए 2102 आवेदन आए हैं। 110 आवेदकों को आर्थिक सहायता के लिए लेटर दे दिया। एक भी आवेदक को राशि नहीं मिली है। 30 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्होंने या तो अपना पुराना मकान तोड़ा या उधार लेकर निर्माण कर लिया। राशि पाने के लिए निगम के चक्कर लगा रहे हैं। नये घर के लिए 7771 आवेदन आए हैं।
15 हजार पात्रों को लाभ-
पानीपत: योजना का लाभ लेने के लिए पानीपत के 26 हजार ने आवेदन किया था। निगम की ओर से सर्वे कराया गया। इसके बाद 11 हजार के आवेदन रद्द किए। अब बीएलसी के तहत 15 हजार लोगों को लाभ मिलना है। एएचपी वर्ग में 2500 लोगों को सरकार घर बनाकर देगी। सीएलएसएस के तहत 11 हजार लोग योग्य मिले हैं। जो आमतौर पर किराए पर रहते हैं। ऐसे लोगों को किराए के तौर पर राशि हर माह सरकार को जमा कराना होगा।
रोहतक से 10158 आवेदन-
रोहतक: आने वाले आवेदन और तीनों श्रेणियों में चयनित पात्रों की चंडीगढ़ से नगर निगम को सूची भेजी गई है। इसमें रोहतक से कुल 10158 लोगों ने आवेदन किया है। इनमें 3325 ने एएचपी, 180 ने सीएलएसएस, 1248 ने बीएलसी के लिए आवेदन किया है। सांपला में 416 ने एएचपी, 289 ने सीएलएसएस, 661 ने बीएलसी के लिए आवेदन किया है। कलानौर में 488 ने एएचपी, 38 ने सीएलएसएस, 884 ने बीएलसी के लिए आवेदन किया है। महम में 663 ने एएचपी, 92 ने सीएलएसएस, 825 ने बीएलसी के लिए आवेदन किया है।
टैगिंग शुरू, फर्जीवाड़ा से बचें-
नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी अरुण कुमार का कहना है कि बीएलसी के लिए अभी जियो टैगिंग चल रही है। इसके तहत जमीन की फोटोग्राफी भी कराई जा रही है। इसमें कुछ शिकायतें ऐसी भी आई हैं कि टैगिंग के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं, जबकि यह योजना पूरी तरह मुफ्त है। अगर किसी से कोई पैसे मांगे भी जा रहे हैं तो उसकी शिकायत नगर निगम में कर सकते हैं। वहीं पानीपत में इस योजना के तहत अभी तक सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली है। टैगिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद दो माह में बीएलसी को पहली किस्त में एक लाख रुपए दिए जाएंगे।
केस 1 : महावीर काॅलोनी निवासी जयसिंह मजदूरी करता है। निगम से लेटर मिलने के बाद नया मकान बनाने के लिए डेढ़ माह पहले पुराना कच्चा मकान तोड़ दिया। पैसे के लिए निगम के चक्कर लगा रहा है, आज तक राशि नहीं मिली। हालत यह है कि प्रतिमाह ढाई हजार रुपए किराये के मकान में रहना पड़ रहा है। जयसिंह ने बताया कि कमिश्नर से लेकर कर्मचारियों तक आश्वासन ही दे रहे हैं।
केस 2 : सब्जी मंडी चौक निवासी संध्या एक विभाग में अनुबंध पर कार्यरत है। आवेदन करने से लेकर उसके पास होने तक कई बार नगर निगम के चक्कर लगा चुकी है। संध्या ने बताया कि निगम अफसरों से बातचीत के बाद परिचितों से राशि उधार लेकर मकान बना लिया, लेकिन आज तक पीएमएवाई के तहत ग्रांट नहीं मिली।
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