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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

फेक न्यूज से निपटने के लिए फेसबुक लेगी AFP के पत्रकारों की मदद, ट्विटर ने कहा- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इस्तेमाल करेंगे

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गैजेट डेस्क. दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने अगले साल भारत में होने वाले लोकसभा चुनावों में फेक न्यूज से निपटने के लिए ग्लोबल न्यूज एजेंसी एएफपी (एजेंस फ्रांस प्रेस) से हाथ मिलाया है। दरअसल, फेसबुक भारत में थर्ड पार्टी फैक्ट-चेकिंग कार्यक्रम चलाता है और इसी के तहत एएफपी को भी जोड़ा गया है।वहीं, अपने प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज को रोकने के लिए भी ट्विटर कई कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।

सोमवार को ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने आईआईटी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बात करते हुए कहा कि फेक न्यूज से लड़ना इतना आसान काम नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनावों में फेक न्यूज को फैलने से रोकने के लिए हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) समेत कई तरह के टूल्स अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज को पूरी तरह से तो नहीं रोका जा सकता, लेकिन एआई के जरिए इसे रोकने में काफी मदद मिल सकती है।

पत्रकार बताएंगे हर खबर की सच्चाई : भारत के अलावा और भी कई देशों में फेसबुक फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम चलाता है, जिसके लिए उसने एएफपी से हाथ मिलाया था। अब भारत में होने वाले चुनावों में भी फेक न्यूज के फैक्ट चेक करने में एएफपी मदद करेगी। इसमें एएफपी के पत्रकारों की टीम फेसबुक पर फैलने वाली कोई भी न्यूज के फैक्ट चेक करते हैं और गलत होने पर इसकी जानकारी फेसबुक को देते हैं। जिसके बाद फेसबुक उस पोस्ट को न्यूज फीड में नीचे कर देता है और ज्यादा लोगों तक नहीं फैलने देता।

क्या है थर्ड पार्टी फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम :दुनियाभर में फेसबुक पर फेक न्यूज फैलने के आरोप लगने के बाद कंपनी ने फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम शुरू किया था। इसमें उन थर्ड पार्टी फैक्ट-चेकर्स वेबसाइट को शामिल किया जाता है, जिसे नॉन-पार्टिसन (गैर-पक्षपातपूर्ण) इंटरनेशनल फैक्ट चेंकिंग नेटवर्क से प्रमाणित किया जाता है। फेसबुक का ये प्रोग्राम भारत समेत 20 से ज्यादा देशों में चल रहा है।

ऐसे करते हैं फेक न्यूज का पता :

  • थर्ड पार्टी फैक्ट चेकर्स वेबसाइट फेसबुक पर आने वाले कंटेंट, फोटो या वीडियो के फैक्ट चेक करते हैं। थर्ड पार्टी वेबसाइट की एक टीम होती है, जो लगातार फेसबुक पर फैलने वाली पोस्ट को चेक करती रहती है।
  • किसी भी कंटेंट के फैक्ट चेक करने के बाद ये टीम 8 तरह की रेटिंग देती है, जिसमें सही, गलत और मिक्सचर जैसे प्वॉइंट शामिल है। इसी आधार पर फेसबुक इन पोस्ट को हटाता है या नीचे करता है।

अप्रैल में बूम लाइव से मिलाया था हाथ : इसी साल अप्रैल में हुए कर्नाटक चुनावों में फेसबुक के जरिए फैलने वाली फेक न्यूज को रोकने के लिए फेसबुक ने भारत की फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट बूम लाइव से हाथ मिलाया था। उस वक्त बूम लाइव सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही कंटेंट देता था, लेकिन अब हिंदी और बंग्ला भाषा में भी कंटेंट दिया जाता है।

इन देशों में है फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम : फेसबुक का फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम भारत के अलावा अर्जेंटिना, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, डेनमार्क, फ्रांस, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इटली, जर्मनी, केन्या, मैक्सिको, नीदरलैंड, नॉर्वे, पाकिस्तान, फिलिपींस, स्वीडन, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और अमेरिका में चलता है।

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