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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

मैरीकॉम क्वार्टर फाइनल में पहुंची, पूर्व वर्ल्ड चैम्पियन सरिता देवी बाहर

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नई दिल्ली. देश की स्टार मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (48 किग्रा) ने कजाकिस्तान की एगेरिम केसेनेएवा को 5-0 से हराकर महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनिशप में आसान जीत हासिल की। वहीं, मनीषा मोन (54 किग्रा) और लवलिना (69 किग्रा) भी क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में सफल रहीं। इन दोनों भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ल्ड चैम्पियंस को हराया। हालांकि, पूर्व वर्ल्ड चैम्पयिन एल सरिता देवी लाइटवेट (57-60) वर्ग में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गईं।

मनीषा ने लगातार दूसरी बार डिना को हराया

मनीषा ने प्री-क्वार्टर फाइनल में मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियन कजाकिस्तान की डिना जोलामान को 5-0 से मात दी। उन्होंने डिना को 30-27, 30-27, 30-27, 29-28, 29-28 से हराया। मनीषा की यह डिना पर लगातार दूसरी जीत है। दो महीने पहले पोलैंड में हुए सिलिसियन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी मनीषा ने डिना को हरा चुकी हैं।

मनीषा-लवलिना अपने पहले पदक से एक कदम दूर

मनीषा और लवलिना पहली बार टूर्नामेंट में उतर रही हैं। वे अपने पहले पदक से एक जीत दूर हैं। टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों खिलाड़ियों को कांस्य पदक दिया जाता है। लवलीना ने 2014 की वर्ल्ड चैम्पियन पनामा की एथीना बायलोन को 5-0 से हराया। लवलीना ने मुकाबला 30-27, 30-27, 30-27, 30-27, 30-27 से जीता।

कठिन मुकाबले में हारीं सरिता देवी
इसके अलावा भाग्यवती (81 किग्रा) ने भी जीत के साथ आखिरी आठ में जगह बनाई। हालांकि, 2006 में स्वर्ण पदक जीतने वालीं सरिता देवी (60 किग्रा) हारकर बाहर हो गईं। 36 साल की मणिपुर की सरिता को आयरलैंड की केली एन हैरिंगटन ने 3-2 से पराजित किया। हैरिंगटन ने यह मुकाबला 29-28, 28-29, 29-28, 28-29, 29-28 से जीता।

जजों के फैसले से खुश नहीं सरिता
मुकाबले के बाद सरिता ने कहा कि वे जजों के फैसले से खुश नहीं हैं, लेकिन कुछ नहीं कर सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘आखिरी राउंड में अंक मुझे मिलना चाहिए था लेकिन अंक विपक्षी मुक्केबाज को मिल गया। ये जज ही बेहतर जानते होंगे कि उन्होंने मुझे क्यों हराया। मैंने आखिरी राउंड जीता था लेकिन परिणाम मेरे पक्ष में नहीं आया।’

रिंग में विपक्षी के कद से मनीषा पर कोई फर्क नहीं पड़ता

मनीषा ने कहा, रिंग में मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की विरोधी कौन है। चाहे वह वर्ल्ड चैम्पियन ही क्यों ना हो। मैं अपना स्वाभाविक खेल खेलती हूं। कोच हर खिलाड़ी के हिसाब से जैसी रणनीति बनाते हैं, उस हिसाब से खेल में बदलाव करती हूं। टूर्नामेंट के दूसरे मुकाबले में मैंने पहले से ज्यादा तेज और आक्रामक खेल दिखाया।

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