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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गांवों में पराली जलाने, पहाड़ों पर बारिश से शहर में बढ़ेगी स्मॉग

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जालंधर. पंजाब के गांवों में एक तरफ बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि होती जा रही है, वहीं पहाड़ों पर बारिश के चलते पंजाब में धुंध बढ़ने की संभावना है। ऐसा होता है तो इससे स्मॉग बनेगा। समोग अंग्रेजी के शब्द धुएं के लिए बने शब्द स्मोक और धुंध के लिए बने शब्द फॉग को मिलाकर बना है।

स्मॉग में धुंध और धुआं दोनों ही मौजूद होते हैं। यह तब होता है, जब धुंआ वाष्प कणों की गिरफ्त में आ जाता है। इससे विजिबिलिटी भी कम हो जाती है और सतह पर ही इसकी परत जमना शुरू हो जाती है। इससे खांसी और दमे के रोगियों की तकलीफ बढ़ रही है। जबकि समोग आंखों में चुभन पैदा कर रहा है। जानकारों के मुताबिक दिवाली के बाद यह काफी बढ़ जाएगा।

नवंबर में राहत मिलने के आसार काफी कम :

पंजाब में नवंबर सबसे शुष्क महीना होता है। क्योंकि इस महीने पंजाब में सबसे कम बारिश होती है। स्मॉग दो स्थितियों में ही समाप्त होता है। एक- अगर तेज हवाएं चलें। तेज हवाएं चलने से स्मॉग एक स्थान से दूसरे स्थान, सतह से आसमान और आसमान से सतह की ओर हवाएं चलने से यह फैल जाता है और उसका असर कम हो जाता है।

जबकि इसके समाप्त होने का दूसरा कारण है बारिश। बारिश से स्मॉग बारिश में घुल जाता है और वातावरण साफ हो जाता है। मगर नवंबर महीने की भौगोलिक परिस्थितियों में तेज हवाओं और तेज बारिश का होना लगभग न के बराबर है। वहीं पहाड़ों पर लगातार ठंड बढ़ने से मैदानी इलाकों में धुंध बढ़ती जाएगी। अच्छी बारिश दिसंबर और जनवरी में होगी। यानी नवंबर महीने के ज्यादातर दिनों में पंजाब में हालात बेहद चिंताजनक रहने वाले हैं।

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बुधवार शाम बर्ल्टन पार्क में वातावरण काफी धुंधला रहा।