कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं। वे मोदी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप तो लगाते ही हैं, दो टूक कहते हैं कि प्रधानमंत्री खुद भ्रष्टाचार मैनेज कर रहे हैं। वहकहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, मीडिया जैसे इंस्टीट्यूट को सरकार कैप्चर करने की कोशिश कर रही है। राहुल का दिल्ली में उनके निवास पर दैनिक भास्कर के संपादक आनंद पांडे ने विशेष साक्षात्कार लिया।
भास्कर :मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को राज करते हुए पंद्रह साल हो गए हैं। लेकिन वहां से अब खबरें आ रही हैं कि बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। आखिर वहां इतनी एंटी इंकम्बेंसी और सरकार के खिलाफ नाराजगी खड़ी क्यों नहीं हो पा रही है? क्या बीजेपी इतना अच्छा काम कर रही है?
राहुल : जो सोच मीडिया में बनाई जा रही है और जो जनता के बीच है, उसमें बहुत फर्क है। असल में सभी राज्यों में बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है, एंटी इंकम्बेंसी है। जनता साफ कहती है कि बीजेपी राज में उसका बहुत नुकसान हुआ है। लेकिन ये मीडिया में नज़र नहीं आ रहा। इसका कारण तो मुझ से बेहतर आप जानते हैं।
भास्कर : आप लोग बार-बार मीडिया पर आरोप लगाते हैं, लेकिन आपने खुद कहा था कि बीजेपी की मार्केटिंग कांग्रेस से बेहतर है। अभी भी यही राय है?
राहुल : जहां-जहां उनकी सरकार है वहां मीडिया इंस्टीट्यूशन्स पर उनका दबाव है। इसको हम और जनता ख़ूब समझते हैं। आजकल हिंदुस्तान में डर का माहौल है। उसका असर मीडिया पर भी दिखाई देता है। और आखिरी बात, जहां तक मार्केटिंग का सवाल है, एक बड़े स्तर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भ्रष्टाचार हुआ है। इसी पैसे का फायदा मार्केटिंग में उठाया जाता है। मेरा कहना था कि उनकी मार्केटिंग इसलिए अच्छी है, क्योंकि उनके पास भ्रष्टाचार का पैसा है।
भास्कर :सौ सालों का इतिहास देखें तो किसानों की राजनीति तो हर पार्टी करती है, लेकिन किसान बेचारा वहीं का वहीं खड़ा है।
राहुल :यह सही नहीं। किसान ने तरक्की की और फिर मोदी सरकार में खेती एकदम गिर गई। हरितक्रांति के पहले किसान की स्थिति और थी। जहां आज है, उससे बहुत पीछे। मूल बात है कि आज हिंदुस्तान के खेत से किसान को सही आमदनी नहीं मिल पा रही। जिस तरह से हरितक्रांति से, बैंकों के राष्ट्रीयकरण से, उदारीकरण से, सेलफोन-कंप्यूटर लाकर कांग्रेस ने खेती का रास्ता बदला था, उसी तरह से किसान के लिए आर्थिक तरक्की का नया रास्ता बनाने की जरूरत है। कर्जा माफी किसान का हक है। बीजेपी चीजों को समुचित तरीके से देख ही नहीं पाती है। प्रधानमंत्री पंद्रह अगस्त को लाल किले से कहते हैं कि मेरे आने से पहले देश का हाथी सो रहा था। आप सोचिये, यह देश हजारों साल से बुद्धि और ज्ञान का स्रोत है। मगर उनके मुताबिक़ पूरा देश विश्वगुरु नहीं था, बल्कि सो रहा था। इस देश की आत्मा को समझने में मुझे भी कई साल लग गए। ये देश नीयत समझता है। मार्केटिंग इस देश में नहीं चलती है।
भास्कर :इसीलिए तो वो मन की बात करते हैं…
राहुल :अपने खुद के मन की बात। मैंने अभी आपको बताया कि पीएम ने महाराणा प्रताप हों या रानी झांसी, सबको अपमानित किया। स्वयं को भगवान कृष्ण से भी बड़ा रणनीतिकार पेश करने की कोशिश की। पर देश जानता है कि यह सच नहीं। प्रधानमंत्री के काम की शुरुआत कहां से होती है, शुरुआत देश के द्वारा प्रधानमंत्री पर भरोसे से होती है। पहले पूरा देश पीएम पर विश्वास करता है। फिर पीएम देश का विश्वास जीत, काम कर सकता है। अगर पीएम कहें कि मेरे आने से पहले कुछ नहीं हुआ, तो इसका मतलब वो देश का विश्वास खो चुके हैं। भाजपा के नेताओं की सोच में ये बुनियादी परेशानी है। वो सोचते हैं कि वो सर्वज्ञानी हैं।
भास्कर : क्या लोकसभा चुनाव में प्रिंयका की सक्रिय राजनीति अमेठी और रायबरेली से बाहर भी दिखेगी।
राहुल : (मुस्कुराते हुए) आपको सरप्राइज मिलेगा…
भास्कर : आपने कहा कि शिवराज, रमन, वसुंधरा तीनों भ्रष्ट हैं। ये 5 साल में भ्रष्ट हुए हैं या पहले से भ्रष्ट हैं? क्योंकि रमन सिंह को तो बतौर सीएम 15 साल हो गए हैं और शिवराज के भी 15 साल हो रहे हैं। अगर ये 15 साल से भ्रष्ट हैं तो आप पिछले चुनावों में इसे मुद्दा क्यों नहीं बना पाए?
राहुल: पिछले 15 साल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। शायद जब नए आए थे, तो कुछ जिम्मेदारी का अहसास था। पर अब तो ये तीनों नेशनल चैंपियन बन गए हैं।
भास्कर : माना जा रहा था कि मप्र में बसपा, सपा और दूसरी छोटी पार्टियां कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ेंगी। ऐसा हो नहीं पाया, उल्टे मायावती ने छत्तीसगढ़ में जोगी जी का हाथ थाम लिया।
राहुल : जब हमारी चर्चा हुई, तो मध्यप्रदेश के प्रांतीय नेताओं का एक विचार था। उनके मुताबिक सीट बंटवारे में दी जाने वाली सीटों की एक सीमित संख्या थी। मायावती जी की पार्टी उससे कहीं ज्यादा सीटें चाहती थीं। मैंने अपने प्रांतीय नेताओं की सोच से आगे जाकर कहा कि हमें सीट बंटवारे में खुला मन रखना है। लेकिन आखिरी समय में उन्होंने पूरी चर्चा ही खत्म कर दी।
भास्कर : तो आखिरकार कांग्रेस को इसका खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा?
राहुल : नहीं, हमें इतना असर नहीं होगा। इन राज्यों में बीएसपी का वोट शेयर सीमित है। हमें विश्वास है कि कोई नुकसान नहीं होगा। गठबंधन से बड़ा मुख्य मु्द्दा ये है कि आज तीनों ही राज्यों मे जनता बीजेपी को हराना चाहती है। जनता समझती है कि बीजेपी को सिर्फ कांग्रेस ही हरा सकती है। हां, बीएसपी या अन्य छोटी पार्टियों का रोल हो सकता था, लेकिन वह नहीं हो पाया।
भास्कर : आप जब भी दौरे पर जाते हैं तो हर राज्य में बड़े नेता आपके साथ एक मंच पर आ जाते हैं। फिर बात चाहे सचिन-गहलोत की हो या कमलनाथ-दिग्विजय-सिंधिया की। लेकिन क्या ये एकता मंच से नीचे भी जा पा रही है?
राहुल : देखिए, हर राज्य में अनुभवी नेता भी हैं और युवा नेता भी। इन दोनों को जोड़ने का काम मेरा है। पहली बार आपने देखा होगा कि सभी जगह सब एक साथ बीजेपी सरकारों से लड़ रहे हैं।
भास्कर : छत्तीसगढ़ में त्रिशंकु सरकार के कयास लगाए जा रहे हैं।
राहुल : नहीं। स्वीप होगा वहां पर। आप नोट कर लें… मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, तीनों ही जगह पूर्ण बहुमत आएगा। बीजेपी की इतनी करारी हार होगी कि उसका पता ही नहीं लगेगा, दिखाई ही नहीं देगी बीजेपी। क्योंकि जनता में जबरदस्त गुस्सा है। किसान को भविष्य का रास्ता नहीं दिखता। न एमएसपी मिलती है, न बीमा का पैसा, न कर्जा माफ होता है। दूसरी तरफ किसान देखता है कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी भाग गए छब्बीस हजार करोड़ लेकर, विजय माल्या भाग गया नौ हजार करोड़ लेकर। और इधर अनिल अंबानी की कंपनी को तीस हजार करोड़ रुपए दे दिए। मतलब मध्यप्रदेश का कर्जा आप इस एक आदमी के पैसे से माफ कर सकते हो। ऐसे ही दूसरा ग्रुप है, युवाओं का। मोदी जी ने कहा था कि दो करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा। आज वास्तविकता ये है कि पूरे देश में हर रोज केवल साढ़े चार सौ युवाओं को ही रोजगार मिल पाता है। ये तो ठीक है कि अगर आप श्री रमन सिंह के पुत्र हैं, वसुंधरा जी के बेटे हैं, शिवराज जी के बेटे हैं तो आपको बिजनेस मिल जाएगा। फायदा भी होगा। आपका सवाल सही नहीं कि वहां त्रिशंकु सरकार आएगी। आप देख लेना। पिछले चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक फीसदी का अंतर था। इस बार कम से कम तीन-चार फीसदी का अंतर होगा।
भास्कर : जोगी के साथ की जरूरत पड़ी तो?
राहुल :जोगी जी अप्रासंगिक हैं। वो छत्तीसगढ़ की राजनीति में प्रासंगिक नहीं हैं।
भास्कर : आपने मंदसौर में मेड इन मंदसौर का मसला उठाया था। लेकिन बीजेपी पूछती है कि मेड इन अमेठी के बारे में भी तो बताइए।
राहुल : अमेठी में असल में बहुत प्रभावशाली काम किया है हमने। कभी आप जाना चाहें तो अवश्य देखिएगा। मेड इन अमेठी पूरा करने के लिए यूपी सरकार की भी जरूरत है, परन्तु केंद्र व यूपी की बीजेपी सरकारें तो अमेठी में संस्थान बंदकर भेदभाव कर रही हैं।
भास्कर : क्या कारण है कि राफेल के मुद्दे पर किसी भी दूसरी बड़ी पार्टी का बड़ा नेता आपका साथ खुलकर नहीं दे रहा है? फिर बात चाहे ममता बनर्जी की हो या मायावती की या शरद पवार जी की।
राहुल : राफेल में भ्रष्टाचार साफ है और कई स्तर पर है। इसमें जो टेंडर हुआ, उसे मोदीजी ने व्यक्तिगत तौर से खारिज कर दिया। रक्षा मंत्री, रक्षा सचिव, राष्ट्रीय रक्षा समिति, किसी से नहीं पूछा।
भास्कर : (बीच में टोकते हुए) वैरी-वैरी सॉरी आप ये सब बातें पहले भी कई बार बोल चुके हैं… लेकिन मेरा बहुत स्पेसिफिक सवाल है कि बाकी बडी पार्टियों…
राहुल : मैं बता रहा हूं। मैं चाहता हूं कि जनता इस मुद्दे को समझे। प्रधानमंत्री ने टेंडर क्यों बदल दिया? ये कोई सौ गज के रोड का टेंडर नहीं है। ये दुनिया की सबसे बड़ी डिफेंस डील है। तीस हजार करोड़ रुपए अनिल अंबानी की कंपनी में सीधे डाल दिए। पहली गड़बड़ यही है। दूसरी बात, अगर इंक्वारी शुरू होगी तो सीधे पीएम तक पहुंचेगी। कांग्रेस जो लड़ाकू जहाज 526 करोड़ में खरीद रही थी, मोदी जी ने वही 1670 करोड़ रु. प्रति जहाज के हिसाब से खरीदे। 126 लड़ाकू जहाजों की संख्या भी कम करके 36 कर दी। ऐसा क्यों?
भास्कर : एक थोड़ा पर्सनल सवाल। आप पर काफी शाब्दिक हमले होते हैं। कभी मन आहत भी होता होगा। आपकी सोशल मीडिया पर एक छवि गढ़ दी गई है। इसे कैसे लेते हैं आप?
राहुल : मेरी सोच, मेरी फिलॉसफी, मेरा रास्ता है कि मैं अपना काम करता हूं। मैंने अपनी जिंदगी में देखा है कि जितनी भी नफरत, जितना भी गुस्सा आपके ऊपर फेंका जाए, अगर आप उस नफरत को प्यार से मंजूर कर लेते हैं तो दो चीजें होती हैं। एक नफरत करने वाला थक जाता है। दूसरा आपको ज्ञान मिलता है। ये तो हम भगवान शिव से भी सीख सकते हैं जिन्होंने जहर को कंठ में धारण किया, ताकि समाज सुरक्षित रहे। आप अगर समाज बदलना चाहते हैं, कमजोरों के लिए लड़ना चाहते हैं, तो ताकत में बैठे लोग आपको मारेंगे, गाली देंगे। आपके पास दो विकल्प होंगे–एक खड़े हो जाओ व दूसरा भाग जाओ। मैं खड़ा हूं। मैं देश के हर गरीब, किसान, महिला व युवा के लिए लड़ूंगा।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में चुनावी मुद्दों पर…
भास्कर : मप्र, छग और राजस्थान में व्यापमं, खनन घोटाला या पीडीएस जैसे मुद्दों को कांग्रेस चुनावी मुद्दे क्यों नहीं बना पा रही?
राहुल : बीजेपी और आरएसएस सुनियोजित तरीके से संस्थाओं पर कब्जा करते हैं। आपने देखा कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आगे आए और कहा हमें काम नहीं करने दिया जा रहा। जज लोया का नाम लिया, मतलब अमित शाह का नाम लेना। यही दबाव हिंदुस्तान की हर संस्था पर है। व्यापमं घोटाला भाजपा की मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सीधे-सीधे मेडिकल एजुकेशनल जैसी शिक्षण प्रणालियों व रोज़गार पर गैर कानूनी तरीके से किया गया कब्ज़ा है। वह ये सुनियोजित तरीके से करते हैं। सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, चुनाव आयोग, प्रेस आदि। सबको दबाते हैं। आपने छत्तीसगढ़ में देखा। वहां एक महिला ने पीएम से बोला कि आमदनी दुगुनी हो गई है। पत्रकार उस महिला के पास गए। उन्होंने पूछा कि क्या ये सच है? तो उस महिला ने कहा कि नहीं ये जबरदस्ती बुलवाया गया झूठ था। यह दिखाने पर पत्रकार को ही नौकरी से निकाल दिया गया। और ये सबसे ऊपर के स्तर पर होता है, प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है। जनता के मन में एकदम साफहै, तीनों ही राज्यों की सरकारें भी भ्रष्ट हैं व सरकारों के मुखिया भी। नरेंद्र मोदी जी ने सत्ता में आने से पहले खुद को देश का चौकीदार बताया था। अब पता चला कि चौकीदार हिंदुस्तान की वायुसेना से पैसा लेकर अनिल अंबानी की कंपनी को दे रहा है।
भास्कर : (बीच में रोकते हुए) हम राफेल पर आपसे लंबी-चौड़ी बात करेंगे लेकिन…।
राहुल : जब आप मुद्दों की बात करते हैं तो मुद्दे उठाता कौन है? मुद्दे और खामियां प्रेस उजागर करती है। अगर आपने सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया तो पब्लिक का मूड, फिर वोटिंग मशीन का बटन दबाने से ही पता चलेगा। इस बार चुनाव के दिन सरकार को जवाब मिलेगा। कई बार, जो आवाज़ लोगों के दिलों में है…किसानों की, छोटे दुकानदारों की युवाओं की, वो नहीं सुनाई देती क्योंकि ट्रांसमीटर पर सरकार का दबाव भी है और कब्जा भी।
भास्कर : लेकिन एक्सपोज़ करने की कैपेसिटी आपके पास तो थी।
राहुल : इसीलिए तो हमने व्यापमं घोटाला उजागर किया, ललित मोदी से सांठगांठ उजागर की। देखिए, पहले जब हमने राफेल घोटाला उजागर किया…
भास्कर : (बीच में रोकते हुए) लेकिन इसके बावजूद वो तीन चुनाव जीत के आ रहे हैं?
राहुल : मेरी पूरी बात सुनिए। जब हमने राफेल घोटाला उठाया तो कई पत्रकार साथियों ने कहा कि इसमें कुछ नहीं है। हमने और तथ्य इकट्ठे किए व घोटाले की और परतें खुलीं, जिन्हंे हमने बार-बार दोहराया। अब परसों मेरी प्रेस कांफ्रेंस हुई इसी मदुदे पर। वहां पत्रकारों के चेहरे तो टीवी पर नहीं दिख रहे थे, लेकिन सब के सब मुस्कुरा कर मान रहे थे कि हां गड़बड़ तो है।
महागठबंधन पर…
भास्कर : पूरी राजनीति एक ही शब्द के इर्द-गिर्द घूम रही है-महागठबंधन।
राहुल : नहीं। राजनीति सिर्फ दो मुद्दों के आस-पास घूम रही है–युवाओं को रोजगार और किसानों का भविष्य। किसान कह रहा है कि हमें रास्ता नहीं दिख रहा है और युवा कह रहा है कि हमें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। छोटे-छोटे दुकानदारों का धंधा ठप्प है,और चारों तरफ हाहाकार।
भास्कर : तो इसका मतलब बिना गठबंधन भी आप लोग एनडीए को बाहर कर देंगे?
राहुल : हमारा रास्ता व सोच उदार है। हम प्यार से, सब लोगों को साथ लेकर चलेंगे।
भास्कर : गठबंधन पर कितने आश्वस्त हैं?
राहुल : अवश्य होगा। बिना समस्या होगा। लेकिन मुद्दे ही महत्वपूर्ण हैं। रोजगार, किसान, गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी), भ्रष्टाचार, नोटबंदी आदि। नोटबंदी ने इंफॉर्मल सैक्टर को खत्म कर दिया। हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है ये सैक्टर। जो पीएम ऐसा काम कर सकते हैं, उनके मन में इस देश के लिए कोई भावना ही नहीं है। मध्यम और छोटी इंडस्ट्रीज को खत्म कर दिया। इन मुद्दों व जनता की समस्याओं के आधार पर ही गठबंधन बनेगा।
ज्यूडिशरी पर…
भास्कर : आप ज्यूडिशरी को दबाने और सुप्रीम कोर्ट के जजों की बात कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस पर तो हमेशा ही ज्यूडिशरी को दबाने के आरोप लगते रहे हैं। फिर बात चाहे 73 में एएन रे साहब को चीफ जस्टिस बनाने की हो या और भी दूसरे तमाम मसले हैं।
राहुल : इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। क्या पहले कभी ऐसा हुआ? जज लोया की हत्या का मामला, जिसमें अमित शाह जी पर आरोप है, उसकी चर्चा करते हैं। सीबीआई के डायरेक्टर को नियुक्त करने और हटाने का देश में कानून है। पर रात को एक बजे प्रधानमंत्री गैर कानूनी आदेश से उनको हटाते हैं। ये भी हिंदुस्तान के इतिहास में कभी नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री पर…
भास्कर : तीनों ही राज्यों में आप किसी को सीएम प्रोजेक्ट किए बिना ही चुनाव लड़ रहे हैं। इसे पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र बताते हैं लेकिन माना जा रहा है कि आपके पास चेहरे ही नहीं हैं जो मौजूदा सीएम को टक्कर दे सकें। इसलिए अपनी कमजोरी को आप अपनी ताकत की तरह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल : हमारे पास बहुत चेहरे हैं। तीनों ही राज्यों में हमारे पास बहुत सक्षम और अनुभवी नेता हैं।
भास्कर : तो फिर सीएम प्रोजेक्ट करके चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं कि ये हमारा सीएम होगा?
राहुल : क्योंकि हम सबको प्रोजेक्ट कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हम कांग्रेस पार्टी को प्रोजेक्ट करें, मुद्दों को चुनें, कांग्रेस पार्टी चुनाव जीते और कांग्रेस पार्टी लीडर चुने। और ये हमारे लिए फायदेमंद है…इससे हमारा फायदा हो रहा है।
मुस्लिमों पर..
भास्कर :धारणा है कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण करती है। आप इसे कैसे देखते हैं?
राहुल :कांग्रेस सबकी है। सबका दर्द समझती है। ये हमारा डीएनए है। इस देश में हर व्यक्ति की सोच अलग है। यही देश की खूबसूरती और ताकत भी है कि देश सबको अपनी बात रखने की जगह देता है। इसको चाहे बीजेपी कमजोरी माने। हम इसे देश की शक्ति की मानते हैं।
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