वरिष्ठ पत्रकार पीसाईनाथ मानते हैं कि 2019 में किसी पार्टी को सपने में भी पूर्ण बहुमत नहीं मिल सकता। साईनाथ रेमन मैग्सेसे सहित 40 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। भास्कर के धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया से उनकी बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल- क्या मोदी को हरा पाना नामुमकिन है?
जवाब- 2014 में भाजपा को निर्वाचित जीत मिली। बहुमत और जीत अलग-अलग होती है। संसदीय इतिहास में एक पार्टी को इतने कम वोट से बहुमत नहीं मिला। सिर्फ 31 फीसदी। तेलंगाना की 17 और आंध्र की 25 सीटों में से भाजपा को कुछ नहीं मिल सकता। तमिलनाडु और आंध्र में मूड मोदी विरोधी है। तमिलनाडु की 39 और केरल की 20 सीटाें में से भाजपा को शून्य सीट मिलेगी। कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन ग्राउंडलेवल पर 50% भी जाता है तो भाजपा को 28 सीटों में से 10 ही मिल सकती हैं। गोवा में दोनों सीट भाजपाहारने वाली है। चार यूनियन टेरीटरी में से दो सीट मिल सकती है। इस प्रकार 135 सीट में से अधिकतम 15 सीट भाजपा को मिल सकती है। फिर नॉर्थ ईस्ट की 25 में से 10 सीट ही मिलने की संभावना है। त्रिपुरा की दोनों सीटें भाजपा जीतेगी। राजस्थान की 25 में से सात सीट मिल सकती है। इस तरह से 185 सीट में से भाजपाको 32 सीटें मिलेंगी। बाकी 358 सीटों में से 242 चाहिए। बंगाल में पांच सीट भाजपा को मिल सकती है। लोकसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत सपने में भी नहीं मिलेगा। मोदी और शाह ने चुनाव तो जीते लेकिन भाजपा को खत्म कर दिया। इन्होंने पार्टी को मोदी-शाह प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है।
सवाल- भाजपा के पास क्या मुद्दे होंगे?
जवाब- भाजपा का 2014 में वादा था कि किसानों के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करेंगे। लागत मूल्य और इसका 50 फीसदी जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे। सरकार ने 2015 में कोर्ट में एफिडेविट देकर और आरटीआई के जवाब में कहा कि यह नहीं हो सकता है। सरकार में आने के बाद अब तक छह अलग-अलग बात कह चुकी है पार्टी। साथ ही कहा था कि विदेश से हर भारतीय के लिए 15 लाख रुपए वापस लाएंगे। मुझे कन्फ्यूजन है कि वो क्या बोले- 15 लाख लाएंगे या हर भारतीय का 15 लाख एक्सपोर्ट करेंगे। लोग सरकार से बहुत डरते हैं। मैंने मीडिया को कभी इतना डरा हुआ नहीं देखा। एचएएल के पूर्व डायरेक्टर ने कहा है कि हम रफाल बना सकते हैं। लेकिन निर्मला सीतारमन कह रही हैं कि एचएएल के पास क्षमता नहीं है। तो किसकी क्षमता है, चंद दिन पहले बनी अनिल अंबानी की कंपनी की। हर वादे पर मोदी सरकार रक्षात्मक मुद्रा में है। संघ के पास एंटीनेशनल और कम्युनल के अलावा क्या मुद्दा है? बताया जाएगा कि देश और हिंदू खतरे में है। मंदिर, मोदी की हत्या का षड्यंत्र और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दे आगे बढ़ाएंगे।
सवाल-इस चुनाव में कांग्रेस के पास मोदी सरकार के खिलाफ क्या मुद्दे हैं?
जवाब-कांग्रेस के पास मुद्दे बहुत हैं, लेकिन सवाल यह है कि विश्वसनीयता कितनी है? अतीत में उसने भी कई गलतियां की हैं। रफाल महत्वपूर्ण मुद्दा है। नोटबंदी, जीएसटी, किसानों की आत्महत्या बड़े मुद्दे हैं। भाजपा ने कैटल इकॉनामी को खत्म कर दिया। गाय की कीमत 80 से 90% कम हो गई हैं। किसान गाय को बेचने ले जाने से बचते हैं। कोल्हापुरी चप्पल को खत्म ही कर दिया है।
सवाल- यूपी में सपा-बसपा गठबंधन हाेने पर भाजपा 2014 का प्रदर्शन दोहरा पाएगी?
जवाब-गठबंधन होता है तो आधी सीटें मिलना भी मुश्किल है। गोरखपुर में सपा-बसपा मिल गए तो सीट सपा जीत गई।
सवाल-क्या विपक्ष बिना चेहरे के मोदी का सामना कर पाएगा?
जवाब- राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो विपक्ष चेहरा तय कर सकता है। 2004 जैसा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करना चाहिए। सरकार को बाहर से वाम दलों ने समर्थन दिया था। इससे मनरेगा, आरटीआई, शिक्षा का अधिकार मिला।
सवाल- दलित-सवर्ण विवाद की स्थिति को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- दलितों का मोदी सरकार से अलगाव हो गया है। 2014 में यूपी में कुछ दलित समुदायों ने भाजपा को वोट दिया। बसपा को नुकसान हुआ। इस बार दलित भाजपा को वोट नहीं देंगे। भीमा-कोरगांव भी दलित को डरा रहे हैं। ओबीसी का अलगाव बीच में हुआ है।
सवाल- क्या वास्तव में देश में आंकड़ों की बाजीगरी चल रही है?
जवाब- आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का सिलसिला पिछले कई सालों से चल रहा है। 2010 में जब नेशनल सेंपल सर्वे का आंकड़ा बहुत बुरा निकला तो मोंटेक सिंह ने दोबारा सर्वे करवाया। इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ था। यूपीए में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े में भी गड़बड़ी हुई। 2014 में 12 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों ने किसानों की आत्महत्या शून्य बताई। मोदी सरकार आने के बाद आंकड़ों की ये बाजीगरी नए स्तर पर चली गई है। दो साल से नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का डेटा सामने नहीं आया है। नेशनल न्यूट्रीशियन मॉनिटरिंग ब्यूरो हैदराबाद को बंद कर दिया। यह बड़ा ब्यूरो था, जो 40 साल से डेटा दे रहा था। अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन ही है। जीडीपी की परिभाषा ही बदल दी। बजट में एनेक्सचर स्टेटमेंट ऑफ रिवेन्यू खत्म कर दिया।
सवाल- अभी तक सरकार में भ्रष्टाचार का कोई भी बड़ा मामला सामने नहीं आया है?
जवाब- इसलिए सामने नहीं आया है कि मीडिया मालिक डरते हैं अमित शाहजी से। जिस्टस लाेया केस, सोहराबुद्दीन केस में गवाह पलट गए। माल्या का नोटिस सीबीआई ने डायल्यूट किया। भ्रष्टाचार सामने नहीं आ रहा है। मेहुल चौकसी-नीरव मोदी के पासपोर्ट में नो -ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट किसने दिया? भ्रष्टाचार तो बहुत बढ़ा है, लेकिन मामले सामने कम आए हैं।
सवाल- नोटबंदी, जीएसटी कैसे फैसले हैं?
जवाब- नोटबंदी का नुकसान अभी भी दिख रहा है। बहुत सारी संपत्ति गरीब से अमीर के बीच ट्रांसफर हुई। जीएसटी कांग्रेस ने शुरू किया। साठ साल के संघर्ष से राज्यों की ताकत, संघीय ढांचे को बढ़ाया गया था। जीएसटी लाकर इसे खत्म कर दिया। राज्यों के राजस्व का मुख्य स्रोत था- सेल्स टैक्स। छोटे कारोबारियों को कंप्यूटर और सीए की आवश्यकता पड़ रही है, लागत बढ़ी है।
सवाल- मोदी सरकार की दो बड़ी कामयाबी और दो असफलताएं बताइए?
जवाब- हर फ्रंट पर सरकार फेल है, तो कामयाबी क्या बताऊं? रुपए की स्थिति देख लीजिए, पेट्रोल की कीमत देख लीजिए, 90 रुपए प्रतिलीटर क्रॉस कर गया। रोजगार नहीं मिला। सबसे बड़ी सात आईटी कंपनियों ने 2017 में 56 हजार लोगों को हटाया। और भी क्षेत्रों में स्थिति खराब होने वाली है।
सवाल- धारणा बन रही है कि जर्नलिस्ट या तो राइटिस्ट है या लेफ्टिस्ट है या एक्टिविस्ट है। या टीवी पर फैसले सुना रहा है।
जवाब- जो टीवी पर बैठकर फैसला कर रहा है, वह जर्नलिस्ट है ही नहीं। जर्नलिस्ट के पोलिटिकल प्रिफरेंस की बात नहीं है, मालिकों के प्रिफरेंस चलते हैं। 2009 से 10 हजार से ज्यादा पत्रकारों की नौकरी चली गई। बेहतर और स्वतंत्र सोच के पत्रकार ही निकाले गए।
सवाल- मीडिया बंटा हुआ है। या तो प्रो-मोदी या एंटी मोदी। ऐसी धारणा बन रही है कि बड़े पत्रकार भी तटस्थ नहीं है?
जवाब- मीडिया और जर्नलिज्म अलग-अलग हैं। मीडिया कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर है और जर्नलिज्म में पत्रकार हैं। 90 फीसदी बड़े मीडिया मोदी या अमित शाह की जेब में हैं। जो गया नहीं वो चुप है। एक-आध फीसदी ही खबर कर रहे हैं। बड़ा एंटी मोदी वर्ग नहीं है। बहुत डरते हैं। आयकर, ईडी, सीबीआई और अन्य आरोपों में खत्म कर देंगे। बड़े मालिकों की डील में घपला है इसलिए वे डरते हैं। मीडिया का बड़ा वर्ग प्रो माेदी है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today