Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

जापान में ‘टीयर्स टीचर्स’ का ट्रेंड, तनाव मुक्त रहने के लिए हंसाने की बजाय रुलाने पर जोर

0
101

टोक्यो. दुनिया में जापानियों को सबसे ज्यादा मेहनती माना जाता है। यहां के लोग सबसे कम छुट्टियां लेते हैं और सबसे ज्यादा काम करते हैं। लेकिन इस वजह से सबसे ज्यादा तनाव के शिकार भी होते हैं। कर्मचारियों के अलावा जापानी छात्र भी दुनिया में सबसे ज्यादा तनावग्रस्त छात्रों में गिने जाते हैं। ऐसे में अपने नागरिकों को तनाव मुक्त रखने के लिए जापान एक नया तरीका अपना रहा है। यहां लोगों का तनाव भगाने के लिए उन्हें हंसाने की बजाय रुलाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। कंपनियां और स्कूल अपने कर्मचारियों और छात्रों को हफ्ते में एक दिन जमकर रोने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। रोने के फायदे बताने के लिए खास तरह ‘टीयर्स टीचर’ यानी आंसू लाने वाले ट्रेनर भी तैयार किए जा रहे हैं।

पांच साल पहले पढ़ाते थे, अब लोगों को रुला कर स्ट्रेस फ्री कर रहे
जापान की एक हाईस्कूल टीचर हीदेफूमी योशिदा (43) ने पांच-छह साल पहले रोने से होने वाले फायदों पर शोध और प्रयोग शुरू किए। अब उन्हें जापान में नामिदा सेंसेई यानी टीयर्स टीचर के तौर पर जाना जाता है। योशिदा की जापानी कंपनियों और स्कूलों में भारी मांग है। इन्हें कंपनियों और स्कूलों में रोने के फायदे बताने और लोगों को रुलाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

जापान सरकार ने भी कदम उठाए
योशिदा के रुलाकर तनाव भगाने वाले एक्सपेरिमेंट्स पर तोहो यूनिवर्सिटी की मेडिसन फैकल्टी के प्रमुख प्रोफेसर हिदेहो अरिटा भी शोध कर चुके हैं। इन दोनों के प्रयोग और रिसर्च से साबित हुआ है कि हंसने और सोने के मुकाबले रोने से तनाव ज्यादा जल्दी खत्म होता है। हफ्ते में एक बार रोने से स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने में बड़ी मदद मिलती है। इनके शोध से निकले नतीजों को देखते हुए जापान सरकार ने साल 2015 में 50 से ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों के लिए तनाव मुक्त कदम उठाना अनिवार्य कर दिया था।

आंसुओं के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है तनाव से जुड़ा हार्मोन

  • विशेषज्ञों के मुताबिक मानव शरीर तीन तरह के आंसू रिलीज करता है- पहला है रिफ्लेक्स। ये आंसू तब बनते हैं जब आंख में कोई बाहरी कण गिर जाता है। ये आंसू उस कण को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
  • दूसरे होते हैं कॉन्टिन्यूअस टीयर्स, ये आंसू हमारी आंखों में नम रखने में मदद करते हैं।
  • तीसरे होते हैं इमोशनल टीयर्स, ये भावनाओं से जुड़े होते हैं और मनुष्य के दुखी या खुश होने पर रिलीज होते हैं।

1980 में अमेरिका के मिनियापोलिस स्थित रैमजे मेडिकल सेंटर के डॉ. विलियम फ्रे ने रोने के दौरान निकलने वाले आंसुओं पर रिसर्च की थी। डॉ. फ्रे के मुताबिक रोने के दौरान निकलने वाले आंसुओं में तनाव से जुड़ा एक हार्मोन भी शामिल होता है। जब आंसुओं के साथ यह बाहर निकलता है तो इंसान हल्का महसूस करता है।

70% मनोचिकित्सक देते हैं रोने की सलाह
रोने के तनाव से संबंध को लेकर 16 साल पहले 30 देशों में एक सर्वे हुआ था। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 60 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना था कि तनाव से लड़ने में रोना उनके लिए ज्यादा असरदार साबित होता है। वहीं दुनिया के 70 फीसदी मनोचिकित्सक तनाव से जूझ रहे लोगों को रोने की ही सलाह देते हैं।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today

‘tear Teachers’ trend in japan, weep to be stress free