रोहतक। रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के दौरान रोहतक डिपो में 45 लाख से अधिक कीमत की टिकटों का हिसाब न मिल पाने की रोडवेज ने जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को बुकिंग और कैश ब्रांच के सारे कर्मचारी पूरा दिन हिसाब मिलान में जुटे रहे। वहीं आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मियों की ओर से रोडवेज में बची टिकटें और कैश जमा कराने का मंगलवार को नोटिस जारी कर दिया गया। अभी तक की जांच में सामने आया है कि ठेके पर लगे 25 परिचालकों के पास अभी भी 16 लाख रुपए की टिकटों का हिसाब बकाया है।
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दरअसल हड़ताल के दौरान अस्थायी तौर पर लगाए गए 115 परिचालकों को 75 लाख से अधिक राशि की टिकटों का वितरण किया गया था। 18 दिन तक चली हड़ताल तीन अक्टूबर को खत्म हुई। पांच अक्टूबर तक रोहतक न्यू बस स्टैंड डिपो की बुकिंग व कैश जमा शाखा में हड़ताल के दौरान 70 परिचालकों की ओर से 30 लाख रुपए की राशि का जमा कराने का हिसाब मिल पाया।
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रोहतक रोडवेज के महाप्रबंधक विकास यादव ने बताया कि 45 लाख रुपए की टिकटों के वितरण की जांच कराई गई तो देर शाम तक 29 लाख रुपए की टिकटों का हिसाब मिला है। अभी भी 25 परिचालकों से 16 लाख रुपए की टिकट व कैश वसूलना है।
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ठेके पर परिचालकों की नियुक्ति कराने वाले एजेंसी के संचालक को तीन अक्टूबर के बाद मंगलवार को दोबारा नोटिस जारी कर टिकट व कैश जमा कराने को कहा है। यदि वे दो दिन में 16 लाख रुपए की कीमत की टिकट व कैश नहीं जमा कराते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी।
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सरकारी टिकटों के मामले लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बुकिंग ब्रांच के प्रभारी ने ठेके पर लगे परिचालक मंगलवार सुबह सात बजे से टिकट व कैश जमा कराने के लिए बस स्टैंड पर बने दफ्तर में पहुंचने लगे। पूरे दिन हिसाब का मिलाने पर 45 लाख में 29 लाख रुपए की टिकटों व कैश का हिसाब मिला है। जबकि 16 लाख रुपए का हिसाब मिलाने की प्रक्रिया अभी चल रही है। -
परिचालकों के 45 लाख रुपए की टिकट लेकर गायब होने की खबर दैनिक भास्कर ने मंगलवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित की। परिवहन विभाग के एसीएस धनपत सिंह ने खबर को संज्ञान में लेते हुए रोहतक महाप्रबंधक विकास यादव से जवाब तलब किया। एसीएस धनपत ने महाप्रबंधक विकास को आंकड़ों का सही हिसाब देने के निर्देश दिए।
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एसीएस के सख्त तेवर देख महाप्रबंधक विकास ने बुकिंग व कैश जमा शाखा के इंचार्ज को बुलाकर शाम तक हिसाब का मिलान कर ब्योरा प्रस्तुत करने को कहा। वहीं जीएम विकास ने निजी एजेंसी के संचालक को नोटिस जारी कर दो दिन में बची हुई टिकटें व कैश जमा करवाने को कहा है। इस मामले में ठेकेदार को चार दिन में दो बार नोटिस जारी किया जा चुका है।