मधुमक्खी का किसानों की फसलों का उत्पादन बढ़ाने में अहम रोल होता है। मधुमक्खी विभिन्न पेड़-पौधों के फूल से पर-परागण का कार्य कर फसल उत्पादन को बढ़ाती है। अगर मधुमक्खी न हो तो भारत को अन्न और सब्जियों के लिए अन्य देशों पर निर्भर होना पड़ता। एकीकृत मधुमक्खी पालन विभाग केंद्र रामनगर कुरुक्षेत्र में खोला गया है। यह केंद्र भारत और इजराइल के पेशेवरों की सहायता से हरियाणा सरकार, इजराइल के मासव और सिनाडको के संयुक्त अभ्यास का परिणाम है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य किसान एवं छात्राें को मधुमक्खी पालन की उन्नत वैज्ञानिक तकनीक प्रदान करना है।
अनुदान देकर विभाग दे रहा बढ़ावा
हरियाणा में राष्ट्रीय बागवानी मिशन 40 प्रतिशत अनुदान मधुमक्खी पालकों को देता है। जिसमें एक लाभ-यंत्र 50 बॉक्स सुपर इनर के साथ किसान को दिए जाते हैं। जो किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं। ऐसे किसान मधुमक्खी के बॉक्स अपनी खेत में पैसे देकर रखवाते हैं। मधुमक्खियां फसल पर पर-परागत का कार्य करती है। जिससे फसल का उत्पादन ज्यादा बढ़ता है।
श्रमिक मक्खियां बनाती हैं शहद
जिला बागवानी विभाग अधिकारी अम्बाला डाॅ. हवा सिंह का कहना है कि मधुमक्खी किसान के लिए हितैषी होती है। एक रानी मक्खी होती है। उसके साथ रक्षक की फौज भी होती है। उसके बाद श्रमिक मक्खियों की फौज भी अहम कार्य करती है। निखट्टू मक्खियों भी होती है। श्रमिक मक्खियां विभिन्न फूलों से शहद बनाने का कार्य करती है। इजराइल और इंडिया के वैज्ञानिकों ने इस बारे में अवगत करवाया है कि अगर मधुमक्खी न हो तो फसलों की पैदावार 35 प्रतिशत ही होगी। देश की 80 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर करती है। 35 प्रतिशत उत्पादन होने पर हमें दूसरे देशों से अन्न और सब्जियों के लिए निर्भर होना पड़ता, इसलिए मधुमक्खी का कार्य सराहनीय है। मधुमक्खियों की प्रजनन करने की शक्ति अलग तरह की होती है। वह साल में एक बार मनचाही मक्खी जैसे रानी, श्रमिक, निखट्टू पैदा कर सकती है जोकि शहद बनाने में अहम रोल अदा करती हैं।
किसानों को कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है मधुमक्खी
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