रवि रौणखर, जालंधर.सिविल अस्पताल स्थित जिला मलेरिया लैब में दुर्लभ मिक्स्ड मलेरिया का केस सामने आया है। यह पंजाब में इस साल का पहला मामला है। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा ने बताया कि मच्छर के शरीर में कुछ खास किस्म के परजीवी होते हैं जो काटने के बाद व्यक्ति के शरीर में दाखिल हो जाते हैं।
आम तौर पर एक ही किस्म का परजीवी एक समय पर मरीज के शरीर में दाखिल होकर मलेरिया इंफेक्शन करता है। मगर होशियारपुर के 45 साल के महिंदर सिंह के खून के टेस्ट करने पर दो परजीवी मिले हैं। एक परजीवी का नाम पी. वाइवेक्स और दूसरे का नाम फाल्सीपेरम है।
मरीज की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है और उसका इलाज चैरिटेबल अस्पताल में चल रहा है। सेहत विभाग भी मिक्स्ड मलेरिया का मरीज मिलने पर हाई अलर्ट पर है और महिंदर सिंह के होशियारपुर के गढ़दीवाल स्थित गांव में टीमें रवाना करने जा रहा है। गांव वासियों के खून के नमूने लिए जाएंगे और मरीज पर अगले छह महीने नजर रखी जाएगी।
डॉ. बग्गा ने बताया कि मिक्स्ड इंफेक्शन मिलना गंभीर बात है। ऐसे मामलों में मरीज को दिमागी बुखार होने की आशंका बनी रहती है। इसमें 90 प्रतिशत मामलों में जान को खतरा भी होता है। इस साल पंजाब में मलेरिया के मिक्स्ड इंफेक्शन का यह पहला मामला है। इससे पहले पिछले साल कपूरथला में एक मरीज सामने आया था। उस मरीज का डाइग्नोज भी हमारी जिला लैब के सीनियर मेडिकल लैब टेक्नीशियन जेएस भिंडर ने किया था। भिंडर ने बताया कि परजीवी जब शरीर में अपनी गिनती बढ़ा लेते हैं तो मलेरिया हो जाता है। इसमें तेज बुखार, उल्टी दस्त जैसे लक्षण होते हैं।
लीवर की कोशिकाएं डैमेज करते हैं
पी वाइवेक्स परजीवी आम मलेरिया है लेकिन प्लासमोडियम फाल्सीपेरम बेहद खतरनाक मलेरिया है। दुनिया भर की सभी मलेरिया मौतों में आधी फाल्सीपेरम के कारण ही होती हैं। 2016 में इसके कारण 4.45 लाख लोगों की मौत हुई थी। मच्छर द्वारा काटने के बाद यह परजीवी सीधे लीवर की कोशिकाओं में अपना घर बना लेता है और गिनती बढ़ाता है। गिनती बढ़ने के बाद सैल फूट जाते हैं और यह परजीवी खून की नाड़ियों में बहना शुरू हो जाता है। खून की लाल रक्त कोशिकाओं को भेदकर यह उसमें घुस जाता है और गिनती में बढ़ाता है। कुछ परजीवी इसमें नर या मादा का रूप ले लेते हैं। इन्हें गमीटोसाइट कहते हैं। जिस मरीज के खून गमीटोसाइट परजीवी होते हैं अगर उन्हें मच्छर काट ले तो मच्छर की आंतों में यह गमीटोसाइट दूसरे लिंग के गमीटोसाइट के साथ मिलन करके फिर से नए परजीवी को जन्म देते हैं। यही चक्र मलेरिया को जिंदा रखे हुए है।
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