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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हेडफोन लगाकर तेज म्यूजिक सुनने वाले 60 परसेंट यूथ को है सुनने की प्रॉब्लम

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चंडीगढ़ .देश में बधिरों की संख्या इस समय करीब सात लाख तक पहुंच चुकी है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जोकि समाज व देश के लिए खतरा है। इसके लिए मुख्य रूप से ध्वनि प्रदूषण ही जिम्मेदार है। देश के युवा कान में हेडफोन लगा तेज म्यूजिक सुनते हैं। इससे साठ फीसदी युवाओं को हियरिंग लॉस की दिक्कत हो रही है।

यह बात मैसूर स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हेयरिंग संस्थान में ऑडियोलॉजी प्रोफेसर डॉ.के राज लक्ष्मी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-16 में बधिर उपचार एवं परामर्श केंद्र ‘बेस्ट साउंड सेंटर’ के उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का आठवां ऐसा देश हैं जहां यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। इसके लिए सीधे तौर पर लगातार बढ़ रहा नॉयस पॉल्यूशन जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह मानते हैं कि यह समस्या बचपन से ही होती है। जबकि बहरापन किसी भी उम्र में हो सकता है। वर्तमान में युवा वर्ग सर्वाधिक इसकी चपेट में आ रहा है। शहरों में जहां इंडस्ट्रियल एरिया हैं। इंडस्ट्रियल यूनिट्स में नॉयस पॉल्यूशन 75 डेसीबल व शहरी क्षेत्रों में 45 डेसीबल तक होना चाहिए। इस समय लाइफ स्टाइल में बदलाव के चलते नॉयस पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है।

नॉयस पाॅल्यूशन के खिलाफ भी जागरूकता की जरूरत :सीवांतोज कंपनी के सीईओ अविनाश पवार ने कहा कि देश में इसका इलाज और थैरेपी के प्रति जागरूकता लाना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा एयर पॉल्यूशन के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जो चिंता का विषय है। क्योंकि ध्वनि प्रदूषण न केवल हृदय रोग को जन्म देता है बल्कि मानसिक विकलांगता को भी बढ़ावा देता है। इस मौके पर प्रवक्ता सचिन ग्रोवर ने बताया कि अर्ली स्टेज पर इसका पता लग जाए तो इसका इलाज संभव होता है।

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youth listening to sharp music by headphones have hearing problem