वॉशिंगटन. ईरान के चाबहार पोर्ट पर विकास को लेकर अमेरिका ने भारत को कुछ खास प्रतिबंधों से छूट दी है। भारत चाबहार पोर्ट के निर्माण में सहयोग दे रहा है। यहां से अफगानिस्तान को रेलमार्ग से जोड़ा जाएगा। इससे भारत, ईरान और अफगानिस्तान को व्यापार में सुविधा मिलेगी। इन छूटों में चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण भी शामिल है।
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छूट देने का फैसला करने के एक दिन पहले ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध लगाया था। इस छूट को ओमान की खाड़ी में बंदरगाह के विकास में भारत की भूमिका को अमेरिका की मान्यता के तौर पर देखा जा रहा है। चाबहार बंदरगाह युद्ध की त्रासदी झेल चुके अफगानिस्तान के विकास में रणनीतिक महत्व रखता है।
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अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, “काफी सोच-विचार के बाद हमने चाबहार के विकास, अफगानिस्तान में इस्तेमाल आनेवाले गैर-प्रतिबंधात्मक वस्तुओं की ढुलाई के लिए रेलवे लाइन के निर्माण के साथ-साथ ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफिरेशन एक्ट, 2012 के तहत भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दी है।”
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अमेरिका ने 5 नवंबर को ईरान के बर्ताव में बदलाव लाने के मकसद से अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध लागू करने का ऐलान किया था। ईरान के बैंकिंग-ऊर्जा क्षेत्र प्रतिबंधों के दायरे में आ चुके हैं। इसके मुताबिक, उन यूरोपीय, एशियाई और अन्य देशों तथा कंपनियों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है जो ईरान से तेल आयात करेंगे।
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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि आठ देशों- भारत, चीन, इटली, ग्रीस, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को ईरान से तेल आयात की अस्थायी छूट दी गई है क्योंकि उन्होंने ईरान से तेल खरीद में बड़ी कटौती की है।
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ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने के बाद अब चाबहार का भविष्य क्या होगा, इस सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “इस छूट का संबंध अफगानिस्तान के पुनर्निमाण और आर्थिक विकास में सहयोग से है। अफगानिस्तान के विकास और वहां मानवीय सुविधाएं मुहैया कराने में मदद के लिहाज से ये काम जरूरी हैं।”
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भारत और अफगानिस्तान ने मई 2016 में तीनों देशों में ट्रांजिट-ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर स्थापित करने को लेकर एक समझौता किया था। इसके तहत चाबहार पोर्ट को ईरान में समुद्री परिवहन के एक रीजनल हब के तौर पर विकसित किया जाना है। तीनों देशों में वस्तुओं और यात्रियों की आवाजाही के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों को विकसित किए जाने का भी समझौता हुआ है।
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भारत को ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मिली छूट अगस्त महीने में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दक्षिण एशियाई रणनीति से प्रेरित है। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में शांति और विकास की वापसी में भारत की बड़ी भूमिका है।