नई दिल्ली. रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की अहम बैठक सोमवार को होगी। अहम इसलिए क्योंकि आरबीआई और सरकार के बीच मतभेद सामने आने के बाद यह पहली मीटिंग है। इसमें विवाद के 5 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कर सुलह का रास्ता निकालने के आसार हैं।
पिछले हफ्ते एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि 9 नवंबर को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मतभेद सुलझाने पर चर्चा की। एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को कर्ज देने के लिए विशेष इंतजाम कर सकता है।
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आरबीआई से सरकार की 5 संभावित मांग
- नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए अतिरिक्त नकदी की व्यवस्था होनी चाहिए।
- एमएसएमई को कर्ज के नियम आसान किए जाएं क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए अहम सेक्टर है।
- पीसीए के नियम आसान किए जाएं ताकि इसमें शामिल 11 सरकारी बैंकों को राहत मिल सके।
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार आरबीआई के सरप्लस में से 3.6 लाख करोड़ रुपए चाहती है। हालांकि, आर्थिक मामलों के सचिव ने इस बात से इनकार किया था।
- सूत्रों के मुताबिक आरबीआई के फैसलों में सरकार ज्यादा भागीदारी चाहती है। उसका मानना है कि कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उसे अलग रखा जाता है।
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क्या है पीसीए ?
आरबीआई को जब लगता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है। आय और मुनाफा नहीं हो रहा या एनपीए बढ़ रहा है तो उस बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है। पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते। आरबीआई ने 11 सरकारी बैंकों को पीसीए में डाल रखा है। -
सूत्रों के मुताबिक पीसीए फ्रेमवर्क पर सहमति बोर्ड की इस बैठक में नहीं बन पाती है तो अगले कुछ सप्ताह में बन जाएगी। वित्त मंत्रालय लगातार इसके लिए आरबीआई पर दबाव बना रहा है। यदि प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) नियमों में ढील दी जाती है तो कुछ बैंक इस वित्त वर्ष के अंत तक इसके दायरे से बाहर आ जाएंगे।
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रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अक्टूबर में कहा था कि सरकार को केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता बढ़ानी चाहिए। जो सरकार इसका ध्यान नहीं रखती उसे नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा था कि बैंकों की बैलेंस शीट और ना बिगड़े इसलिए पीसीए के नियम सख्त किए गए। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार भी आरबीआई की स्वायत्तता का सम्मान करती है लेकिन उसे जनहित के मुद्दों का ध्यान रखना चाहिए।
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इस महीने के शुरुआत में मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया था कि सरकार ने दबाव बढ़ाया तो उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। आरएसएस की इकोनॉमिक विंग के प्रमुख अश्विनी महाजन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उर्जित पटेल सरकार के साथ तालमेल नहीं रख सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, पिछले दिनों आरबीआई और सरकार के बीच विवाद सुलझाने की कोशिशें हुईं। इसके बाद इस बात के आसार नहीं है कि उर्जित पटेल इस्तीफा देंगे।