खेल डेस्क. यूथ ओलिंपिक गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने तीन गोल्ड, 9 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज सहित 13 मेडल जीते। यह भारत का गेम्स का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। ब्यूनस आयर्स में हुए तीसरे यूथ गेम्स में पहली बार हमने तीन गोल्ड जीते। वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। टीम ओवरऑल 18वें नंबर पर रही।
भारत ने 2010 यूथ ओलिंपिक गेम्स में 8 मेडल जीते। इसके बाद मुख्य ओलिंपिक में हमें 6 मेडल मिले। 2014 यूथ गेम्स और ओलिंपिक दोनों में हमने 2-2 मेडल जीते। यानी यूथ गेम्स के बाद कम से कम 75 फीसदी मेडल हमें ओलिंपिक में भी मिलते हैं। 2018 यूथ गेम्स में हमें 13 मेडल मिले हैं। ऐसे में 2020 टोक्यो में होने वाले मुख्य ओलिंपिक में हम 10 मेडल जीत सकते हैं।
पहली बार टॉप-20 में भारत: गेम्स के इतिहास में पहली बार हम टॉप-20 में जगह बनाने में कामयाब रहे। 2014 यूथ गेम्स में हम केवल दो मेडल जीत सके थे। रूस ने 29 गोल्ड के साथ 59 मेडल जीते और नंबर-1 पर रहा। यूथ ओलिंपिक गेम्स में 14 से 18 साल के खिलाड़ी उतरते हैं। 2010 से गेम्स की शुरुआत हुई थी। अगले गेम्स 2022 में सेनेगल में होंगे।
शूटिंग, जूडो और हॉकी में पहली बार खोला खाता: यूथ गेम्स में हमें आठ खेलों में मेडल मिले। शूटिंग, जूडो और हॉकी में पहली बार मेडल मिला। शूटिंग में मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने गोल्ड मेडल जीता। जूडो में तबाबी देवी ने सिल्वर जीता। हॉकी में मेंस और वुमेंस टीम को सिल्वर मिला। इसके अलावा हमें एथलेटिक्स, आर्चरी, बैडमिंटन, कुश्ती और वेटलिफ्टिंग में भी मेडल मिले।
कुश्ती, बैडमिंटन और बॉक्सिंग में दोनों गेम्स में मेडल जीते: 2010 में यूथ गेम्स में हमें कुश्ती में दो, बैडमिंटन में एक और बॉक्सिंग में एक मेडल मिला। इसके बाद 2012 मुख्य ओलिंपिक में पहली बार कुश्ती में भारत को दो मेडल मिले। बैडमिंटन में पहली बार कोई मेडल जीता। बॉक्सिंग में भी ब्रॉन्ज मेडल मिला। 2016 मुख्य ओलिंपिक में भी हमने बैडमिंटन और कुश्ती में मेडल जीते।
भारत-पाक एक साथ: शूटिंग के मिक्स्ड इवेंट में भारत के सौरभ चौधरी और पाक की नुबायरा साथ उतरीं। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी की ओर से गेम्स में उतर रहे सभी खिलाड़ियों के बीच एकता का संदेश देने के लिए इस तरह का इवेंट कराया जाता है। इसमें जीते गए मेडल हालांकि टीम के ओवरऑल टैली में नहीं जुड़ते हैं। बैडमिंटन में लक्ष्य सेन, जूडो में तबाबी देवी और शूटिंग में मनु भाकर भी मिक्स्ड इवेंट में उतरीं।
सूरज उधार के जूते पहनकर उतरे: 17 साल के सूरज पवार ने 5000 मी रेस वॉक में सिल्वर जीता। यह भारत का गेम्स इतिहास में एथलेटिक्स में तीसरा मेडल है। सूरज ने 2016 रियो ओलिंपिक में उतरे मनीष रावत के जूते के साथ वॉक में हिस्सा लिया। जूते का नंबर 7.5 था लेकिन सूरज को 7 नंबर के जूते लगते हैं। 170 ग्राम के इस इंटरनेशनल लेवल के जूते की कीमत 10 हजार रुपए है।
देहरादून के रहने वाले सूरज के पास इतने महंगे जूते खरीदने के पैसे नहीं थे। उन्होंने बड़े जूते के साथ मेडल जीता। युवा खिलाड़ियों को ओलिंपिक से पहले विदेशी कोच और अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर दिए जा रहे हैं। शूटिंग के इस बार हमारे खिलाड़ियों ने चार मेडल अपने नाम किए।
अन्य देशों का प्रदर्शन: रूस 59 मेडल के साथ नंबर-1 पर, चीन का सबसे खराब प्रदर्शन गेम्स में रूस ने 29 गोल्ड के साथ कुल 59 मेडल जीते। गेम्स के इतिहास में वह पहली बार नंबर-1 बनने में कामयाब रहा। रूस ने तैराकी में सबसे ज्यादा 13 गोल्ड जीते। चीन को 18 गोल्ड के साथ कुल 36 मेडल मिले और वह दूसरे नंबर पर रहा। यह चीन का सबसे खराब प्रदर्शन है। चीन 2010 में 30 जबकि 2014 में 38 गोल्ड जीतकर नंबर-1 पर रहा था। चीन को इस बार 20 गोल्ड मेडल कम मिले हैं।
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