वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रवासियों के बच्चों को जन्म लेते ही मिलने वाली स्थायी नागरिकता का अधिकार खत्म करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने इस बर्थराइट सिटीजनशिप को बेतुका और हास्यास्पद करार दिया है। उनका कहना है कि हमेशा से कहा गया है कि इस तरह की सिटीजनशिप को खत्म करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। हम कार्यकारी आदेश भी ला सकते हैं। यह प्रक्रिया में है।
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मौजूदा नियम के अनुसार, अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे को अमेरिकी नागरिक माना जाता है। चाहे वह बच्चा गैर-अमेरिकी नागरिक का हो या अधिकृत या अनाधिकृत तरीके से रह रहेप्रवासियों का। ऐसे में ट्रम्प ‘एंकर बेबी’ और ‘चेन माइग्रेशन’ जैसे सिस्टम को खत्म करना चाहते हैं।
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ट्रम्प ने अमेरिकी टेलीविजन चैनल एचबीओ को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘दुनिया में अमेरिका अकेला ऐसा देश है, जहां कोई व्यक्ति आता है। कुछ समय बाद उसका बच्चा जन्म लेता है और वह बच्चा 85 साल के लिए अमेरिकी नागरिक बन जाता है। साथ ही, सभी सुविधाएं हासिल करता है। यह तरीका काफी हास्यास्पद है, जिसे खत्म होना चाहिए।’’
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अमेरिका में प्रवासियोंके बच्चे हर साल खुद-ब-खुद अमेरिकी नागरिक बन जाते हैं। इनमें ऐसे विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, जो गेस्ट वीजा या विजिटर वीजा पर अमेरिका आते हैं। कुछ विदेशी अपना टूर इस तरह प्लान करते हैं कि उनका बच्चा अमेरिका में पैदा हो सके।
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ट्रम्प ने कहा कि उनका प्रशासन इस सिस्टम को अब खत्म करना चाहता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प के इस फैसले को संसद से गुजरना होगा और यह कानूनी चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएगा। वहीं, ट्रम्प का मानना है कि वे एक खास आदेश पर हस्ताक्षर करके अमेरिकी नागरिकता के इस नियम में बदलाव कर सकते हैं।
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ट्रम्प के मुताबिक, उन्हें हमेशा बताया गया है कि वे अपनी जरूरत के मुताबिक संविधान में संशोधन भी कर सकते हैं। ट्रम्प ने कहा, ‘‘इस तरह के नियम में बदलाव के लिए संसद की मंजूरी लेनी जरूरी है। अगर सांसद इसके लिए तैयार नहीं होते हैं तो कार्यकारी आदेश जारी कर सकते हैं।’’
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जुलाई 2017 में हुई जनगणना के मुताबिक, अमेरिका की कुल जनसंख्या 32.57 करोड़ थी। इनमें 4.5 करोड़ प्रवासी नागरिक हैं, जिनमें 26 लाख भारतीय शामिल हैं। हालांकि, प्रवासियों में सबसे ज्यादा नागरिक (28 लाख) चीन के हैं। 2010 की जनगणना में प्रवासी नागरिकों की संख्या 4 करोड़ थी। इनमें 22 लाख चीनी और 18 लाख भारतीय नागरिक थे।