नैरोबी. अफ्रीका की विक्टोरिया झील में फुटबॉल के आधे मैदान जितना मिजिंगो द्वीप है। इस द्वीप पर बीते 10 साल से युगांडा और केन्या, दोनों देश दावा कर रहे हैं। कुछ लोग इसे द्वीप के लिए अफ्रीका का छोटा-सा युद्ध करार देते हैं। इस छोटी-सी जगह में 500 लोग टीन के घर बनाकर रह रहे हैं। यहां पर लोगों ने मछली पकड़ने के लिए छोटा पोर्ट और बार भी बना रखा है। 2009 की जनगणना के मुताबिक, द्वीप पर महज 131 लोग रह रहे थे।
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युगांडा के 22 साल के इसाक बुहिंजा बताते हैं- मैंने मछली पकड़ना अपने पिता से सीखा। मैं कभी स्कूल नहीं गया। मैं मिजिंगो इसलिए आया क्योंकि यहां मेरे दोस्त रहते हैं। वे जब भी घर जाते थे, तो उनके पास कई बेहतर चीजें रहती थीं। मुझे नहीं पता कि यह द्वीप किस देश का हिस्सा है।
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2000 के दशक तक द्वीप पर कोई नहीं रहता था। उस वक्त तक यह केन्या के अधिकार में आता था। तभी युगांडा के अफसरों की द्वीप पर नजर पड़ी और कुछ अफसरों को मछुआरों से टैक्स लेने के लिए द्वीप पर भेजा गया। अफसरों ने मछुआरों से सुरक्षा देने की बात भी कही।
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केन्याई मछुआरों ने शिकायत में कहा कि युगांडा के अफसरों ने मछली पकड़ने से रोका और पीछा किया। मछुआरों ने केन्या सरकार से मिजिंगो पर फोर्स तैनात करने की अपील की। 2009 के बाद से द्वीप का विवाद गहरा चुका है।
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द्वीप विवाद के चलते केन्या और युगांडा ने संयुक्त कमीशन बनाने का फैसला किया। दोनों देशों के बीच 1920 से लेकर अब तक जल-सीमा का नक्शा खंगाला गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिलहाल ये द्वीप केन्या और युगांडा द्वारा संयुक्त रूप से शासित क्षेत्र है।
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केन्या के पुलिसकर्मी ने बताया कि इस साल सितंबर में तब विवाद हो गया, जब हमने द्वीप पर अपना झंडा फहराने की कोशिश की। युगांडा के अफसर द्वीप पर पैट्रोलिंग करते हैं और वहां के निवासियों को धमकाते हैं।