लंदन. वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप तीन बार के डिफेंडिंग चैम्पियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन और अमेरिका के फैबियानो कारुआना के बीच खेली जा रही है। 12 मैच की चैम्पियनशिप के सभी मैच ड्रॉ रहे। टूर्नामेंट में ऐसा पहली बार हुआ, जब लगातार 12 मैच ड्रॉ रहे। तीन हफ्ते में 50 से ज्यादा घंटे तक खेलने के बाद भी चैम्पियन नहीं मिला। अब रिजल्ट के लिए टाईब्रेकर खेला जाएगा।
टाईब्रेकर मैच कांच के साउंडप्रूफ स्टेज पर होंगे। इसमें रैपिड गेम्स होंगे। अगर इससे भी विजेता नहीं मिला, तो सडन-डेथ से फैसला होगा। विनर को 4.38 करोड़ रुपए और रनरअप को 3.58 करोड़ रुपए की प्राइज मनी मिलेगी।
कारुआना के जीतने पर अमेरिका को 26 साल बाद मिलेगा चैम्पियन
26 साल के कारुआना अगर जीते तो वे बॉबी फिशर के बाद चैम्पियन बनने वाले पहले अमेरिकी बन जाएंगे। फिशर 1972 में चैम्पियन बने थे। वहीं, 27 साल के कार्लसन 19 साल की उम्र से दुनिया के टॉप खिलाड़ियों में शामिल हैं। वे चेस के छोटे फॉर्मेट में ज्यादा आक्रामक होते हैं। हालांकि, कार्लसन ने 12वीं बाजी में कारुआना के सामने ड्रॉ का प्रस्ताव रखकर कई कमेंटेटरों को चौंका दिया था, क्योंकि एक्सपर्ट्स और कंप्यूटर प्रोग्राम का मानना था कि वे कारुआना से बेहतर स्थिति में थे।
ड्रॉ रहने पर काले मोहरों वाला खिलाड़ी चैम्पियन माना जाएगा
अब दोनों खिलाड़ियों के बीच चार रैपिड मुकाबले खेले जाएंगे। यह 25-25 मिनट के होंगे और हर चाल में 10 सेकंड बढ़ेंगे। अगर चारों रैपिड मुकाबलों के बाद भी नतीजा नहीं आया, तो फिर 5-5 मिनट के दो ब्लिट्ज मुकाबले खेले जाएंगे। अगर, फिर भी नतीजा नहीं निकला तो आखिरी मुकाबला होगा, जिसमें काले मोहरों से खेल रहे खिलाड़ी को चार मिनट जबकि सफेद मोहरों से खेल रहे खिलाड़ी को पांच मिनट दिए जाएंगे। ड्रॉ होने की स्थिति में काले मोहरों से खेल रहे खिलाड़ी को विजेता घोषित कर दिया जाएगा। रैपिड और ब्लिट्ज में कार्लसन दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी हैं। जबकि कारुआना रैपिड में वर्ल्ड नंबर 8 और ब्लिट्ज में वर्ल्ड नंबर 13 हैं।
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