मुंबई. शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत शुक्रवार को एयरपोर्ट पर बेटी मीशा और बेटे जैन कपूर के साथ नजर आईं। इस दौरान मीरा के साथ दो नैनी भी थीं जिसमें से एक ने ज़ैन को गोद ले रखा था वहीं दूसरी मीशा को संभाल रही थी। बच्चों के लिए 2-2 नैनियां रखने के लिए अब मीरा को ट्रोल किया जा रहा है। दरअसल मीरा ने अपने इंटरव्यूज में बच्चों के लिए कभी नैनी न रखने की बातें की हैं। ऐसे में अब जब मीरा हाउसवाइफ होते हुए 2 नैनी संग सामने आईं तो सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया। दरअसल मीरा ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में कहा था, "मुझे घर में रहना और मेरे बच्चे की अच्छी मां बनना पसंद है। मैं अपने बच्चे के बिना दिन में एक घंटा भी नहीं बिता सकती हूं। अगर मुझे उसे छोड़कर काम पर ही जाना था तो मैं बच्चे के जन्म क्यों देती। वो (मीशा) पपी नहीं है। मैं उसके साथ एक मां के तौर पर रहना चाहती हूं उसके बड़े होने और एजुकेशन की पूरी प्रोसेस खुद देखना चाहती हूं।" सोशल मीडिया यूजर्स कर रहे ऐसे कमेंट्स…
– एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, "मीरा ने हमेशा करीना को इस बात के लिए क्रिटिसाइज किया है कि वे अपने बेटे को मेड के हवाले छोड़ काम पर चली जाती हैं और अब वो खुद हाउस वाइफ होते हुए फ्री टाइम में अपने लुक्स सुधारने और शाहिद की ब्लैक मनी यूज करने के चक्कर में 2 मेड लेकर चल रही हैं।"
– दूसरे यूजर ने लिखा, "करीना वर्किंग है इसलिए उसे मेड की जरूरत है लेकिन मीरा तो प्राउड हाउस वाइफ हैं, इसके बावजूद भी उसे 2 मेड चाहिए। मीरा अपने स्टेटमेंट्स पर कभी खुद ही नहीं टिकती हैं।"
– एक और अन्य यूजर ने लिखा, "अब क्या हुआ मीरा, नैनी आ गई न? उठा गोद में जैन को अब और बन नॉर्मल औरत। करीना से बहुत जलन होती है न।" यही नहीं यूजर्स "मैं करीना कपूर बनना चाहती हूं" हैशटैग भी चला रहे हैं।
– बता दें, शाहिद से जुलाई 2016 में शादी करने वाली मीरा ने लगभग 2 महीने पहले दूसरे बच्चे ज़ैन कपूर (5 सितंबर) को जन्म दिया था।
बच्चों के लिए नैनी नहीं चाहते शाहिद
– शाहिद ने भी एक इंटरव्यू में नैनी न रखने की बात करते हुए कहा था, "आजकल बच्चों का ख्याल रखने के लिए नैनी और मेड्स भी होती हैं लेकिन इसका सबसे बुरा प्रभाव यह है कि बच्चे पेरेंट्स से ज्यादा नैनी से कनेक्ट हो जाते हैं और वे नहीं चाहते कि उनके बच्चों के साथ भी ऐसा कुछ हो।"
– "मैं बेटी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहता हूं। फिर भले ही इसके लिए उन्हें अपनी नींद ही कुर्बान क्यों न करनी पड़े। ये सब मैंने बचपन से सीखा है। मेरे नाना मुझे रोज स्कूल छोड़ने जाते थे। यहां तक कि बीमारी में भी वे अपना यह नियम नहीं छोड़ते थे।"
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