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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

दशहरे पर बच्चों को खिलौने-मिठाइयां दिलवाने निकले थे; ट्रेनों ने लोगों को रौंदा, भगदड़ में बच्चे कुचले गए

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अमृतसर. ट्रैक के पास नीरज की लाश पड़ी थी। उसके पिता सभी को दूर हटने के लिए कह रहे थे। उसके शब्द थे, ‘‘कोई ध्यान दो, इसे उठाकर ले चलो, यह मेरा बेटा है।’’ फिर वे दहाड़मारकर रो पड़े।एक पीड़ित ने बताया, ‘‘मैं अपने बच्चे को खिलौने और मिठाइयां दिलवाने की बात कहकर घर से लाया था। सोचा था कि वह रावण दहन देखने के बाद खुश होगा, लेकिन कुछ सेकंड में ही सब कुछ तबाह हो गया। मैं तो बच गया, लेकिन मेरी जिंदगी उजड़ गई।’’

यह मंजर था जोड़ा फाटक का, जहां रावण दहन देख रहे 200 से ज्यादा लोग दो ट्रेनों की चपेट में आ गए। शुक्रवार शाम हुए इस हादसे में 70 की मौत हो गई और 142 लोग घायल हो गए। मारेगए बच्चों में ज्यादातर की मौत भगदड़ के दौरान पैरों के नीचे कुचले जानेकी वजह से हुई।

नीरज के पिता ने कहा, ‘‘काश मैं रोक लेता। आज वह दशहरा देखने के लिए अकेला ही घर से निकल गया था। मुझे तो कुछ भी पता नहीं। किसी ने बताया कि घटना हुई है और मैं मौके पर पहुंच गया। बेटे को ढूंढ रहा था और उसकी लाश मिली। क्या बोलताघर जाकर। एक ही बेटा था, वह भी छोड़कर चला गया।’’इस दशहरे में चार साल से रावण का किरदार निभाते आ रहे दलबीर सिंह की भी मौत हुई। उनकी आठ महीने की बेटी है।

भगदड़ मची तो माता-पिता से बच्चों का हाथछूटा

ज्यादातर बच्चे ट्रेनों की चपेट में आने से नहीं, बल्कि हादसे के दौरान मची भगदड़ में मारे गए। जब ट्रेनों के आने से लोग भागने लगे तो बच्चों की अंगुलियां अपने माता-पिता से छूट गईं। वे रेलवे ट्रैक के आसपास पड़े पत्थरों पर गिर गए। भीड़ ने भी बच्चों की तरफ ध्यान नहीं दिया। हालात ये थे कि बच्चों की छोटी-छोटी चप्पलें, खिलौने, चाॅकलेट, टाॅफियां रेलवे लाइनों पर बिखरी थीं। हादसे में कितने बच्चों की मौत हुई है, इसका सही अांकड़ा अब तक नहीं सामने नहीं आया है।

पहचानना भी मुश्किल :ट्रेन की चपेट आने से कई लोगों के सिर बुरी तरह कुचल गए। चेहरा पहचानना भी मुश्किल था। कोई बहन का नाम लेकर चिल्ला रहा था, तो कोई बच्चों को खोज रहा था। चश्मदीदों ने बताया कि इस हादसे के बाद पटरियों के दोनों ओर खून से सनी लाशें पड़ीं थीं। बड़ी संख्या में लोग अपने परिजनकी तलाश में जुटे थे। चारों तरफ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। किसी के हाथ कटे हुए थे तो किसी के पैर। लोग लाशों में अपनों के जिंदा होने की तलाश कर रहे थे।

amritsar train accident

amritsar train accident

स्थानीय लोगों ने कंबल लाकर दिए : मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए सबसे पहले पुलिस पहुंची। घटनास्थल के आसपास रह रहे लोग भी मदद के लिए आगे आए। उन्होंने लाशों को ढकने और उठाने के लिए घरों से चादरें और कंबल लाकर दिए। लाशोंके कई टुकड़े हो गए थे। एक पुलिसवाले ने बताया कि लाशें उठाते वक्त समझ नहीं आ रहा था कि किसका पैर है और किसका हाथ है।

amritsar train accident

बेटे को ढूंढते हुए पहुंचा, ट्रैक पर मिली लाश

  • एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा- रेलवे ट्रैक के आसपास कोई बैरिकेडिंग नहीं की गई थी। हादसे के मंजर को देखा नहीं जा सकता। ट्रैक के आसपास खून से लथपथ लाशें बिखरीं हैं।
  • एक चश्मदीद ने यह भी बताया कि पटरियों से महज 200 फीट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था। कार्यक्रम बिना इजाजत हो रहा था।
  • एक और चश्मदीद ने कहा कि हर तरफ से लोगों के रोने-बिलखने की आवाज आ रही थी। इस हादसे के बाद लोग अपने परिजनों को तलाश रहे थे।
  • एक चश्मदीद ने कहा- 7 बजकर 10 मिनट पर पुतलों का दहन किया गया। अगर समय रहते यह सब हुआ होता तो हादसा बच सकता था। एक तो रोशनी होती और दूसरा उस वक्त ट्रेन का टाइम भी नहीं था।
  • एक ने कहा- बेटा दशहरा देखने आया था। ढूंढते हुए यहां पहुंचा तो ट्रैक पर उसकी लाश पड़ी थी।
  • उधर, लोको पायलट का कहना है कि रावण का पुतला दहन होने की वजह से आसपास इतना धुआं था कि उसे ट्रैक पर खड़ी भीड़ नजर ही नहीं आई।

लुधियाना समेत 5 जिलों में ट्रैक ही दशहरा ग्राउंड

  • लुधियाना : यहां के धूरी रेलवे लाइन पर हर साल दशहरा मनाया जाता है। यहां रावण दहन को देखने 10 हजार लोग पहुंचते हैं। कई बार ऐसा हादसा होने से बचा, लेकिन प्रशासन ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। शुक्रवार को जब रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को जलाया जाना था उसी दौरान ट्रैक से ट्रेन निकल रही थी। शुक्र है कि रावण दहन से पहले ट्रेन निकल गई,नहीं तो अमृतसर के जोड़ा फाटक जैसा दर्दनाक हादसा यहां भी हो सकता था। इसी तरह सूबे के अन्य जिलों में भी लोगों की जान से खेलकर ऐसे ही कई पर्व मनाए जाते हैं।

amritsar train accident

  • संगरूर : संगरूर में भी शुक्रवार को रेलवे लाइन से 50 मीटर की दूरी पर रावण का पुतला जलाया गया।
  • मानसा : मानसा शहर में दशहरे पर रावण दहन रेलवे ट्रैक के किनारे सालों से होता आ रहा है। शुक्रवार को भी रावण दहन यहीं किया गया।
  • मोगा : मोगा नगर निगम के स्टेडियम में रावण दहन होता है, जो रेलवे लाइन के बगल में है। जब स्टेडियम में भीड़ बढ़ जाती है तो लोग रेलवे लाइन पर भी खड़े हो जाते हैं।

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हादसे में नीरज की मौत हो गई। उसके शव के पास बैठे पिता ने कहा, मैं उसे घर में रोक लेता तो जान बच जाती।
पुलिसकर्मियों ने लोगों के शव चादर और कंबल में उठाए।
हादसे के बाद कई लोग मदद के लिए आगे आए। उन्होंने अपनी गाड़ियों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
बड़ी तादाद में लोग परिवार के साथ रावण दहन देखने आए थे जब ट्रेनों की चपेट में आकर कुचले गए।
इस हादसे में 142 लोग घायल हो गए।
घायलों को नजदीक के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
कई लोग अपने घायल परिजनों को खुद ही अस्पताल लेकर पहुंचे।
अस्पताल के बाहर अफरा-तफरी का माहौल रहा।
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
Ground report after rail accident in Amritsar
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