कैलिफॉर्निया. टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) को अमेरिका में बड़ी राहत मिली है। कैलिफोर्निया की अदालत ने बुधवार को उन दावों को खारिज कर दिया, जिनमें टीसीएस पर नियुक्ति में अमेरिकी वर्कर्स से भेदभाव के आरोप लगे थे। चार पूर्व कर्मचारियों ने टीसीएस पर आरोप लगाते हुए कोर्ट केस किया था।
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अमेरिका में टीसीएस के पक्ष में हुए फैसले को भारतीय आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, जिनका बिजनेस मॉडल काफी हद तक अमेरिका में भारतीय इंजीनियरों को भेजकर काम कराने पर निर्भर करता है।
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टीसीएस पर आरोप लगाने वाले कर्मचारियों ने दावा किया था कि उन्हें महज इसलिए कंपनी से निकाल दिया गया, क्योंकि वो दक्षिण एशिया के नहीं हैं।
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टीसीएस ने अदालत में बताया कि साल 2011 से अब तक 12.6 गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारी निकाले। जबकि, नौकरी से निकाले जाने वाले दक्षिण एशियाई कर्मचारियों की संख्या इससे 1% ज्यादा है।
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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में यह किसी भारतीय आईटी कंपनी के खिलाफ नियुक्ति में भेदभाव का ऐसा पहला मामला है, जो अदालत में पहुंचा। एचसीएल टेक्नोलॉजी, इन्फोसिस और विप्रो पर भी ऐसे आरोप लगे थे, लेकिन कोर्ट में ट्रायल नहीं चला।
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टीसीएस के मामले की वजह से अमेरिका में वर्क-वीजा प्रोग्राम विवादों में आ गया था, जिसका इस्तेमाल कंपनियां विदेशी वर्कर्स को अमेरिका ले जाने में करती रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी इसकी आलोचना की थी। अमेरिका ने वहां मौजूद भारतीय आईटी कंपनियों पर इस बात के लिए दबाव डाला था कि वो अमेरिकियों की ज्यादा भर्ती करें।
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टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। दुनियाभर में इसके 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। कंपनी का ज्यादातर रेवेन्यू अमेरिका से आता है। जुलाई-सितंबर तिमाही में मुनाफा 7,901 करोड़ रुपए और रेवेन्यू 36,854 करोड़ रुपए रहा।